कोरोना से जंग में बहुत काम आयेंगे ये मास्क-सैनिटाइजर, जानिए खासियत
कोविड-19 महामारी ने फेस मास्क और सैनिटाइजर के उपयोग को दैनिक जीवन का अनिवार्य हिस्सा बना दिया है। हालांकि लोग इनका उपयोग कर रहे हैं, लेकिन....
मनीष श्रीवास्तव
लखनऊ: कोविड-19 महामारी ने फेस मास्क और सैनिटाइजर के उपयोग को दैनिक जीवन का अनिवार्य हिस्सा बना दिया है। हालांकि लोग इनका उपयोग कर रहे हैं, लेकिन इसके कारण उन्हें कुछ असुविधाओं का भी सामना करना पड़ रहा है।
सांस छोड़ने के लिए वाल्व लगा हुआ है
अब भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के तहत एक स्वायत्त अनुसंधान संस्थान एसएन बोस नेशनल सेंटर फॉर बेसिक साइंसेज (एसएनबीएनसीबीएस), कोलकाता के निदेशक प्रोफेसर समित कुमार रे के मार्गदर्शन में प्रोफेसर समीर के पाल और उनकी टीम ने स्वच्छ व आराम से साँस लेने के लिए एक सक्रिय श्वासयंत्र मास्क विकसित किया है, जिसमें सांस छोड़ने के लिए वाल्व और सूक्ष्म कण नियंत्रण के लिए फिल्टर लगा हुआ है।
ये भी पढ़ें: बहुत डरावना है इस गांव का इतिहास, जानेंगे तो हो जाएंगे रोंगटे खड़े
इसके साथ ही संस्थान ने एक नैनो सैनिटाइजर भी बनाया है, जो त्वचा को नुकसान नहीं पहुंचाता है। इन दोनो उत्पादों को आगामी 15 अगस्त को लांच किया जायेगा।
अब तक इस्तेमाल होने वाले मास्क में आ रही ये समस्याएं
दरअसल अभी जिन मास्क का उपयोग किया जा रहा है उसमें छोड़ी गई कार्बन डाइऑक्साइड (सीओ 2) फिर से सांस के साथ अंदर चली जाती है। विशेषज्ञों के मुताबिक लंबे समय तक ऐसा होने से मानव दक्षता कम हो सकती है और यह मस्तिष्क-हाइपोक्सिया का भी कारण बन सकता है। इसके अलावा मौजूदा मास्क के उपयोग से सांस की नमी से चश्मे पर भाप बन जाती है तथा मास्क के अंदर पसीने और गर्म वातावरण जैसी समस्याएं भी सामने आ रही हैं।
ये भी पढ़ें: नगमा से लव डोना से शादीः कुछ अलग ही है बंगाल टाइगर की स्टोरी, क्या है सस्पेंस
एसएनबीएनसीबीएस टीम द्वारा सक्रिय श्वासयंत्र मास्क कार्बन डाइऑक्साइड को फिर से सांस लेने योग्य बनाता है और उत्सर्जित नमी तथा पसीने और गर्म वातावरण की समस्या को भी दूर करता है। यह फेस मास्क व्यक्ति की बातचीत की स्पष्टता में भी सुधार करता है और पहनने वाले को वायुजनित दूषित पदार्थों के संपर्क से बचाते हुए आरामदायक, स्वच्छ सांस लेने की सुविधा देता है।
नैनो-सैनिटाइजर
इसके अलावा एसएनबीएनसीबीएस ने एक सूक्ष्मजीव-रोधी परत के साथ नैनो-सैनिटाइजर भी विकसित किया गया है। ये नैनो-सैनिटाइटर, सामान्य सेनिटाइटर्स के उपयोग से होने वाली समस्याओं का सटीक समाधान देता है। सामान्य सेनिटाइटर के लगातार उपयोग के कारण त्वचा के निर्जलीकरण की समस्या होती है, जिसका कारण सामान्य सैनिटाइजर्स की तात्कालिक रोगाणुरोधी कार्रवाई की प्रकृति है। जबकि एसएनबीएनसीबीएस द्वारा बनाया गया नैनो सैनिटाइटर लंबी अवधि के उपयोग के बावजूद स्वच्छता तो देता है लेकिन त्वचा को नुकसान नहीं पहुंचाता है।
ये भी पढ़ें: India Ideas Summit: PM मोदी ने भारत में दिया निवेश का न्योता, गिनाए सेक्टर्स
विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय, भारत सरकार के डीएसआईआर के उद्यम, राष्ट्रीय अनुसंधान विकास निगम (एनआरडीसी) ने इन दोनों तकनीकों को कोलकाता स्थित कंपनी, मेसर्स पॉलमेक इन्फ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड को हस्तांतरित कर दिया है। कंपनी के निदेशक शांति रंजन पॉल ने स्वदेशी तरीके से कोविड-19 के खिलाफ वैश्विक लड़ाई में भाग लेने का अवसर मिलने पर संतोष व्यक्त किया।
ये भी पढ़ें: CM ऑफिस पहुंचा कोरोना: मुख्यमंत्री के उप-सचिव मिले पॉजिटिव, मचा हड़कंप