Eid Mubarak! इस बार मायूसी वाला चांद, कुछ ऐसे भी हैं जो कह भी नहीं सकते ईद मुबारक

Eid Mubarak! फरीद, हर साल ईद के दौरान तख्ता डाल अपनी कपड़ों की दुकान लगाते हैं। सोमवार को तो बोहनी भी नहीं हुई। अब परेशान हैं कि चाँद रात है, बच्चे इंतजार में होंगे कि ।

Report :  Rishi Bharadwaj
Published By :  Shashi kant gautam
Update:2022-05-02 20:50 IST

कल देश ईद मनाएगा- महंगाई इतनी की बाज़ार में खरीददार नहीं: Photo - Newstrack

Lucknow News: आज चाँद रात है। कल देश ईद (Eid 2022) मनाएगा, खुशियाँ चेहरों पर नजर आएंगी.. लेकिन इन सबके बीच कुछ ऐसे होंगे जो बा मुश्किल तमाम अपने बच्चों के लिए खुशियां खरीद सकेंगे। कोरोना और महंगाई ने इन्हें मजबूर कर दिया है। बाजार सजे हैं। भीड़ भी है लेकिन खरीददार नहीं।

देखिए हमारी खास रिपोर्ट

फरीद हर साल ईद और होली के दौरान दुकान के बाहर तख्ता डाल अपनी कपड़ों की दुकान लगाते हैं। उनके पास सभी के लिए कपड़े होते हैं। इस तख्ता लगाने के बदले में उन्हें दुकान मालिक को 5 से 6 हजार रूपये देने होते हैं। कोरोना से पहले दुकान कभी 20 दिन तो कभी 15 दिन के लिए लगती थी। कोरोना से पहले तक वो हर ईद पर तख्ता लगाते थे साथ में 2 हेल्पर भी होते थे। अच्छी कमाई हो जाती थी। लेकिन इस रमजान 10 दिन से दुकान लगाए हैं। अभी तक सिर्फ 8 सौ की कमाई हुई है। सोमवार को तो बोहनी भी नहीं हुई। अब परेशान हैं कि चाँद रात है, बच्चे इंतजार में होंगे कि अब्बा कपड़े और सामान लायेंगे। फरीद की दुकान में जो सबसे महंगा कुर्ता पैजामा है उसकी कीमत सिर्फ 350 रु है लेकिन फिर भी खरीदी नहीं हो रही।


बाज़ार में खरीददार नहीं

यही हाल मो. नबी का है। फुटपाथ (sidewalk shopkeeper) पर दुकान लगाते हैं। 200 रु हर दिन देने होते हैं। ग्राहकों का इंतजार कर रहे हैं। उम्मीद थी कि इतवार को अच्छी कमाई होगी। लेकिन शाम तक सिर्फ 600 की बिक्री हुई और इसमें भी उनको बचे सिर्फ 50 रूपये, 150 रु उन्होंने किसी और से उधार लेकर रोजाना वाला पैसा चुकाया। आज चांदरात है उम्मीद थी कि आज अगला पिछला सब बराबर कर लेंगे। लेकिन आधा दिन बीत गया कुछ बिका नहीं। उन्होंने बताया आज वो पूरी रात दुकान खोलेंगे। अल्लाह बड़ा कारसाज है, वो इतना देगा कि अम्मा अब्बू के लिए अच्छे कपड़े खरीद सकेंगे और सिवैया पकाने के लिए खोवा दूध और मेवे खरीद लेंगे।


दुकान के खर्च भी नहीं निकल रहे हैं

अतीक की दुकान है। पूरे दिन ग्राहक तो आते हैं। लेकिन पूरी दुकान पलटवा देते हैं। लेकिन शाम में गल्ले में इतने नहीं होते कि दुकान के खर्च भी निकाल सकें। एक हेल्पर भी रखा है उसे गांव जाना है। कैसे भेजेंगे यही सोच के हलकान हैं.. और बीवी बच्चों की टेंशन अलग है। अतीक कहते हैं पुराने लखनऊ में खबर है कि लॉकडाउन फिर लगने वाला है ऐसे में लोग खरीदी करने से कतरा रहे हैं। दो ईद तो कोरोना में सब्र कर के निकाल दीं सोचा था इस बार अच्छे से त्यौहार मनाएंगे लेकिन इस बार भी आसार अच्छे नहीं लग रहे।


मो. इमरान का स्टोर है काजमैन में। 40 हजार का माल भरा था। जिसका इफ्तारी और ईद में प्रयोग होता है। आज चांदरात आ गई लेकिन ये 40 हजार के माल में अभी भी लगभग 12 से 15 हजार का माल बाकि बचा है। इमरान बताते हैं कि पहले ऐसे नहीं होता था। रमजान भर में हमें कई बार माल लाना पड़ता था और चाँद रात वाले दिन तो ग्राहक से दुकान भरी रहती थी।


इमरान ने हमें बताया कि किशमिश 300 से 350, सेवई 100 से 130, सूतफैनी 120 से 150, नारियल गोला 200 से 240, छुआरा 150 से 200 प्रति किलो बिक रहा है इसीतरह बादाम 600 से 750, काजू 650 से 750, पिस्ता 2000 से 2500 और चिरौंजी 1000 से 1400 रु प्रति किलो है। ऐसे में कहां कोई अधिक खरीदेगा उसके बाद दूध मावा भी लगता है। अब तो बस त्यौहार है इसलिए मनाना है ग्राहकी मंदी पडी है। सिराज की अमीनाबाद में कपड़ों कि दूकान है। वो कहते हैं कपडे 30 परसेंट तक महंगे हो चुके हैं। भाड़ा बढ़ गया है। इसलिए कम खरीदी हो रही है।


क्या कहते हैं ग्राहक

अजीज कहते हैं त्योहार रस्म अदायगी भर रह गए हैं। रोजा इफ्तार करना भी मुश्किल है। सुलेमान ने बताया ईद है, इसलिए सिर्फ उतना ही सामान खरीद रहे कि बच्चे खुश हो जाएं हमें क्या है कई ईद देख चुके हैं। शुएब ने बताया हर एक सामान में तो महंगाई की आग लगी है। जेब में कितना भी पैसा हो पूरा ही नहीं पड़ता। ईद है मनानी भी है। इसके साथ ही घर के खर्चे भी देखने हैं।


फैज कहते हैं ये ईद गरीबों के लिए मायूसी लेकर आई है। मां, बाप, बीवी ने तो महंगाई के चलते आस छोड़ दी है। बच्चों का दिल बहल जाए इसलिए बाजार आ गए हैं।

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