भारत के संतों की परंपरा बहुत समृद्ध परंपरा है: सीएम योगी

गोरखपुर ब्रह्मलीन महंत दिग्विजय नाथ की 50वीं पुण्यतिथि और महंत अवैद्यनाथ की जन्म शताब्दी एवं पांचवीं पुण्यतिथि समारोह की शुरुआत आज उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने किया।

Update:2023-04-20 15:08 IST

गोरखपुर: गोरखपुर ब्रह्मलीन महंत दिग्विजय नाथ की 50वीं पुण्यतिथि और महंत अवैद्यनाथ की जन्म शताब्दी एवं पांचवीं पुण्यतिथि समारोह की शुरुआत आज उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने किया।

इस अवसर पर राष्ट्रीय पुनर्जागरण यज्ञ व संत समाज विषय पर संगोष्ठी भी हुई। संगोष्ठी के मुख्य अतिथि जबलपुर के सिद्ध संत स्वामी डॉक्टर श्यामा दास उपस्थित रहे।

इस अवसर पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि हम सब जानते हैं। प्रतिवर्ष ब्रह्मलीन महंत दिग्विजय नाथ और ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ की पुण्यतिथि पर कई कार्यक्रम यहां किए जाते हैं।

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धार्मिक और आध्यात्मिक कार्यक्रम भी होते हैं। राष्ट्रीय जीवन और सामाजिक जीवन को प्रभावित करने वाले उन सभी पक्षों को ध्यान में रखते हुए जो इस समाज को प्रभावित करते हैं। जिसका परिणाम समाज के लिए उपयोगी हो सकता है।

ऐसे संबंधित आयोजन कहां किया जाता है। याद कीजिए भारत के मध्य काल जब औरंगजेब के आतंक से पूरा देश परेशान था। तब भारत में खालसा की स्थापना की ,दुनिया में ऐसे लोग भी है। जिन्हे शांति अच्छी नहीं लगती।

11 सितंबर को ही वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर हमला हुआ था। जबकि इसी 11 सितंबर को स्वामी विवेकानंद ने शिकागो में अपने ज्ञान से भारत का झंडा फहराया था।

मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि भारत की संत शक्ति समय-समय पर अपने मार्गदर्शन के माध्यम से उन्हें प्रेरित और प्रोत्साहित करते रही है। एक बहुत बड़ी परंपरा है।

लंबी परंपरा है और भारत इस दृष्टि से समृद्ध साली और सौभाग्यशाली है कि हर कालखंड में सम और विषम परिस्थिति जैसी भी रही हो पूज्य संतों का ऋषि महर्षि और उनका आशीर्वाद इस धरा पर केवल मानव मात्र ही नहीं जीवन मात्र के कल्याण के लिए हमारे ऋषि-मुनियों ने संतों ने आचार्यों ने अपने आशीर्वाद और मार्गदर्शन सेवा मार्ग प्रशस्त करने का निरंतर प्रयास किया है।

आप सब जानते हैं लोक कल्याण की बात जब आती है। भारत के अंदर भारत के वर्तमान और भविष्य की चिंता करने का आध्यात्मिक चिंतन को आगे बढ़ा रहे।

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महर्षि विश्वामित्र का आश्रम भी है। यहां पर देश के अंदर ज्ञान विज्ञान की परंपरा को समृद्ध करने के लिए आर्यव्रत की सुरक्षा को ध्यान में उतार कर कार्यक्रम को आगे भी बना रहा है।

मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि राम लीलाओं के माध्यम से हम उनकी लीलाओं को जानते हैं। लेकिन यह अगर कहीं से शुरू होता है तो वह महर्षि विश्वामित्र के द्वारा किया गया था।

देश और दुनिया की कोई ऐसी भाषा नहीं है। जहां पर भगवान राम का चरित्र उस भाषा मे लिखा नहीं किया गया लेकिन इसका मूल अगर कहीं है तो महर्षि बाल्मीकि का रामायण है।

मुख्यमंत्री योगी ने कहा की हर साल गोरक्षपीठ की ओर से महंत दिग्विजय नाथ और महंत अवेद्यनाथ जी की स्मृति में इस तरह के साप्ताहिक कार्यक्रम आयोजित होते हैं। जो पक्ष समाज को प्रभावित करने वाले हैं और जिनका परिणाम समाज के लिए उपयोगी हो, ऐसे विषयों पर गोष्ठी किया जाता है।

भारत के संतों की परंपरा बहुत समृद्ध परंपरा है। जब इस देश की कोई भी पक्ष सुप्ता अवस्था में होता है। तो उसे जागृत अवस्था में लाने के लिए भारतीय संत शक्ति समय-समय पर आपने उस दर्शन तथा अपने मार्गदर्शन के माध्यम से उनको प्रेरित और प्रोत्साहित करती रही है।

हम भारत की समृद्धि परम्परा के वारिस है। आदि शंकराचार्य ने देश के 4 कोनो में 4 पीठों की स्थापना करके भारत को जोड़ने का कार्य किया था। उन्होंने इसके माध्यम से जागरण का कार्य पूरे देश मे किया था। उन्होंने समाज के सभी उन वर्गो ने अपने साथ जोड़ा जिन्हें समाज अछूत मानता था।

मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि 1932 में महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद की स्थापना गोरखपुर में होना इसी लोक कल्याण का एक हिस्सा है। राम जन्मभूमि आंदोलन में गोरक्षपीठ की सक्रियता भी इसी लोककल्याण का एक हिस्सा है।

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