अगर तीन दिन से ज्यादा रोकी फाइल, तो होगी सख्त कार्रवाईः CM योगी
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बेसिक शिक्षा विभाग और माध्यमिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों को कड़ी चेतावनी देते हुये कहा कि अगर विभाग में कोई भी फाइल तीन दिन से ज्यादा रुकी तो उस अधिकारी पर कार्रवाई की जाएगी।
लखनऊ: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बेसिक शिक्षा विभाग और माध्यमिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों को कड़ी चेतावनी देते हुये कहा कि अगर विभाग में कोई भी फाइल तीन दिन से ज्यादा रुकी तो उस अधिकारी पर कार्रवाई की जाएगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि लोक सेवा चयन आयोग द्वारा प्रधानाचार्य एवं प्रधानाध्यापक जैसे पदों हेतु चयन किया जाना चाहिए। राजकीय विद्यालयों अथवा अशासकीय मान्यता प्राप्त विद्यालयों के सभी शिक्षकों का चयन एक शिक्षा सेवा चयन आयोग द्वारा किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि इसके लिए एक शिक्षा सेवा चयन आयोग गठित किया जाए। शिक्षकों की चयन प्रक्रिया शीघ्रता और पूरी पारदर्शिता के साथ सम्पन्न की जानी चाहिए। यही नहीं मुख्यमंत्री ने कहा कि बच्चों को पाठ्य पुस्तक, बैग और यूनिफॉर्म मुहैया कराने में देरी को लेकर अधिकारियों को फटकार लगाई है और तत्काल देने के निर्देश जारी किए।
प्रदेश के बेसिक शिक्षा विभाग और माध्यमिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों के साथ सोमवार को समीक्षा बैठक में मुख्यमंत्री ने सख्त लहजे में अधिकारियों को शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार लाने के निर्देश दिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि अफसर मुख्यालय में बैठने की बजाय फील्ड में जाकर सरप्राइज विजिट करें। मुख्यमंत्री ने विद्यालयों में सोलर पैनल लगाने पर भी जोर दिया साथ ही कायाकल्प योजना के तहत प्रिंसिपल, जनसेवकों को आगे आने को कहा।
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मुख्यमंत्री ने मध्यान्ह भोजन योजना के तहत लखनऊ और मथुरा में अक्षयपात्र को आधार से लिंक कराने के भी निर्देश जारी किए। मुख्यमंत्री ने कहा शिक्षा विभाग समय-समय पर अपनी जरुरतों को लेकर शासन और प्रशासन को अवगत कराते रहें। ताकि केंद्र और राज्य सरकार के बीच सकारात्मक तालमेल बना रहे। विद्यालयों में समान शिक्षक-छात्र अनुपात को आवश्यक बताते हुए उन्होंने कहा कि जहां विद्यार्थियों की संख्या अधिक है, वहां पर्याप्त संख्या में शिक्षक तैनात होने चाहिए। कम छात्र-छात्राओं की संख्या वाले विद्यालयों में अधिक संख्या में अध्यापकों की तैनाती नहीं होनी चाहिए। अधिसंख्य शिक्षकों को अन्य विद्यालयों में स्थानान्तरित किया जाए। शिक्षकों के स्थानान्तरण का कार्य जून माह में ही पूर्ण कर लिया जाए।
मुख्यमंत्री ने सख्त हिदायत दी कि शिक्षा विभाग के प्रत्येक कर्मचारी को महीने के पहले सप्ताह में ही उसका वेतन मिल जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय का माध्यमिक स्तर तक उच्चीकरण किया जाए। यही नहीं मुख्यमंत्री ने स्कूल में हफ्ते में एक दिन बंटने वाले निशुल्क दूध की गुणवत्ता की जांच को लेकर भी निर्देश जारी किए। उन्होंने कहा कि बच्चों को इस योग्य बनाना है कि वह हर परिस्थति से लड़ सकें।
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मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य अध्यापक पुरस्कार की एक प्रक्रिया हो, एक मानक तैयार किया जाए, जिसके आधार पर शिक्षकों को सम्मानित किया जा सके, यही नहीं कागजी खानापूर्ति बंद की जाए। बरसों से एक स्थान पर जमे बीएसए के भी ट्रांसफर करने के मुख्यमंत्री ने निर्देश जारी किए। शिक्षकों की उपलब्धता को लेकर भी उन्होंने कड़ा रुख अपनाया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि शिक्षा विभाग के अधिकारी फील्ड में जाकर प्रधानाचार्यों, अध्यापकों और कर्मचारियों के साथ संवाद करें। उन्होंने प्रधानाचार्यों को साल में दो बार अभिभावकों के साथ मीटिंग करने के निर्देश दिए। खासतौर पर सभी बीएसए को उनके क्षेत्र में रोजाना स्कूलों का निरीक्षण करने के निर्देश दिए।
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माध्यमिक शिक्षा विभाग की समीक्षा करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि लोक सेवा चयन आयोग द्वारा प्रधानाचार्य एवं प्रधानाध्यापक जैसे पदों हेतु चयन किया जाना चाहिए। राजकीय विद्यालयों अथवा अशासकीय मान्यता प्राप्त विद्यालयों के सभी शिक्षकों का चयन एक शिक्षा सेवा चयन आयोग द्वारा किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि इसके लिए एक शिक्षा सेवा चयन आयोग गठित किया जाए। शिक्षकों की चयन प्रक्रिया शीघ्रता और पूरी पारदर्शिता के साथ सम्पन्न की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि शिक्षक स्कूलों में साफ सफाई, पेयजल और बिजली की व्यवस्था करें ताकि जब बच्चे एक जुलाई को स्कूल आएं तो उन्हें माहौल अच्छा मिले। बैठक में उप मुख्यमंत्री डॉ.दिनेश शर्मा, बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री अनुपमा जायसवाल, मुख्य सचिव अनूपचंद्र पांडेय भी मौजूद थे।