अंधेरे में है रानी लक्ष्मी बाई का स्मारक, बिजली विभाग ने खड़े किए हाथ
बात-बात में देशभक्ति का राग अलापने वाले भारतीय जनता पार्टी (BJP) शासन में महापुरुषों के स्मारकों का क्या हाल ये देखना हो तो चले आईए प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में। अंग्रेजों के साथ आजादी की लड़ाई लड़ने वाली वीरांगना लक्ष्मीबाई का रविवार को जन्म दिन है। लेकिन उनका स्मारक अंधेरे में है। मोमबत्ती की रोशनी में सोए प्रशासन को जगाने की कोशिश की जा रही है।
वाराणसी: बात-बात में देशभक्ति का राग अलापने वाले भारतीय जनता पार्टी (BJP) शासन में महापुरुषों के स्मारकों का क्या हाल ये देखना हो तो चले आईए प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में। अंग्रेजों के साथ आजादी की लड़ाई लड़ने वाली वीरांगना लक्ष्मीबाई का रविवार को जन्म दिन है। लेकिन उनका स्मारक अंधेरे में है। मोमबत्ती की रोशनी में सोए प्रशासन को जगाने की कोशिश की जा रही है।
दरअसल, बिजली विभाग ने पिछले दिनों लक्ष्मीबाई की भदैनी स्थित जन्म स्थली परिसर की लाइट काट दी। हवाला दिया गया कि परिसर में बिजली कनेक्शन नहीं लिया गया है।
क्यों कटी है बिजली ?
वास्तव में इन दिनों भदैनी क्षेत्र में इंटीग्रेटेड पावर डेवलपमेंट स्कीम के तहत बिजली के तार अंडरग्राउंड किए जा रहे हैं। जहां यह कार्य पूरा होता जा रहा है कनेक्शन और मीटर संबंधित कागज देखने के बाद तार जोड़े रहा हैं। पिछले इस जब तार जोड़े जा रहे थे उसी दौरान लक्ष्मीबाई स्मारक में बिजली कनेक्शन संबंधित कागजात नहीं दिखाने पर बिजली कर्मचारियों ने बत्ती गुल कर दी। चूंकि यह स्मारक नगर निगम के अधीन आता है, लिहाजा केयरटेकर ने इसकी जानकारी संबंधित अधिकारियों को दी लेकिन किसी ने इसकी सुध नहीं ली। वहीं महापुरुषों की स्मारकों के साथ इस तरह के मजाक को लेकर लोगों में गुस्सा बढ़ने लगा है।
बिजली विभाग ने खड़े किए हाथ
वहीं बिजली विभाग के अधिकारियों के मुताबिक, निजी या सरकारी स्तर पर बिना कनेक्शन बिजली जलाने की अनुमति नहीं दी जा सकती। सपा सरकार में 4 करोड़ रुपए की लागत से इस स्मारक का निर्माण कराया गया। पर्यटन विभाग ने इस स्मारक का निर्माण कराया। बाद में काम पूरा होने पर इसे नगर निगम को हैंडओवर कर दिया। हैरानी इस बात की है कि डेढ़ साल के दौरान नगर निगम ने परिसर में बिजली की कोई ठोस व्यवस्था नहीं की। लिहाजा इसका खामियाजा सैलानियों को उठाना पड़ रहा है।