अब होगा विस्तार किसान आंदोलन का, यूपी के इन जिलों में जोरदार तैयारियां

किसान आंदोलन का अब विस्तार करने की तैयारियों जोरो-शोरों से हो रही हैं। ऐसे में इसके लिए किसान पंचायतों का सिलसिला शुरू हो गया है। नरेश टिकैत जोकि भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष है वो अवध के बाराबंकी और पूर्वांचल के मुंडेरवा(बस्ती) में किसान महापंचायतों को संबोधित कर चुके हैं।

Update:2021-03-01 11:02 IST
दिल्ली बॉर्डर पर जारी किसान आंदोलन का अब विस्तार करने की तैयारियों जोरो-शोरों से हो रही हैं। ऐसे में इसके लिए किसान पंचायतों का सिलसिला शुरू हो गया है।

नई दिल्ली: दिल्ली बॉर्डर पर बीते तीन महीनों से जारी किसान आंदोलन का अब विस्तार करने की तैयारियों जोरो-शोरों से हो रही हैं। ऐसे में इसके लिए किसान पंचायतों का सिलसिला शुरू हो गया है। नरेश टिकैत जोकि भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष है वो अवध के बाराबंकी और पूर्वांचल के मुंडेरवा(बस्ती) में किसान महापंचायतों को संबोधित कर चुके हैं। इसके साथ ही राष्ट्रीय लोकदल के उपाध्यक्ष जयंत चौधरी भी यूपी के लखीमपुर खीरी व बस्ती में किसान पंचायतें कर चुके हैं। वहीं अन्य तमाम जिलों में पंचायतों की तारीखों की जल्द ही घोषणा की जाएगी।

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कृषि बिलों और सरकार के हठधर्मी

ऐसे में तीन कृषि कानून बिलों की वापसी और एमएसपी की गारंटी की मांग को लेकर भाकियू पश्चिमी यूपी में आंदोलन को भड़का चुकी है। तमाम गांवों में भारतीय जनता पार्टी(BJP) नेताओं का विरोध भी हुआ है, उनके आने की पाबंदी के बैनर भी टांगे गए हैं।

जिसके चलते जवाब में भाजपा नेता, मंत्री, विधायक, सांसद गांवों में जाकर लोगों से संपर्क कर रहे हैं। लेकिन अवध, पूर्वांचल और बुंदेलखंड के कुछ किसान गाजीपुर बॉर्डर पर है, पर भाकियू की कोशिश है इन क्षेत्रों में महापंचायतें कर किसानों को कृषि बिलों और सरकार के हठधर्मी रवैये की जानकारी दी जाए।

फोटो-सोशल मीडिया

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बुंदेलखंड में किए जाने की योजना

इस बारे में भाकियू के प्रदेश उपाध्यक्ष हरिनाम सिंह वर्मा ने कहा कि मिर्जापुर, वाराणसी, गोरखपुर, फतेहपुर के अलावा एक पंचायत बुंदेलखंड में किए जाने की योजना है। भाकियू के राष्ट्रीय नेतृत्व से हरी झंडी मिलते ही तारीखों की घोषणा कर दी जाएगी।

आगे उपाध्यक्ष हरिनाम ने कहा कि डिबेट में भाजपा प्रवक्ताओं के बयानों से आहत होकर सीतापुर का किसान अपनी फसल को नष्ट करने जा रहा है। उसे समझाने की कोशिश की जा रही है। वहीं उन्होंने भाजपा नेताओं को चेताया है कि वे किसानों का अपमान करने से बाज आएं। देश का किसान तभी मानेगा जब न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कानून बने और तीनों कृषि कानून वापस हों आदोंलन जारी रहेगा।

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