बच्ची ने तोड़ा भूख से दम: परिवार को भूली योगी सरकार, अजय लल्‍लू ने पहुंचाई मदद

शुक्रवार को आगरा पहुंचे कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने पीड़ित परिवार से उनके घर में जाकर मुलाकात की और उनकी पीड़ा जानी।

Update: 2020-10-16 16:33 GMT

अखिलेश तिवारी

लखनऊ। आगरा में जिस बच्‍ची ने अगस्‍त महीने में भूख से दम तोड़ दिया था उसके परिवार को योगी सरकार और जिला प्रशासन ने भुला दिया। डेढ महीने के दौरान परिवार को जॉब कार्ड तो मिला लेकिन आज तक काम नहीं मिल सका। भुखमरी से जूझ रहे परिवार की सुनने वाला कोई नहीं है। शुक्रवार को कांग्रेस प्रदेश अध्‍यक्ष अजय कुमार लल्‍लू ने बच्‍ची की मां, भाई और बहन से मिलकर उनका हाल पूछा और आर्थिक मदद पहुंचाई है।

आगरा में बच्ची ने भूख से तोड़ दिया था दम

भूख से तड़पते परिवारों का हाल सरकार के जिम्‍मेदार अधिकारियों को कैसे पता चलेगा, जब डेढ महीने पहले अगस्‍त में भूख से दम तोडने वाले परिवार की भी सुध लेने वाला कोई नहीं है। बच्‍ची की मौत के बाद जिलाधिकारी आगरा प्रभु एन सिंह ने बडे- बडे दावे किए। परिवार के सदस्‍यों पर आरोप भी लगाए लेकिन बयान देने के बाद जिलाधिकारी और उनका अमला खामोश हो गया।

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कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने की पीड़ित परिवार से मुलाकात

शुक्रवार को आगरा पहुंचे कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने पीड़ित परिवार से उनके घर में जाकर मुलाकात की और उनकी पीड़ा जानी। भूख से दम तोडने वाली बच्‍ची की मां ने बताया कि सरकार ने राहत के नाम पर जॉब कार्ड और गैस सिलेंडर दिया लेकिन उसके बाद किसी ने सुध नहीं ली।

पीड़ित मां बोली- बच्‍चे दोबारा भुखमरी की कगार

स्‍थानीय सांसद ने घर आकर रसोई गैस का सिलिंडर दिया था लेकिन कनेक्‍शन बुक आज तक नहीं मिली है। परिवार में एक पुरुष सदस्‍य है लेकिन वह मानसिक मंदित है और काम-काज करने में असमर्थ है। बच्‍चों की 40 साल की मां शीला देवी ने बताया कि 'मैं अपनी बेटी के खाने के लिए कुछ जुगाड़ नहीं कर पाई। वह दिन-पर-दिन कमजोर होती जा रही थी। उसे तीन दिन से बुखार था। बाद में उसकी मौत हो गई। मैं काम करना चाहती हूं। जॉब कार्ड भी बना है लेकिन आज तक मुझे कोई काम नहीं मिला। अब बच्‍चे दोबारा भुखमरी की कगार पर हैं।'



पीडित परिवार की मदद करना सरकार की जिम्‍मेदारी

कांग्रेस प्रदेश अध्‍यक्ष अजय कुमार लल्‍लू ने कहा कि पीडित परिवार की मदद करना सरकार की जिम्‍मेदारी है। जिस घर में एक बच्‍ची भुखमरी से दम तोड दे, उसके परिवार का जॉब कार्ड बनाने से समस्‍या का समाधान संभव नहीं है। परिवार को काम दिलाना भी आगरा प्रशासन की जिम्‍मेदारी है लेकिन सरकारी अधिकारियों ने ध्‍यान नहीं दिया और सरकार ने इस बारे में अधिकारियों से पूछा तक नहीं। पूरे मामले को विधानसभा के आगामी सत्र में उठाएंगे। कांग्रेस कार्यकर्ता इस परिवार की मदद कर रहे हैं जिससे परिवार को कोई दूसरा सदस्‍य भूख से दम न तोडने पाए।

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क्‍या था मामला

लगभग डेढ महीने पहले आगरा में भुखमरी का मामला सामने था। बरौली अहीर क्षेत्र के नगला विधिचंद गांव में 5 साल की बच्ची की कथित रूप से भूख और बुखार से मौत हो गई थी। जब यह हादसा हुआ तब परिवार एक महीने से बेरोजगार था, काम ठप पड़ चुका था और घर में एक हफ्ते से खाने का अकाल पडा था। तब आगरा के डीएम प्रभु एन सिंह ने भुखमरी के आरोप को ठुकराते हुए परिवार के सदस्‍यों को कटघरे में खडा करने की कोशिश की थी। उन्‍होंने कहा था कि परिवार को बिना पोस्टमॉर्टम के शव को दफनाना नहीं चाहिए था। अब यह पता लगाना मुश्किल है कि बच्‍ची की मौत वाकई भूख से ही हुई है।

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