राकेश टिकैत के आंसूओं का असर, यहां BJP नेताओं का घुसना हुआ मुहाल
ताजा मामला पड़ोस के बुलन्दशहर जनपद के बीबीनगर विकासखंड के भैसाखुर गांव का है। कल शाम यहां किसान कानूनों का लाभ बताने पहुंचे भाजपा नेताओं वीरेन्द्र राणा और नीरज फोगाट का स्थानीय ग्रामीणों ने काफी विरोध किया।
मेरठ: भारतीय किसान यूनियन प्रवक्ता राकेश टिकैत की आंखों में आसूं आने के बाद पश्चिम उत्तर प्रदेश के किसानो ने बीजेपी के खिलाफ बिगुल बजा दिया है। उबाल का आलम यह है कि अब मेरठ, बिजनौर, शामली, आदि जगह-जगह ग्रामीण इलाकों में बीजेपी नेताओं का खुलकर विरोध होने लगा है। कई गांवों के तो सोशल मीडिया पर वीडियों भी वायरल हो रहे हैं।
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जनपद के बीबीनगर विकासखंड के भैसाखुर गांव का है
ताजा मामला पड़ोस के बुलन्दशहर जनपद के बीबीनगर विकासखंड के भैसाखुर गांव का है। कल शाम यहां किसान कानूनों का लाभ बताने पहुंचे भाजपा नेताओं वीरेन्द्र राणा और नीरज फोगाट का स्थानीय ग्रामीणों ने काफी विरोध किया। हालात को भांप भाजपा नेताओं ने मौके से निकलने में ही अपनी भलाई समझी। इस घटना का वीडियों स्थानीय किसी ग्रामीण ने सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया। जिसको विपक्ष के स्थानीय नेताओं ने भी हाथो-हाथ लपकते हुए शेयर कर दिया।
घटना के समय वह गांव से बाहर गये हुए थे
भैसाखुर गांव के प्रधानपति दलीप सिंह ने न्यूजट्रैक के साथ बातचीत में वीडियों की सत्यता की पुष्टि तो की है। लेकिन कहा है कि घटना के समय वह गांव से बाहर गये हुए थे। उन्होंने बताया कि वापस लौटने पर गांव के लोंगो से उन्हें घटना की जानकारी मिली।
उनके संज्ञान में भी यह घटना आई है
उधर,भाजपा के जिलाध्यक्ष अनिल सिसौदिया ने न्यूजट्रैक के साथ बातचीत में घटना को लेकर इतना ही कहा कि उनके संज्ञान में भी यह घटना आई है। लेकिन, यह कोई बड़ी बात नही है। भाजपा का विरोध केवल गिने-चुने वही लोग कर रहे हैं,जिन्हें कृषि कानूनों के बारे में सही जानकारी नही है। बकौल अनिल सिसौदिया ,विपक्ष किसानों को बरगलाने का प्रयास कर रहा है। लेकिन,विपक्ष की दाल गलने वाली नही है। आने वाले दिनों में किसान नये कृषि कानूनों का महत्व समझ ही लेंगे।
जो भी बीजेपी का नेता गांव में आएगा उसके साथ जो भी होगा, उसका वह स्वयं जिम्मेदार होगा
बता दें कि उससे पहले बीजेपी के खिलाफ जनपद शामली के गांव कसेरवा खुर्द और पिंडारा के ग्रामीणों ने बीजेपी नेताओं के प्रवेश पर पाबंदी वाले पोस्टर चस्पा कर दिये है। अब देखना होगा कि बीजेपी सरकार के नुमाइंदे किस तरह से किसानों का विरोध झेलते हुए गांव में प्रवेश करते हैं क्योंकि गांव वालों ने पोस्टर पर साफ लिख दिया है कि जो भी बीजेपी का नेता गांव में आएगा उसके साथ जो भी होगा, उसका वह स्वयं जिम्मेदार होगा।
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किसान आंदोलन, भाजपा के विजय रथ को रोक सकता है
बहरहाल,ताजा हालात पर स्थानीय राजनीतिक जानकारों का कहना है कि किसान आंदोलन, भाजपा के विजय रथ को रोक सकता है। पार्टी को अपनी जिद और संभावित राजनीतिक नुकसान में से किसी एक को चुनना होगा। यानी इनमें से एक का पीछे छूटना लगभग तय है। अगले साल विधानसभा चुनाव हैं। इससे पहले पंचायती चुनाव है। जाहिर है कि ताजा हालात में गांवों में चुनाव प्रचार करना पार्टी नेताओं के लिए टेढ़ी खीर होगा।
रिपोर्ट- सुशील कुमार
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