अब किसने कहा- ‘ताज-मोहब्बत का नहीं वासना की शिकार मुमताज़ के शोषण का प्रतीक’

Update:2017-10-22 15:42 IST

लखनऊ: ताजमहल—मोहब्बत का प्रतीक नहीं है बल्कि एक विलासी ‘मुग़ल’ बादशाह की वासना की शिकार ‘नाबालिग़’ मुमताज़ के शोषण का प्रतीक है। रिटायर आईएएस सूर्य प्रताप सिंह ने अपने फेसबुक वाल पर लिखा है कि अपनी 14वीं संतान को जन्म देते समय मुमताज का निधन हो गया। इस कारण शाहजहां के दरबारियों व जनता में उत्पन्न रोष को दबाने और मुमताज के प्रति छद्म प्रेम दिखाने के किए ताजमहल बनाया गया था, न कि मुमताज़ के सच्चे प्रेम के वशीभूत होकर।

इतिहासकारों का हवाला देते हुए उन्होंने लिखा है कि शाहजहाँ के हरम में सैंकड़ों हिंदू-मुस्लिम रखैल थी। मुग़लों से जुड़ा यह घिनौना सच किसी से छिपा नहीं है। सूर्य प्रताप सिंह ने शाहजहां पर सवाल खड़ा करते हुए कहा भी है कि क्या शाहजहां एक पशुजन्य वासना ग्रस्त अय्याश था या नहीं? ‘नारी’ को वस्तु/मशीन समझने वाले घिनौने/दरिंदे शाहजहाँ द्वारा निर्मित ‘ताजमहल’ को क्या प्रेम का प्रतीक कहना उचित होगा? क्या इसे ‘राष्ट्रीय धरोहर’ कहना उचित होगा...या फिर ये केवल मुग़लों की वासनाग्रस्त अय्याशी का प्रतीक हो सकता है? अपनी सफाई में उन्होंने यह भी लिखा है कि ये तथ्य इ​तिहास से लिए गए हैं। यदि कोई विरोध करता है तो मैं जवाब देने के लिए तैयार हूं।

उन्होंने आगे लिखा है कि मुमताज महल, शाहजहाँ की आठ बेगमों में से दूसरी बेगम थी। शाहजहाँ के एक पर्सियन अमीर दरबारी अब्दुल हसन आसफ़ खान की बेटी थी। उनका जन्म 27 अप्रेल 1593 को हुआ। शाहजहाँ ने उसकी ख़ूबसूरती को देख 14 वर्ष की नाबालिग़ को पिता के विरोध के बावजूद ज़बरदस्ती अपनी हरम में ‘रखैल’ के रूप में रख लिया था। बाद में 19 वर्ष की उम्र में वर्ष 1612 में निकाह कर लिया। मुमताज़ महल ने शाहजहाँ के 14 बच्चों को जन्म दिया और 14 वीं संतान के पैदा होते समय 38 वर्ष की आयु में 16 जून, 1631 को मृत्यु हो गयी। 18 साल के विवाहित जीवन में 14 संतानों को जन्म दिया अर्थात लगभग पूरा विवाहित जीवन ‘PREGNANCY’ में ही बीता।

शाहजहाँ ने मुमताज़ को एक बच्चा पैदा करने की मशीन के रूप में अर्थात एक वस्तु (Commodity) के रूप में इस्तेमाल कर ‘नारी शरीर’ का शोषण किया। ये कैसा प्रेम ? ये केवल ‘पशुवत’ वासना ही हो सकती है। आत्मिक कोमल प्रेम पारस्परिक होता है और उसमें नारी को कभी उपभोग की ‘वस्तु’ के रूप में नहीं देखा जा सकता।

सूर्य प्रताप सिंह ने यह भी लिखा है कि शाहजहाँ की आठ बेगमों में अकबराबादी महल, मुमताज महल, हसीना बेगम, मुति बेगम, कुदसियाँ बेगम, फतेहपुरी महल, कन्दाहरी बेग़म व सरहिंदी बेगम प्रमुख थीं। 58 वर्ष के शाहजहाँ ने अपने एक ‘हिंदू-ब्राह्मण’ कारिंदे की 13 वर्षीय ख़ूबसूरत कन्या ‘मनभाविथी’ को भी ज़बरन छीन लिया था और फिर उसके पिता के विरोध करने पर पिता को मौत के घाट उतार कन्या का धर्म परिवर्तन कराया, फिर छद्म ‘निकाह’ कर जीवनपर्यंत ‘शोषण’ किया था।

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