वन्य जीवों की मौत का सिलसिला जारी, शिकारियों का है बड़ा नेटवर्क
रानीपुर वन्यजीव विहार के कल्याणपुर वीट के अंतर्गत करौहा जंगल मे अज्ञात कारणों से भालू की मौत होने की सूचना खबर द्वारा मिलते ही रेंजर त्रिवेणी प्रसाद तत्काल मौके पर पहुँचे और मृत हालात में पड़े भालू को डॉक्टरों को पोस्टमार्टम में लिए सौपा ।
चित्रकूट: रानीपुर वन्य जीव विहार के अंतर्गत कल्याणपुर वीट के करौहा जंगल मे भालू का शव मिलने हड़कम्प मच गया । खबर के बाद हरकत में आये प्रशासन ने रेंजर मय टीम के मौके पर पहुँच कर भालू को कब्जे में लेते हुए पोस्टमार्टम को भेजा । लेकिन इस सब के बीच मे एक बार फिर इस विषय ने जोर पकड़ लिया है कि आखिर लगातार जंगलों में वन्य जीवों की हो रही मौत के लिए कौन जिम्मेदार है ? क्या इसके पीछे शिकारियों का बड़ा नेटवर्क है या फिर विभाग के जिम्मेदारो के ही हाथ इस गोरखधंधे में संलिप्त हैं ।
जानकारी के मुताबिक रविवार को रानीपुर वन्यजीव विहार के कल्याणपुर वीट के अंतर्गत करौहा जंगल मे अज्ञात कारणों से भालू की मौत होने की सूचना खबर द्वारा मिलते ही रेंजर त्रिवेणी प्रसाद तत्काल मौके पर पहुँचे और मृत हालात में पड़े भालू को डॉक्टरों को पोस्टमार्टम में लिए सौपा ।
ये भी देखें : आयुष्मान भारत! क्या अब लाभार्थियों को एम्स और एनएचए में नहीं मिलेगा इलाज
करीब 7 वर्ष का भालू मृत मिला है
समाचार लिखे जाने तक अभी मौत के कारण का पता नही चल पाया है लेकिन पोस्टमार्टम की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है । वैसे सूत्रों की मॉने तो शिकारियों द्वारा लगाए गए हाई टेंशन करेंट से भालू की मौत बताई जा रही है रेंजर त्रिवेणी प्रसाद के मुताबिक करीब 7 वर्ष का भालू मृत मिला है लेकिन उसकी मौत किस कारण से हुई है इसकी जानकारी पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही पता चलेगा।
फिलहाल कुछ वर्षों में ये कोई नई घटना नहीं है बल्कि ऐसे कई मामले सामने आते रहते हैं । विगत दिनों कशेरुका में ही वन्य जीवों को मारने के लिए करंट लगाने वालों ने अपने पकड़े जाने के डर से एक वन कर्मी को ही मौत के घाट उतार दिया था । जिसके बाद मामला काफी चर्चा में आया था लेकिन उसे भी दबा दिया गया । कुलमिलाकर वन्य जीवो की लगातार हो रही मौतों से ये सन्देह होना लाजिमी है कि इस क्षेत्र में शिकारियों का बड़ा नेटवर्क काम कर रहा है ।
इसी वर्ष निहि के जंगल मे एक पैंथर, एक भालू और एक बंदर का शव मिलने से हड़कम्प मचा था लेकिन जांच के बाद महज खानापूर्ति करके मामला ठंडे बस्ते में डाल दिया गया । ऐसे ही मामले मध्यप्रदेश और उत्तरप्रदेश की सीमा से सटे क्षेत्र में भी सामने आते रहे हैं जिसके बाद उस समय जानकारी के अनुसार सतना में भी नेटवर्क को पकड़ने के लिए कई स्थानों पर दबिश दिए जाने की खबर थी। वन्य प्राणियों के अंगों की तस्करी के मामले में अंतर्राष्ट्रीय तस्कर गिरोह के नेटवर्क से सतना के रिश्ते पुराने हैं। ऐसे में रानीपुर वन्य जीव अभ्यारण्य और वन विभाग के जंगलों में भी ऐसे नेटवर्क की संभावना है ।
ये भी देखें : बेटे की कार का एक्सिडेंट होने पर इस एक्टर ने ऐसी बात कह सभी को चौंका दिया
शिकारी भालू को मारने के बाद उसका गुप्तांग (Private Part) काट लेते हैं
सूत्रों की मानें तो वन्य प्राणियों के शिकारियों और उनके अंगों की तस्करी के कारोबार में शामिल लोगों का यूपी और एमपी की सीमा में भी बड़ा नेटवर्क है। सतना और लखनऊ के तार वन्य प्राणियों के अंगों खास तौर पर बाघ की खाल,दांत और नाखूनों की तस्करी के मामले में अंतर्राष्ट्रीय तस्कर गिरोह से पहले भी जुड़ चुके हैं जिसके कारण बाघों और तेंदुओं के शिकार की बढ़ती घटनाओं के बीच संदेह के दायरे में यूपी के हिस्सों का आना कोई बड़ी बात नहीं है।
चर्चा तो यहां तक है कि शिकारी भालू को मारने के बाद उसका गुप्तांग (Private Part) काट लेते हैं ।
बता दें कि आदिवासी इलाकों में यह मान्यता है कि ऐसा करने से पौरुष बढ़ता है, हालांकि इसका कोई प्रामाणिक आधार नहीं है । साथ ही भालू का शिकार उसके गॉल ब्लैडर और बाइल बेचने के लिए भी किया जाता है । अंतरराष्ट्रीय बाजार में इसकी काफी कीमत मिलती है क्योंकि माना जाता है कि इससे बनने वाली दवाओं से कैंसर (Cancer), तेज दर्द (Pain) और दमा (Asthma) जैसी बीमारियों में आराम मिलता है । इसलिए इस बात से इंकार नही किया जा सकता कि यहां भी ऐसा नेटवर्क काम कर रहा हो ।
वन विभाग के सूत्रों की माने तो भालू का शिकार उसी क्षेत्र के शिकारियों के द्वारा जहरीली दवा देकर या करंट फैला किया गया है। लेकिन इस बात की अब तक पुष्टि नहीं हो सकीं है। वहीं अधिकारी और पशु चिकित्सक पोस्टमार्टम से पहले कुछ भी बोलने को तैयार नही ।
ये भी देखें : सर्वदलीय बैठक: PM मोदी बोले-बेहतर समन्वय के लिए एक समिति बनाई जानी चाहिए
बहरहाल इस मामले का उच्चाधिकारियो ने संज्ञान लिया है और रानीपुर वन्य जीव अभ्यारण्य के मुख्य वन सरंक्षक सुनील चौधरी ने तत्काल जांच के लिए डीएफओ को मौके पर भेजा है । फिलहाल विभाग का मानना है कि हर एंगल को ध्यान में रखकर जांच की जा रही है लेकिन शिकारियों द्वारा शिकार से इनकार भी नही किया जा सकता है । अब देखना होगा कि क्या वन्य जीवों की लगातार हो रही मौतों के पीछे का सही कारण पता लग पायेगा या फिर जांच के नाम पर महज खानापूर्ति होगी ।