Mahoba News: अस्पताल में बेखौफ डॉक्टर लिख रहे है बाहर की दवा, एसडीएम ने कार्यवाही के दिए निर्देश
Mahoba News: आर्थिक रूप से मरीजों को प्रताड़ित करने का काम महोबा जिला अस्पताल में हो रहा है। ऐसे ही एक मरीज को डॉक्टर ने 1160 रुपए कीमत की बाहर की दवा लिख दी।
Mahoba News: सरकारी अस्पताल गरीबों के लिए वरदान साबित हो इसके लिए सरकार हर संभव प्रयास कर रही है लेकिन महोबा के जिला अस्पताल में ऐसा कतई नहीं हो रहा। बाहर की दवा लिखे जाने की शिकायतों के बाद डीएम के निर्देश पर जिला अस्पताल में एक मजिस्ट्रेट की तैनाती कर दी गई लेकिन मजिस्ट्रेट के होने के बाद भी डॉक्टरों द्वारा खुलेआम मरीजों को बाहर की दवाएं लिखने का सिलसिला जारी है।
आर्थिक रूप से मरीजों को प्रताड़ित करने का काम महोबा जिला अस्पताल में हो रहा है। ऐसे ही एक मरीज को डॉक्टर ने 1160 रुपए कीमत की बाहर की दवा लिख दी। इसकी जानकारी जैसे ही मजिस्ट्रेट को लगी तत्काल आरोपी डॉक्टर के खिलाफ जांच शुरू कर दी गई जिसकी रिपोर्ट डीएम को भी भेजी गई है।
दरअसल आपको बता दें की महोबा जिला अस्पताल में मरीजों का आर्थिक शोषण करते हुए खुलेआम बाहर की दवाएं लिखने की शिकायतें आ रही है जिसको लेकर डीएम मनोज कुमार ने सख्ती दिखाते हुए डॉक्टरों की निगरानी के लिए मजिस्ट्रेट को तैनात किया है ताकि मरीजों को बाहर की दवा के लिए मजबूर न किया जाए।
मगर यहां तो हद हो गई जिला अस्पताल में ओपीडी समय पर अतिरिक्त एसडीएम राकेश कुमार बतौर मजिस्ट्रेट की मौजूदगी होने के बावजूद भी जिला अस्पताल में तैनात डॉक्टर ने मरीज को बाहर की दवा लिख दी।
मजिस्ट्रेट की तैनाती से बेखौफ डॉक्टर की हरकत एसडीएम को नागवार गुजरी है और तत्काल उक्त मामले में जांच शुरू कर दी गई। बताया जाता है कि रावतपुराखुर्द गांव में रहने वाले अजीत की 25 वर्षीय भांजी आकांक्षा जनपद जालौन के पथरिया गांव से अपना इलाज कराने पहुंची।
मानसिक रूप से बीमार आकांक्षा के पिता बृजपाल 150 किलोमीटर दूर से अपनी पुत्री को लेकर इस उम्मीद से महोबा जिला अस्पताल पहुंचे कि यहां तैनात डॉ अमरेंद्र द्वारा सही इलाज किया जाएगा तो वही सरकारी अस्पताल होने के चलते उन्हें निशुल्क इलाज का लाभ मिलेगा। मगर ऐसा नहीं हुआ।
पेशे से मजदूरी करने वाले इस परिवार को उस समय बड़ा झटका लगा जब मानसिक रोग विशेषज्ञ डॉ अमरेंद्र द्वारा मरीज आकांक्षा के इलाज के लिए 1160 रुपए की बाहर की दवा लिख दी गई। निशुल्क इलाज की उम्मीद लगाए परिवार के पास दवा खरीदने के लिए पैसे भी नहीं थे।
बाहर की दवा लिखे जाने की सूचना जैसे ही अस्पताल में तैनात मजिस्ट्रेट अतिरिक्त एसडीएम राकेश कुमार को लगी तो तत्काल मरीज और उनके तीमारदारों से मुलाकात की। बाहर की दवा लिखने वाले डॉक्टर की जानकारी होने पर मौके पर पहुंचे तो डॉक्टर अपने केबिन से नदारद हो गया।
जिसके बाद प्रभारी सीएमएस डॉ एस पी सिंह से उक्त मामले की शिकायत करते हुए आरोपी डॉक्टर के खिलाफ जांच शुरू कर दी गई तो वही मरीज को बाहर की दवा वापिस कराकर अस्पताल से दवा दिलाई गई है।
पूरे मामले में कार्यवाही के लिए डीएम को रिपोर्ट भेजने की बात मजिस्ट्रेट ने कहते हुआ कहा कि बाहर की दवा लिखना गलत है भविष्य में जो दवा अस्पताल में है उसे लिखने की भी हिदायत डॉक्टरों को दी गई है। खुलेआम जिला अस्पताल में बहार की दवा लिख कर गरीब तबके के मरीजों का आर्थिक शोषण किया जा रहा है।
इस मामले में भी आकांक्षा और उसके परिवार को आर्थिक रुप से परेशान किया गया और अब डॉक्टर अपने केबिन से नदारद है और अधिकारी एक बार फिर जांच और कार्यवाही की बात कहकर अपना पल्ला झाड़ रहे हैं।
बहरहाल अस्पताल में मजिस्ट्रेट की तैनाती से भी बेखौफ डॉक्टरों की यह मनमानी जहाँ मरीजों के लिए परेशानी का सबब है तो वहीँ स्वास्थ्य महकमें में प्रशासन का दखल बेसर दिखाई दें रहा है।