किसानों के लिए 25 सितम्बर से 31 अक्टूबर तक कांग्रेस करेगी प्रदेशव्यापी आन्दोलन
लखनऊ देश के संसद में बगैर बहस कराये, बिना मत विभाजन को स्वीकार किये तानाशाहीपूर्ण तरीके से किसान विरोधी बिल पारित किये जाने को कांग्रेस ने किसानों के हितों के खिलाफ सबसे बड़ा विश्वासघात बताया है।
लखनऊ: लखनऊ देश के संसद में बगैर बहस कराये, बिना मत विभाजन को स्वीकार किये तानाशाहीपूर्ण तरीके से किसान विरोधी बिल पारित किये जाने को कांग्रेस ने किसानों के हितों के खिलाफ सबसे बड़ा विश्वासघात बताया है।
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प्रदेश अजय कुमार लल्लू
पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने इस नये काले कानून के खिलाफ 25 सितम्बर से 31 अक्टूबर तक व्यापक जनान्दोलन चलाने की घोषणा की। 25 सितम्बर को सोशल मीडिया के माध्यम से खेती-किसानी पर हुए इस हमले के खिलाफ कैम्पेन चलाया जाएगा। 28 सितम्बर को कांग्रेस आम जनता व किसानों के साथ प्रदेश की विधानसभा का घेराव करेंगे।
2 अक्टूबर को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी एवं लालबहादुर शास्त्री की जयन्ती पर इस काले कानून के खिलाफ ब्लाक मुख्यालयों पर सत्याग्रह करेगी। इसके उपरान्त 31 अक्टूबर तक इस मुद्दे को लेकर केन्द्र व प्रदेश की भाजपा सरकार के द्वारा बनाये गये किसान विरोधी कानून के खिलाफ आम जनता के बीच जाकर जनजागरण अभियान चलाकर भाजपा के चाल, चरित्र और चेहरे को जनता के बीच बेनकाब किया जायेगा।
मण्डियां किसान की फसल के सही वजन और सही मूल्य पर बिक्री की गारंटी होती है
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने आज कहा कि उपरोक्त तीनों नये कृषि कानूनों में एमएससी का जिक्र न किये जाने से सरकारी अनाज मंडिया सब्जी तथा फल मंडिया समाप्त हो जायेंगीं जिसकी वजह से किसान पूंजीपतियों द्वारा तय किये गये मूल्य पर अपने उत्पादित फसल को बेंचने के लिए बाध्य हो जाएगा। अनाज मण्डी, सब्जी व फल मण्डी खत्म करने से कृषि उपज व्यवस्था पूरी तरीके से नष्ट हो जाएगी और पूंजीपतियों को फायदा हेागा। क्योंकि मण्डियां किसान की फसल के सही वजन और सही मूल्य पर बिक्री की गारंटी होती है।
कांग्रेस की मांग है कि एक देश-एक समर्थन मूल्य के तहत पूरे प्रदेश में सारी फसलों
उन्होंने कहा कि कांग्रेस की मांग है कि एक देश-एक समर्थन मूल्य के तहत पूरे प्रदेश में सारी फसलों अनाज, फल, सब्जी तीनों चीजों के पूरे देश में न्यूनतम समर्थन मूल्य तय होना चाहिए तथा नये कानून में एमएसपी का जिक्र किया जाए और यह सुनिश्चित किया जाए कि नये कानून के तहत किसान के किसी भी उपज की खरीद एमएसपी से नीचे नहीं होनी चाहिए।
कृषि व्यवस्था को पूरी तरह से कार्पोरेट और पूंजीपतियों के हवाले कर दिया है
उन्होंने कहा कि नये कानून में कृषि उत्पाद का न्यूनतम समर्थन मूल्य तय करने का जिक्र न होना इस बात की तरफ इशारा करता है कि सरकार ने कृषि व्यवस्था को पूरी तरह से कार्पोरेट और पूंजीपतियों के हवाले कर दिया है। इससे देश की कृषि व्यवस्था जिसमें 86.4 प्रतिशत किसान जिसकी जोत 2 एकड़ से कम है वह नई प्रतिस्पर्धात्मक व्यवस्था से बाहर हो जायेगा और किसान अधिकार विहीन हो जाएगा उसकी हैसियत मात्र एक मजदूर की हो जाएगी।
उन्होंने कहा कि आवश्यक वस्तु अधिनियम की सूची से अनाज, दालें, खाद्य तेल, आलू, प्याज आदि बुनियादी चीजों को बाहर करने से कारोबारी जमा खोरी करना शुरू कर देंगे, कीमतों में अस्थिरता आ जायेगी और देश में कालाबाजारी बढ़ जाएगी जिसका खामियाजा देश की बेहाल परेशान जनता को भुगतना पड़ेगा।
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उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार द्वारा बनाये गये इस काले कानून से जहां एक तरफ हमारे देश और प्रदेश के किसान अधिकारविहीन और बेचारा बनकर रह जायेंगे वहीं एक बहुत बड़ा विभाग मंडी परिषद जिसमें लाखों लोग नौकरी से जुड़े हैं और उनके परिवार का भरण पोषण हो रहा है मंडी परिषद और विपणन समितियों का समापन हो जाएगा जिसमें सेवा दे रहे लाखों लाख कर्मचारियों को नौकरी से हाथ धोना पड़ेगा।
श्रीधर अग्निहोत्री
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