UP Politics: अखिलेश-राजभर की राहें होंगी जुदा, NDA की राष्ट्रपति उम्मीदवार द्रोपदी मुर्मू को होगा फायदा!
UP Politics: यशवंत सिन्हा की अगुवाई करने आरएलडी अध्यक्ष जयंत चौधरी और सपा के वरिष्ठ नेता आजम खान समेत तमाम विधायक मौजूद थे। लेकिन ओमप्रकाश राजभर नदारद दिखे।
UP Politics: अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) और ओमप्रकाश राजभर (Omprakash Rajbhar) के बीच सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। गुरुवार को विपक्ष के राष्ट्रपति उम्मीदवार यशवंत सिन्हा (Yashwant Sinha) वोट मांगने लखनऊ पहुंचे तो अखिलेश यादव उन्हें एयरपोर्ट से रिसीव कर अपने पार्टी कार्यालय ले आए। जहां यशवंत सिन्हा की अगुवाई करने आरएलडी अध्यक्ष जयंत चौधरी (Jayant Choudhary) और सपा के वरिष्ठ नेता आजम खान (Aajam Khan) समेत तमाम विधायक मौजूद थे। लेकिन उसमें सपा के सहयोगी ओमप्रकाश राजभर और उनकी पार्टी के विधायक नदारद दिखे। ओपी राजभर से जब इस बारे में पूछा गया तो उनका कहना था बिना बुलाए कैसे जा सकते हैं। ऐसे में यह कयास लगाए जा रहे हैं कि ओपी राजभर की अब अखिलेश यादव से राहें जुदा हो जाएंगी।
ओपी राजभर को लेकर पहले से ही कयासबाजी का दौर चल रहा था। गुरुवार को हुई बैठक में उनके ना शामिल होने के बाद वह एनडीए की प्रत्याशी द्रौपदी मुर्मू को अपना वोट दे सकते हैं। आज द्रोपदी मुर्मू वोट मांगने लखनऊ पहुंच रही हैं। इस बीच ओमप्रकाश राजभर भी अपनी पार्टी के नेताओं की आपात बैठक बुलाई है जिसमें आगे की रणनीति तय करेंगे।
अखिलेश पर हमलावर ओपी राजभर
यूपी विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद ओमप्रकाश राजभर अखिलेश यादव के लेकर कई बार बयान दे चुके हैं की एसी के कमरों में बैठकर राजनीति नहीं हो पायेगी। उसके बाद आजमगढ़, रामपुर लोकसभा चुनाव में हार के बाद राजभर ने फिर से अखिलेश पर निशाना साधा था। जिसके बाद अखिलेश ने भी उन्हें नसीहत दी कि समाजवादी पार्टी को किसी को राय देने की जरूरत नहीं है। इसके बाद गुरुवार को हुई बैठक में उन्हें नहीं बुलाया गया।
जिसके बाद आज ओमप्रकाश राजभर अब बैठक कर आगे का फैसला ले सकते हैं। राजभर अब द्रौपदी मुर्मू के समर्थन में वोट कर सकते हैं उनके पास 6 विधायक हैं। राष्ट्रपति चुनाव में एक विधायक के वोट का मूल्य 208 और एक सांसद का मूल्य 700 वोट होता है। राजभर की पार्टी के छह विधायकों का कुल वोट 1248 होगा जो एनडीए के लिए लाभदायक हो सकता है।
राजभर का अगला राश्ता क्या?
ओमप्रकाश राजभर अपने बयानों के लिए जाने जाते हैं। 2017 के चुनाव में वह भारतीय जनता पार्टी के साथ गठबंधन कर मैदान में उतरे थे। जीत के बाद उन्हें कैबिनेट मंत्री भी बनाया गया। लेकिन वह अपनी ही सरकार पर हमलावर रहते, सीएम योगी पर सवाल उठाते। जिससे आजिज बीजेपी ने उन्हें सरकार से बाहर कर दिया था। उसके बाद ओपी राजभर बीजेपी पर और हमलावर हो गए और 2022 के चुनाव में वह अखिलेश यादव के साथ मिलकर चुनाव लड़े। सपा के साथ हुए गठबंधन से उनके छह विधायक जीत कर आए। लेकिन सरकार ना बनने पर वह सपा प्रमुख के खिलाफ ही बयानबाजी शुरू कर दी। उन्होंने अखिलेश यादव की नीतियों पर सवाल खड़े किए। अखिलेश ने भी उन्हें जवाब दे दिया है। ऐसे में अब बड़ा सवाल है कि बीजेपी पर पहले हमलावर रहने वाले राजभर अब उनके सपा प्रमुख से बिगड़ते रिश्ते के बाद उनका अगला कदम क्या होगा?