प्रवासी मजदूरों की दुर्दशा के लिए भाजपा से ज्यादा कांग्रेस जिम्मेदार: मायावती

मायावती ने कांग्रेस के आरोप का खंडन करते हुए कहा कि कांग्रेस अपनी कमजोरियों को छुपाने के लिए बसपा के बारे में ये तक कहने लगी है कि बसपा, भाजपा के साथ मिलकर चुनाव लड़ने वाली है।

Update: 2020-05-24 10:40 GMT
मायावती

लखनऊ: बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने प्रवासी मजदूरों की आड़ में भाजपा और कांग्रेस द्वारा एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाकर घिनौनी राजनीति करने का आरोप लगाते हुए कहा है कि आज पूरे देश में प्रवासी श्रमिकों की जो दुर्दशा है उसके लिए जितनी भाजपा जिम्मेदार है उससे कहीं ज्यादा कांग्रेस जिम्मेदार है।

मायावती ने कहा कि उनके बयान के बाद ही बसों की व्यवस्था हुई है। कांग्रेस और भाजपा दोनों बराबर के जिम्मेदार है। उन्होंने कहा कि जब प्रवासी मजदूरों की आड़ में भाजपा और कांग्रेस ने एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाकर घिनौनी राजनीति शुरू कि तब उन्हे बोलना पड़ा। उन्होंने कहा कि आज पूरे देश में प्रवासी श्रमिकों की जो दुर्दशा है उसके लिए जितनी भाजपा जिम्मेदार है उससे कहीं ज्यादा कांग्रेस जिम्मेदार है।

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कांग्रेस अपनी कमजोरियों को छुपाने के लिए कर रही ये सब

मायावती ने कांग्रेस के आरोप का खंडन करते हुए कहा कि कांग्रेस अपनी कमजोरियों को छुपाने के लिए बसपा के बारे में ये तक कहने लगी है कि बसपा, भाजपा के साथ मिलकर चुनाव लड़ने वाली है। उन्होंने इसे खारिज करते हुए कहा कि इसमें जरा भी सच्चाई नहीं है। हमारी पार्टी कांग्रेस और भाजपा के साथ मिलकर कोई भी चुनाव नहीं लड़ने वाली है।

बसपा सुप्रीमो ने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने कभी भी गरीबों को ऊपर उठाने के लिए कोई काम नहीं किया और न ही उनके पैतृक स्थानों पर ही रोजगार व जीवनयापन का कोई प्रबंध किया। जिससे उन्हे अपने गृहजनपदों को छोड़ कर काम की तलाश में दूसरे स्थानों पर जाने को मजबूर होना पड़ा।

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कांग्रेस राज में गरीबों की दशा बहुत ही खराब थी

उन्होंने कहा कि आजादी के बाद से देश में कांग्रेस लंबे समय तक केंद्र और अधिकतर राज्यों की सत्ता में रही। जब लोगों को अपने आसपास के स्थानों में रोजगार की अवसर नहीं मिले तब उन्होंने दूसरे प्रदेशों का रूख किया।

उन्होंने कहा कि कांग्रेस राज में गरीबों की दशा बहुत ही खराब थी, यहां तक कि उनके नेताओं के खिलाफ मुकदमें तक दर्ज कर लिए जाते थे। उन्होंने कहा कि कांग्रेस एससी-एसटी एक्ट को लागू किए जाने के भी खिलाफ थी। यहीं कारण है कि डा. बीआर आम्बेडकर ने नेहरू की कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया था।

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