इलाहाबाद उच्च न्यायालय: पार्टी पर आपराधिक कार्यवाही की मांग में दाखिल याचिका खारिज

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने लोक सभा चुनाव के दौरान नेताओं की बेलगाम जबान पर नियंत्रण करने तथा चुनावी वायदे न निभाने वाली भाजपा पर आपराधिक कार्यवाही करने की मांग में दाखिल याचिका 50 हजार रूपये हर्जाने के साथ खारिज कर दी है और कहा है कि नेताओं के भाषणों को लेकर याची उचित फोरम पर शिकायत कर सकता है।

Update: 2019-05-14 16:31 GMT

प्रयागराज: इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने लोक सभा चुनाव के दौरान नेताओं की बेलगाम जबान पर नियंत्रण करने तथा चुनावी वायदे न निभाने वाली भाजपा पर आपराधिक कार्यवाही करने की मांग में दाखिल याचिका 50 हजार रूपये हर्जाने के साथ खारिज कर दी है और कहा है कि नेताओं के भाषणों को लेकर याची उचित फोरम पर शिकायत कर सकता है।

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यह आदेश न्यायमूर्ति शशि कान्त गुप्ता तथा न्यायमूर्ति पंकज भाटिया की खण्डपीठ ने अलीगढ़ के खुर्शीदुर्रहमान उर्फ आर. रहमान की याचिका पर दिया है। कोर्ट ने कहा है कि कोर्ट अन्तर्निहित शक्तियों का प्रयोग ऐसी याचिकाओं पर नहीं कर सकती। ऐसी याचिका प्रचार के लिए दाखिल की गयी है। यह न्यायिक प्रक्रिया का दुरूपयोग है। सुप्रीम कोर्ट ने भी हाईकोर्ट में बढ़ते मुकदमों की संख्या के लिए व्यर्थ की याचिकाओं को सुनवाई हेतु स्वीकार करने को माना है और कहा है कि व्यर्थ की याचिकाओं पर भारी हर्जाना लगाकर हतोत्साहित किया जाना चाहिए। कोर्ट ने हर्जाना राशि एक माह में जमा करने तथा उसे एडवोकेट एसोसिएशन को अधिवक्ता कल्याण में खर्च करने के लिए देने का आदेश दिया है और कहा है कि हर्जाना न जमा करने पर राजस्व वसूली प्रक्रिया अपनायी जाय।

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याची का कहना था कि 2014 के चुनाव में भाजपा ने चुनावी वायदे किये, जनता को गुमराह कर वोट प्राप्त कर लिया और वायदे पूरे नहीं किये। जिसके लिए पार्टी पर आपराधिक कार्यवाही की जानी चाहिए। याचिका में राष्ट्रपति, मुख्य चुनाव आयुक्त व एसएसपी अलीगढ़ को पक्षकार बनाया गया था। चुनाव आयोग के अधिवक्ता बी.एन सिंह का कहना था कि वायदा पूरा न करने पर पार्टी के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही नहीं की जा सकती। जनतंत्र में जनता तय करे कि उस पार्टी को वोट देना है या नहीं। कोर्ट ने याचिका हर्जाने के साथ खारिज कर दी है।

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