उत्तर प्रदेश बोर्ड परीक्षा : नकल में हुई सख्ती तो पड़ गए बीमार

Update:2018-03-09 14:54 IST

सुधांशु सक्सेना

लखनऊ: इस बार सरकार ने नकलविहीन परीक्षाएं कराने की ठानीं तो कई परीक्षार्थियों के पसीने छूट गए। नतीजा ये रहा कि अब तक करीब 11.5 लाख छात्र-छात्राएं बोर्ड परीक्षाएं छोड़ चुके हैं। परीक्षा छोड़ी क्यों? इसके भी अजब-गजब बहाने हैं।

. 1 - तबियत खराब हो गई

यूपी बोर्ड परीक्षा में पंजीकृत छात्र अर्जुन रावत (बदला हुआ नाम) जिनका अनुक्रमांक xxxxx69 है। अर्जुन के मुताबिक - ‘परीक्षा से पहले अचानक तबियत खराब हो गई। डॉक्टर को दिखाया तो पता चला कि एंग्जाइटी और दबाव के कारण ही अनिद्रा, सिरदर्द आदि की शिकायत बनी हुई है।

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डॉक्टर ने रोजाना व्यायाम करके स्ट्रेस रिलीज करने की सलाह दी थी। लेकिन इसी बीच पेपर शुरू हो गए, जब घर पर बताया तो किसी ने मेरी बात नहीं मानी। इसलिए सेटिंग से मेडिकल बनवाकर घरवालों को यकीन दिलाया। हालांकि अभी ये समस्या बनी हुई है। उम्मीद है कि ठीक हो जाएगी।’

. 2 - सेंटर में नहीं कोई सुविधा

मलिहाबाद स्थित जनता इंटर कालेज में दुर्गेश तिवारी (बदला हुआ नाम) का सेंटर पड़ा था। दुर्गेश का कहना है कि जब वह परीक्षा देने गए तो वहां अधबने कमरे में बैठाया गया। जब पेपर शाम वाली शिफ्ट में पड़ा तो अंधेरे में परीक्षा करवाई गई। इस वजह से वह कुछ भी ठीक से नहीं लिख पाए और पेपर खराब हो गया। इसकी शिकायत भी की, लेकिन कोई सुनने वाला नहीं है। इसी कारण अब परीक्षा देने नहीं जा रहे हैं और अगले साल ही परीक्षा देंगे।

. 3 - सख्ती के चलते पड़ता है मानसिक दबाव

राजधानी के अयोध्या सिंह मेमोरियल पब्लिक इंटर कालेज के छात्र संजू पाल (बदला हुआ नाम) ने बताया कि इस बार की बोर्ड परीक्षा में सख्ती के नाम पर काफी मानसिक दबाव बनाया जा रहा है। डर के मारे संजू और उनके कुछ अन्य मित्रों ने इस तरह बोर्ड परीक्षा देने से किनारा कर लिया है। संजू के मुताबिक माहौल डर का नहीं होना चाहिए, इससे पढने वाले स्टूडेंट्स पर बहुत प्रभाव पड़ता है। स्टूडेंट परीक्षा कक्ष में खुद को असहज न महसूस करे यह भी अधिकारियों की प्राथमिकता होनी चाहिए।. 4 - परीक्षा केंद्र पर कक्ष निरीक्षकों बेवजह डांटते हैं

लतीफपुर के एसएमएसएस इंटरमीडिएट कालेज सेंटर के कक्ष निरीक्षक द्वारा बेवजह डांटने और परीक्षा के समय डिस्टर्ब करने का कारण बताते हुए छात्र ने बोर्ड परीक्षा से ही किनारा कर लिया। हालांकि छात्र की शिकायत पर डीआईओएस डॉ मुकेश सिंह ने परीक्षा केंद्र का दौरा करके सब कुछ सही बताया। फिर भी इस सेंटर पर कई छात्र परीक्षा से नदारद ही रहे।

ये चार बहाने तो महज बानगी भर हैं लेकिन इस बार अलग अलग बहाने करके बोर्ड परीक्षा के लिए पंजीकृत कुल 67,29,540 छात्रों में से साढ़े 11 लाख छात्र परीक्षा छोड़ चुके हैं। नकल के लिहाज से राजधानी में ही 17 संवेदनशील और 24 अतिसंवेदनशील परीक्षा केंद्र हैं। माध्यमिक शिक्षा विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि यूपी बोर्ड परीक्षा में नकल का कारोबार करोड़ो में है।

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प्रदेश के 31 जिले हमेशा से माध्यमिक शिक्षा विभाग की रडार पर रहे हैं। इनमें शाहजहांपुर, मुरादाबाद, बदांयू, संभल, हरदोई, गोंडा, अंबेडकर नगर, सुल्तानपुर, संतकबीरनगर, सिदधार्थनगर, कुशीनगर, आगरा, अलीगढ़, मथुरा, हाथरस, एटा, मैनपुरी, फिरोजाबाद, कासगंज, आजमगढ़, जौनपुर, इलाहाबाद, कौशांबी, कानपुर नगर, कानपुर देहात, फतेहपुर, चित्रकूट, बलिया, देवरिया, भदोही और गाजीपुर में ऐसा काम ज्यादा होता है। वालेंट्री एक्शन फॉर सोशल ट्रांसफार्मेशन (वास्ट) के संयोजक जय प्रकाश सिंह ने बताया कि तीन साल पहले करीब 500 करोड़ से अधिक का नकल करोबार हुआ था। यह अब भी दबे छुपे जारी है।

200 रुपये में मिलती थी फर्जी छात्र को मान्यता

माध्यमिक शिक्षक संघ के प्रादेशिक मंत्री डॉ आर पी मिश्र ने बताया कि इस बार सख्ती ज्यादा है लेकिन पिछली सरकारों में फर्जी छात्रों को बैठाने से लेकर उन्हें पास कराने तक के टेंडर लेना आम बात थी। फर्जी छात्रों के पंजीकरण को 200 रुपये में मान्यता मिलती थी। परीक्षा केंद्रों के निर्धारण में 2 लाख से 5 लाख तक लिए जाते थे। मनचाहे परीक्षा केंद्रों में परीक्षार्थियों को भेजने के लिए 200 प्रति छात्र देना होता था। अगर मनचाहा कक्ष निरीक्षक बनवाना होता था तो उसका परिचय पत्र बनवाने का सुविधा शुल्क 500 से 1000 तक तय था। यह सारा खेल मंडलीय और जनपदीय शिक्षा अधिकारी भ्रष्टाचार में लिप्त प्रबंधकों से सांठ गांठ करके अंजाम देते थे।

खटारा गाडिय़ों से चलते हैं सचल दस्ते

नकल रोकने के लिए हर जिले में 10 से 11 सचल दस्तों का गठन औचक निरीक्षण के लिए किया गया है। राजधानी में भी नजर रखने के लिए 8 फ्लाइंग स्कवैड हैं। लेकिन इन सचल दस्तों में तैनात अधिकारियों ने बताया कि ऐसे खटारा वाहन उपलब्ध कराए गए हैं कि अगर हम किसी केंद्र में औचक निरीक्षण करना चाहें तो गाड़ी खराब होने का डर बना रहता है।

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‘जो छात्र सिर्फ नकल के दम पर बोर्ड परीक्षा पास करने की सोच रहे थे, उन्हें निश्चित रूप से झटका लगा है। जो छात्र परीक्षा के लिए पूरी तरह तैयार थे, उन्हें इस बार कोई दिक्कत नहीं हुई है। हमें नकलविहीन परीक्षा कराने के लिए कई जगह से बधाई भी मिली है। इस बार सरकार और विभाग की सख्ती का सबको अंदाजा है।’

- नीना श्रीवासतव, सचिव माध्यिमक शिक्षा

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