'स्कूटर वाला विधायक': कड़कती धूप में करता है ये काम, जीता है ऐसी जिंदगी

राजनीतिक रसूख वाले लोग सत्ता की हनक व रौब में नजर आते हैं। वहीं कुछ ऐसे में भी नेता है जो राजनीतिक पद पर रहते हुए भी किसी आम व्यक्ति से कम नहीं है।

Update: 2020-02-12 10:54 GMT

भदोही: ज्यादातर मामलों में राजनीतिक रसूख वाले लोग सत्ता की हनक व रौब में नजर आते हैं। वहीं कुछ ऐसे में भी नेता है जो राजनीतिक पद पर रहते हुए भी किसी आम व्यक्ति से कम नहीं है। ऐसे ही एक विधायक के बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं। इस विधायक से मिल आपको महसूस ही नहीं होगा कि इनमे सत्ता में होने का कोई घमंड या नेताओं के बडबोलेपन जैसी बात है। जिस विधायक के बारे में हम बात कर रहे हैं, वो उत्तर प्रदेश के भदोही जिले से भाजपा नेता डॉ. पूर्णमासी पंकज।

भाजपा नेता डॉ. पूर्णमासी पंकज:

दरअसल, उत्तर प्रदेश के भदोही जिले से भाजपा नेता डॉ. पूर्णमासी पंकज दो बार पार्टी से विधायक रह चुके हैं। ये वो नेता हैं जो राजनीतिक रसूख के दौर में दोपहिया वाहन से चलते हैं। वहीं अपने परिवार की आजीविका के लिए विधानसभा से मिलने वाली पेंशन पर निर्भर हैं।

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इसके अलावा पूर्व विधायक खेती भी करते हैं। बता दें कि इस समय प्रदेश में योगी की सरकार हैं और वहीं केंद्र में भी भाजपा के प्रभुत्त्व वाली मोदी सरकार है। लेकिन इसके बाद भी इस भाजपा नेता में राजनीति और सत्तारूढ़ दल में होने का कोई घमंड नहीं, न ही वह इससे कोई लाभ लेना चाहते हैं।

बल्कि इन सबके बावजूद भी वह गेहूं की कटाई और अरहर की मड़ाई जैसे खेती से जुड़े काम करते हैं। तेज धूप में अरहर और गेहूं का बोझ ढोते हैं।

पूर्व विधायक के पास आज एक भी चार पहिया गाड़ी नहीं है। दो साल पहले तक अपनी एलएमएल वेस्पा स्कूटर से चलते थे। भले ही अब उनके पास एक बाइक है लेकिन पहचान स्कूटर वाले विधायक के रूप में ही है।

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ऐसा है इनका पारिवारिक और राजनीतिक जीवन:

पूर्व विधायक पंकज भदोही जिले के दुर्गागंज के गदौर गडोरा गांव के रहने वाले हैं। वहीं पेशे से शिक्षक रहे हैं। बता दें कि PHD डिग्री धारक पंकज जब पहली बार विधायक चुने गए तो भी वह शिक्षक ही थे। पंकज साल 1991 में पहली बार भदोही से विधायक चुने गए।

उनकी छवि एक ईमानदार विधायक के तौर पर रही। उनकी विधायकी के दौरान दिसंबर 1992 में अयोध्या में विवादित ढांचा गिर गया था, जिसके बाद भाजपा की सरकार गिर गयी। फिर 1993 में एसपी-बीएसपी के गठबंधन में उन्हें हार का सामना करना पड़ा।

वहीं पंकज 1996 में दूसरी बार भदोही के चुनावी मैदान में फिर उतरे और चुनाव जीत गये। वर्तमान में भले ही वह सत्ता से दूर हैं लेकिन वह खुद कहते हैं कि हमेशा पार्टी और संघ के सिपाही बने रहेंगे।

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