धार्मिक शिक्षा के लिए आदेश देने से कोर्ट का इनकार, कहा-विधायिका का अधिकार

एक एनजीओ हिन्दू फ्रंट फॉर जस्टिस ने पीआईएल दायर कर मांग की थी कि सरकार को कक्षा 1 से ग्रेजुएशन तक धार्मिक शिक्षा प्रदान करने का आदेश दिया जाय। याची ने कहा था कि धार्मिक शिक्षा के रूप में कुरआन और हिन्दू धर्म की पुस्तकों की बातें पढ़ाई जाएं।कोर्ट ने कहा धार्मिक शिक्षा दी जाय या नही और दी जाए तो किस तरह दी जाए, ये निर्णय कोर्ट नहीं थोप सकती।

Update: 2016-08-19 14:58 GMT

लखनऊ: हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने प्रदेश में धार्मिक शिक्षा लागू करने की मांग वाली पीआईएल पर आदेश जारी करने से इनकार कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि यह सरकार का नीतिगत मामला है और इसके लिए कोर्ट आदेश नहीं कर सकती। जस्टिस एपी साही और जस्टिस विजय लक्ष्मी की बेंच ने कहा कि सुप्रीम केार्ट ने पहले ही यह तय कर दिया है कि धार्मिक शिक्षा देने या न देने पर पार्लियामेंट या स्थानीय विधायिका ही निर्णय कर सकती है।

-एक स्थानीय एनजीओ हिन्दू फ्रंट फॉर जस्टिस ने पीआईएल दायर कर मांग की थी कि सरकार को कक्षा 1 से ग्रेजुएशन तक धार्मिक शिक्षा प्रदान करने का आदेश दिया जाय।

-एनजीओ ने कहा था कि धार्मिक शिक्षा के अभाव में युवा भटक रहे हैं। याची ने कहा था कि धार्मिक शिक्षा के रूप में कुरआन और हिन्दू धर्म की पुस्तकों की बातें पढ़ाई जाएं।

-कोर्ट ने कहा धार्मिक शिक्षा दी जाय या नही और दी जाए तो किस तरह दी जाए, ये निर्णय कोर्ट नहीं थोप सकती।

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