UP में इस खास रणनीति से चुनाव लड़ेगी कांग्रेस, ये है PK का आइडिया

Update:2016-06-08 14:38 IST

लखनऊ: जैसे-जैसे विधान सभा के चुनाव नजदीक आते जा रहे हैं वैसे वैसे राजनैतिक पार्टियां अपनी अपनी स्ट्रेटेजी बनाने और उस पर अमली जामा पहनाने में लगे हैं। कांग्रेस का चुनावी बेड़ा पार करवाने का जिम्मा लिए प्रशांत किशोर (पीके) कांग्रेसियों की क्लास लेने और जमीनी हकीकत से रूबरू होने के बाद चुनाव की रणनीति बनाने में जुट गए हैं। कांग्रेसी नेताओं की मानें तो पीके ने यूपीसीसी और आलाकमान से कहा कि कांग्रेस इस बार अपने पुराने वोट बैंक सवर्ण पर भी निशाना साधे क्योंकि वर्तमान राजनैतिक परिदृश्य में ज्यादातर पार्टियां इन पर ध्यान नहीं दे रही हैं।

सवर्णों को टारगेट करने के पीछे पीके की स्ट्रैटजी एकदम साफ हैं। सूत्रों की मानें तो जिस तरह से बीजेपी इस समय अपने दलित प्रेम को चिल्ला-चिल्ला कर गा रही है, उससे सवर्ण समाज उस पार्टी से खुद को उपेक्षित सा महसूस कर रहा है।

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जबकि बसपा के साथ अवसर परस्ती में ब्राह्मण समेत सवर्ण जातियां भले ही जुड़ गई हों, लेकिन वह बसपा के नारे ‘तिलक तराजू और तलवार, इनको मारो जूते चार’ के नारे से होने वाली पीड़ा को अभी तक भूल नहीं पाई हैं। वहीं सपा के शासन से जनता ऊब चुकी है और आंकड़े की बात की जाए तो 25 साल से भी ज्यादा समय हो गया जब प्रदेश की सत्ता में कभी कोई पार्टी को लगातर दूसरा चांस नहीं मिला. ऐसे में सवर्ण जातियों को अगर पार्टी का भावनात्मक समर्थन मिल जाए तो वह कांग्रेस के साथ जुड़ने में बिलकुल भी नहीं हिचकेगा।

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सवर्णों में मुख्य रूप से चार जातियां हैं - क्षत्रिय, ब्राह्मण, कायस्थ और बनिया। जिनके बारे में किसी भी पॉलिटिकल पार्टी के लोग ध्यान नहीं दे रहे हैं और वोट गणित के हिसाब से देखा जाए तो चारों जातियों का वोट प्रतिशत भी ठीक-ठाक है। प्रभावशाली होने की वजह से ये जातियां और भी वोटर्स को कांग्रेस की तरफ ला सकती हैं।

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जातीय समीकरण के हिसाब से देखा जाए तो प्रदेश में 11 फीसदी से ज्यादा ब्राह्मण, 5 फीसदी से ज्यादा राजपूत, 6 फीसदी वणिक और 4 फीसदी से ज्यादा कायस्थ हैं। इनका कुल योग 25 फीसदी से भी ऊपर है। यदि कांग्रेस उपेक्षा के दौर से गुजर रहे इन जातियों को अपने साथ मिला ले और बावजूद इसके प्रदेश में कांग्रेस की सरकार न बने, तो भी कांग्रेस कम से कम एक दमदार विपक्ष की भूमिका में आ सकती है।

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