70 साल बाद आज भी मजबूती से कायम है संविधान

Update:2020-01-24 11:46 IST

लखनऊ: देश में नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में जो भी प्रदर्शन हुए हैं उनमें देश के संविधान का खूब हवाला दिया जाता रहा है। प्रदर्शनकारियों ने संविधान की प्रस्तावना पढ़ कर तर्क दिया कि संविधान के मूल सिद्धांतों को कमजोर करने की कोशिशें की जा रही हैं। वैसे, ये पहली बार नहीं है कि भारत के संविधान को लेकर खतरे जताए जा रहे हैं लेकिन सच्चाई ये है कि २६ जनवरी १९५० को प्रभावी होने के ७० साल बाद आज भी संविधान मजबूती से कायम है।

यदि विश्व में राष्ट्रीय संविधानों से तुलना की जाए तो भारत के संविधान की दीर्घायु चमत्कारिक है। 'एंड्यूरेंस ऑफ नेशनल कांस्टीट्यूशंस' पुस्तक के अनुसार वर्ष १७८९ से संविधानों की औसत उम्र १७ वर्ष रही है। खासकर द्वितीय विश्व युद्ध के बाद आजादी पाए देशों में संविधानों की उम्र बहुत कम ही रही है। मिसाल के तौर पर पाकिस्तान में तीन अलग-अलग संविधान रहे हैं और लंबे दौर ऐसे रहे हैं जब वहां संविधान विहीन शासन रहा।

द्वितीय विश्व युद्ध के बाद आजाद हुए १२ एशियायी देशों में से सिर्फ तीन देशों के संविधान मूल स्वरूप में बचे हुए हैं। ये देश हैं - भारत, ताइवान और दक्षिण कोरिया।

विशेषज्ञों का मानना है कि भारतीय संविधान की दीर्घायु की वजह इसकी संरचना और इसके निर्माण में बरती गई सावधानी है। संविधान निर्माण का काम आजादी से पहले १९४६ में शुरू हुआ और करीब ३०० सदस्यों की निर्वाचित संविधान सभा ने चार साल तक विचार विमर्श के बाद संविधान के प्रत्येक पहलू को पारिभाषित किया। इन लंबी बहसों और विमर्शों का प्रतिबिम्ब संविधान में नजर आता है जो १,४६,३८५ शब्दों का विशालकाय संग्रह है। 'कंपरेटिव कंस्टीट्यूशन प्रोजेक्ट' (सीसीपी) के अनुसार, ये दुनिया में किसी भी संविधान से बड़ा है।

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व्यापकता की कमी

भले ही भारत का संविधान विश्व में सबसे लंबा है लेकिन ये सबसे व्यापक नहीं है यानी इसमें सभी पहलुओं का समावेश नहीं किया गया है। सभी संविधान गवर्नेंस के ढांचे और सिद्धांतों की स्थापना करते हैं लेकिन सभी संविधान लंबाई-चौड़ाई में अलग-अलग होते हैं। लगभग सभी संविधान सेना या सशस्त्र बलों का उल्लेख तो करते हैं लेकिन बहुत कम संविधान कला या कलाकारों का जिक्र करते हैं।

सीसीपी के अनुसार, ७० मुख्य विषयों में से औसतन ५८ फीसदी को विश्व के संविधान कवर करते हैं। इस मामले में केन्या और जिम्बाब्वे सबसे आगे हैं जिनके संविधान इन ७० विषयों में से ८० फीसदी से अधिक को कवर करते हैं। भारत का संविधान ६० फीसदी विषयों को करता है।

अधिकारों का बंटवारा

कंपरेटिव कंस्टीट्यूशन प्रोजेक्ट के अनुसार, भारत का संविधान संसद को बहुत अधिकार नहीं देता लेकिन अन्य घटकों की तुलना में न्यायपालिका को ज्यादा स्वतंत्रता देता है। कार्यपालिका अधिकारों की बात करें तो फ्रांस, ब्राजील और जर्मनी का संविधान उसे ज्यादा अधिकार देता है। भारत इस मामले में अमेरिका, यूके, जापान से आगे है। भारत का संविधान संसद को विधायिका के बहुत अधिकार नहीं देता। इस मामले में ब्राजील, अमेरिका, जापान, इंडोनेशिया, मेक्सिको, फिलिपींस, जर्मनी और फ्रांस के संविधान ने अपने देशों की ससंद को ज्यादा अधिकृत किया है।

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जनता को अधिकार

किसी भी संविधान के मूल उद्देश्यों में से एक होता है अपने नागरिकों को अधिकार देना। इस मामले में भारतीय संविधान ने अमेरिकी और फ्रेंच संविधानों से प्रेरणा ली है। फिर भी जहां अमेरिकी संविधान अपने नागरिकों को ३५ अधिकार देता है वहीं भारतीय संविधान ४४ अधिकार देता है। इस मामले में वैश्विक औसत ५० अधिकार का है। संवैधानिक अधिकारों में शिक्षा का भी अधिकार है लेकिन वह संविधान संशोन के बाद ही अस्तित्व में आया। संविधान में संशोधन करने संबंधी लचीलापन ही इसकी दीर्घायु होने का एक बड़ा कारण है। भारतीय संविधान में अब तक १०३ बार संशोधन हो चुके हैं। सबसे ताजा संशोधन अगस्त २०१९ में जम्मू-कश्मीर के पुनर्गठन से संबंधित था।

इसके विपरीत अमेरिकी संविधान में मात्र २७ बार संशोधन हुआ है और अंतिम बार ऐसा १९९२ में हुआ था।

१९४५ से १९६० के बीच स्वतंत्रता पाए एशियायी देशों में संविधान की उम्र

ताइवान : १९४५ में आजाद हुए इस देश में १९४७ में संविधान बना जो आज तक कायम है।

दक्षिण कोरिया : १९४५ में आजादी पाए और १९४८ से संविधान चल रहा है।

भारत : १९४७ में आजादी मिली, १९५० से संविधान चल रहा है।

जॉर्डन : १९४६ में स्वतंत्रता मिली और १९४६ व १९५२ में संविधान बन चुके हैं।

इंडोनेशिया : १९४५ में आजाद हुह इस देश में १९४९, १९५५ और १९५९ में संविधान निर्माण हुआ।

उत्तरी कोरिया : १९४५ में देश आजाद हुआ। १९७२ में यहां संविधान लागू हुआ।

पाकिस्तान : १९४७ में देश बनने के बाद १९५६, १९६२ और १९७३ में संविधान बने।

श्रीलंका : १९४८ में देश स्वतंत्र हुआ और १९७२ व १९७८ में संविधान बना।

वियतनाम : १९४५ में आजाद होने के बाद १९६०, १९८० और १९९२ में संविधान बनाया गया।

म्यांमार : १९४८ में देश के आजाद होने के बाद १९६२, १९७४ और २००८ में संविधान का निर्माण हुआ।

 

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