सीएम नहीं रखते आईएएस अफसरों का मान, कार्य क्षमता पर पड़ेगा प्रतिकूल प्रभाव: कांग्रेस
उन्होंने कहा कि अपनी ताकत उन अधिकारियों को दिखाने के लिए राज्यपाल के पद की गरिमा का भी ध्यान नहीं दिया, जब राज्यपाल ने अपने यहां डिनर पर बुलाया हो तो उस समय अनावश्यक रूप से वीडियो कान्फ्रेंसिंग का कोई औचित्य नहीं बनता है।
लखनऊ: आईएएस वीक के दौरान जिस दिन आईएएस अफसरों की सामान्य सभा की बैठक थी। उसी दिन सीएम योगी ने डीएम और कमिश्नर की वीडियो कांफ्रेंसिंग का फरमान सुना दिया। यूपी कांग्रेस ने इस पर सवाल खड़ा करते हुए कहा है कि यदि सीएम एक दिन बाद अधिकारियों से वीडियो कांफ्रेंसिंग कर लेते तो कोई पहाड़ नहीं टूट पड़ता। अफसरों को इस तरह अपमानित करने से प्रशासन की कार्य क्षमता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।
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प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता सचिन रावत ने कहा कि सरकार कानून व्यवस्था संभालने में पूरी तरह नाकाम रही है। ऐसा लगता है कि जैसे मुख्यमंत्री जी को प्रशासन करने का अनुभव ही नहीं है। वह यह भी नहीं जानते कि प्रोटोकाल क्या है? न ही अधिकारियों का मान रख पाते हैं। उन्होने यह मान लिया है कि प्रदेश के मुख्यमंत्री जिस अधिकारी को चाहें खुले आम अपमानित कर सकते हैं।
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प्रवक्ता ने कहा कि प्रदेश का प्रशासन इकबाल से चलता है और इस इकबाल को बनाये रखने की पूरी जिम्मेदारी प्रशासनिक अधिकारियों की होती है। उनके मान-सम्मान को समाचारपत्रों व जनता के बीच में रखने की जिम्मेदारी मुख्यमंत्री की होती है, क्योंकि प्रशासन उनके ही हाथों में होता है। मुख्यमंत्री इसका कदापि ध्यान नहीं रखते हैं।
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उन्होंने कहा कि अपनी ताकत उन अधिकारियों को दिखाने के लिए राज्यपाल के पद की गरिमा का भी ध्यान नहीं दिया, जब राज्यपाल ने अपने यहां डिनर पर बुलाया हो तो उस समय अनावश्यक रूप से वीडियो कान्फ्रेंसिंग का कोई औचित्य नहीं बनता है। आईएएस वीक में अधिकारियों से लखनऊ में ही बात कर सकते थे इस प्रकार दोनों कार्य हो सकते थे। लेकिन ऐसा न करके मुख्यमंत्री जी ने न सिर्फ आईएएस अधिकारियों को अपमानित किया बल्कि प्रदेश के संवैधानिक मुखिया का भी अपमान किया है।