Flood in UP: बाढ़ ने मचाई तबाही, पलायन को मजबूर हुए ग्रामीण

नदियों के जलस्तर बढ़ने से किनारे बसे गांवों में बाढ़ का पानी घुस गया है।

Newstrack :  Network
Published By :  Raghvendra Prasad Mishra
Update: 2021-08-07 18:44 GMT

बाढ़ के पानी से घिरे गांव

Flood in UP: बांधों से लगातार पानी छोड़े जाने के चलते प्रदेश की कई नदियां उफान पर आ गई हैं। नदियों के जलस्तर बढ़ने से किनारे बसे गांवों में बाढ़ का पानी घुस गया है। प्रस्तुत है जिलों से बाढ़ पर रिपोर्ट...

हरदोई: गंगा की तलहटी में बसे गांवों के लोगों की बढ़ी बेचैनी


जिले में कई गांव नदियों के किनारे बसे है, ऐसे में संभावित बाढ़ को देखते हुए ग्रामीणों में तरह तरह की आशंकाएं है। दरअसल यहां प्रति वर्ष बाढ़ की वजह से लोग प्रभावित हो जाते है। पंचनद से घिरे प्रभावित गांवों के किनारे प्रशासन ने बाढ़ से निपटने के लिए पुख्ता इंतजाम किए हैं। प्रशासन का दावा है कि बाढ़ के हालात से निपटने के लिए बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में ड्रेजिंग का कार्य कराया गया है।सभी बाढ़ राहत चौकियों को अलर्ट कर दिया गया है। हालांकि गांव वासी भयभीत हैं और प्रशासन के कार्य को नाकाफी ही बता रहे हैं।

बांधों से छोड़े जा रहे पानी के चलते लगातार नदियों का जलस्तर बढ़ता जा रहा है। अभी तक गंगा में करीब तीन लाख 29808 क्यूसेक पानी छोड़ा गया है।रामगंगा का जलस्तर 134.70 मीटर पर आ गया। गर्रा का जलस्तर 144.65 मीटर पर आ गया। दूसरी तरफ गंगा में बढ़ते जल स्तर से सबसे ज्यादा चिरंजूपुरवा और सोनारीपुरवा के ग्रामीण डरे हुए हैं। गांव निवासी जगमोहन का कहना है कि मजदूरी कर रोजी रोटी तो चला लेंगे, लेकिन घर कट जाने से आखिर रहेंगे कहां? इतना इंतजाम भी नहीं है कि मकान फिर से बनवा लें। बुजुर्ग बुलाकी कहते हैं की हमने तो अभी तक संघर्ष ही किया है। कभी घर कटा तो खेत कटे।


सोनारी पुरवा गांव के राकेश कहते हैं कि जल स्तर बढ़ते ही अन्दर ही अन्दर एक डर बैठने लगता है कि कही कटान न शुरू हो जाए। चिरंजू पुरवा के नीरज के अनुसार अब तो धीरे धीरे फिर बाढ़ का डर लगने लगा है। ऐसे में बाढ़ की संभावित आशंका को लेकर गांव वाले भयभीत हैं। लोगों को बाढ़ के चलते कटान का डर सता रहा है। हालांकि बाढ़ के हालात से निपटने के लिए प्रशासन ने इंतजाम किए हैं। विगत दिनों बाढ़ राहत कार्यों को लेकर मुख्यमंत्री ने 20 करोड़ रुपए की धनराशि मंजूर की थी। जिसके बाद तहसील बिलग्राम और सवायजपुर के बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में ड्रेजिंग का कार्य कराया गया था। हालांकि कुछ जगहों पर लोगों की मांग है कि यहां पर पत्थर लगवा दिया जाए, जिससे कटान न हो। इस बारे में डीएम अविनाश कुमार ने बताया कि सभी तैयारियां पूरी कर ली गयी हैं और संभावित बाढ़ से निपटने के लिए प्रशासन मुस्तैद है। सभी बाढ़ राहत चौकियों को अलर्ट कर दिया गया है और बाढ़ को लेकर पूरी नजर रखी जा रही है।

बलिया: लाल निशान को पार किया गंगा नदी का पानी, पलायन को मजबूर हुए ग्रामीण


यूपी के बलिया में गंगा नदी का पानी खतरे के निशान को पार कर अब गांवों में घुसना शुरू कर दिया है। बैरिया तहसील क्षेत्र नदी किनारे बसे लोग बाढ़ के डर से गांव छोड़ कर पलायन करने पर मजबूर हैं। वहीं डिग्री कॉलेज में आज सुबह से ही बाढ़ का पानी घुस जाने से वहां की परीक्षाएं रद्द करनी पड़ गई है। कॉलेज के प्राचार्य की मानें तो आज सुबह से ही कॉलेज में पानी घुस आया है। जो परीक्षाएं हो चुकी है उनका बंडल विश्व विद्यालय को भेजा जा रहा है। चार दिन की परीक्षा अभी और बची थी, लेकिन अब यह संभव नहीं है। इसकी सूचना विश्विद्यालय को दे दी गयी है। आगे की परीक्षाएं विश्वविद्यालय कराएगा।


वहीं जिला प्रशासन की मानें तो बाढ़ से निपटने की पूरी व्यवस्था कर ली गयी है। यहाँ दो बाढ़ राहत शिविर बनाये गए हैं, जहाँ डॉक्टरों की तैनाती की गई है। एहतिहातन एनडीआरएफ की टीम भी बुलाई गई है। ताकि अचानक जरूरत पड़ी तो उसे लगाया जा सके। कॉलेज में बाढ़ का पानी घुसने की तस्वीरें बैरिया तहसील क्षेत्र के अमर नाथ पीजी कॉलेज दुबेछपरा की है जहाँ चंबल और राजस्थान से पानी छोड़ने के कारण गंगा नदी खतरा बिंदु पार कर अब पीएन इंटर कॉलेज और इसी कॉलेज से सटे डिग्री कॉलेज में भी पानी घुस गया है। डिग्री कॉलेज में परीक्षाएं चल रही थी, जिसे रद्द करना पड़ गया है। इसको लेकर कॉलेज प्रशासन ने विश्यविद्यालय को सूचित कर दिया है।


नदी किनारे बसे लोगों के दिलों में गंगा नदी में शनिवार को अचानक आई बाढ़ को लेकर दहशत इस कदर है कि लोग बंधे को सुरक्षित स्थान मानकर अपने पशुओं के रहने लिए जगह तलाशने में जुटे हैं। पीड़ित ग्रामीण विश्वनाथ चौधरी की मानें तो घर मे बाढ़ का पानी घुस आएगा, तो हम लोग तो किसी तरह रह लेंगे लेकिन हमारे मवेशी कहा रहेंगे? इस लिए बंधे पर साफ सफाई कर रहे है ताकि जब तक बाढ़ का पानी रहेगा तब तक हमारे मवेशी रह लेंगे।

झांसी: नदी किनारे बसे गांवों के प्रधान, लेखपाल व सचिव रहें अलर्ट


जिलाधिकारी आंद्रा वामसी ने माताटीला बांध से लगभग 3:30 लाख क्यूसेक पानी छोड़े जाने के कारण कई गांव प्रभावित होने की संभावना पर नदी के किनारे बसे गांवों को सतर्क रहने की हिदायत दी। मौके पर उन्होंने ऐसे गांव जो नदी किनारे और पानी छोड़े जाने की स्थिति में प्रभावित होने वाले हैं वहां के ग्राम प्रधान, ग्राम निगरानी समिति, लेखपाल, सचिव सहित अन्य सभी को सतर्क रहने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि सभी लोग पूर्ण सतर्क रहते हुए नदी के बढ़ते जल स्तर पर सतत दृष्टि बनाए रखें और लगातार जानकारी देते रहे। उन्होंने विभिन्न विभागीय अधिकारियों को मौके पर जाकर जाकर निरीक्षण करने के भी निर्देश दिए।

जिलाधिकारी ने बेतवा नदी के किनारे बसे गांव के तट के बढ़े जलस्तर को वीरता से देखने के निर्देश दिए, और कहां कि सड़कों पर पानी आ जाने के कारण यदि गांव का आवागमन बाधित हुआ है। तो ऐसे गांव की जानकारी तत्काल मुख्यालय पर उपलब्ध कराएं। उन्होंने निर्देश दिए के गोताखोर तथा नाव की व्यवस्था सुनिश्चित करा लें, उन्होंने कहा कि नदी के बढ़ते जलस्तर के कारण किसी भी व्यक्ति को कोई परेशानी नहीं होना चाहिए, आप लोग निरंतर क्षेत्र में भ्रमण कर व्यवस्थाओं का जायजा लेते रहे। कहीं पर कोई समस्या हो तो तत्काल अवगत कराया जाए।

जिलाधिकारी ने बताया कि राजघाट डैम से 3:50 लाख क्यूसेक से अधिक पानी छोड़ा गया, माताटीला से 3:50 लाख क्यूसेक, ढुकवां बांध से 239400 क्यूसेक पानी छोड़ा गया तथा पारीछा से 270000 क्यूसेक पानी छोड़ा गया है। जिलाधिकारी ने जनपद के नदी के किनारे बसे हुए गांव के लोगों को अलर्ट करते हुए कहा है कि यदि नदी के तट के किनारे कोई गो आश्रय स्थल है तो वहां पर विशेष सतर्कता बरती जाए। उन्होंने कहा कि पशु हानि और मानव हनी किसी भी दशा में न हो इसे अवश्य सुनिश्चित कर लें और कोई अन्न समस्या हो तो तत्काल इंटीग्रेटेड कमांड एंड कंट्रोल सेंटर के फोन नंबर- 0510-2440521, 2370621, 2370622, 2370623 पर तत्काल सूचना दें।

कानपुर: यमुना ने अपनाया रौद्र रूप, सैकड़ों गांव बाढ़ की चपेट में


कानपुर देहात में यमुना नदी अपना कहर बरपा रही है। यहां यमुना नदी खतरे के निशान से 5 मीटर ऊपर बह रही है। लगातार तेजी से बढ़ रहे जलस्तर ने सैकड़ों गांवों को अपनी चपेट में ले लिया है। गांवों का संपर्क मार्ग टूट चुका है। नाव के सहारे लोग लोग निकलने को मजबूर है। जिला प्रशासन ने ग्रामीणों के आवागमन के लिये सिकन्दरा क्षेत्र में 8 नाव की व्यवस्था की है। बाढ़ के हालात ये हैं कि लोगों के घर में पानी घुस गया है। बहुत से परिवार गांव छोड़कर सुरक्षित जगहों पर चले गए हैं, तो वहीं कुछ लोगो ने समान छतों पर रख लिया है और वहीं रह रहे हैं। यमुना नदी में आई बाढ़ से बिजली के खम्भे पानी में डूब गए है। बिजली न आने से ग्रामीण अंधेरे में रह रहे हैं।

किसानों की फसलें नष्ट हो गयी है और झोपड़ी बाढ़ के पानी में उतरा रही है। यमुना के रौद्र रूप से क्षेत्र में चारों तरफ पानी ही पानी नजर आ रहा है। बाढ़ क्षेत्र की ग्राउंड जीरो रिपोर्टिंग के लिये मीडिया की टीम क्षेत्र में आई और बाढ़ पीड़ितों से मिलकर उनके दर्द को जानने की कोशिश की।

ग्रामीणों ने बताया कि बाढ़ का पानी तेजी से बढ़ रहा है। सैकड़ों की संख्या में गांव बाढ़ की चपेट में हैं। लोग अपने घरों का सामान लेकर सुरक्षित स्थानों पर जा रहे हैं। वहीं कुछ लोग छतों पर समान रखकर रह रहे हैं। प्रशासन के द्वारा नाव तो लगवा दी गयी है लेकिन कोई इंतजाम नहीं किये गए हैं। राजपुर ब्लाॅक प्रमुख राकेश कटियार और जिला पंचायत सदस्य आशीष कटियार व जिला पंचायत सदस्य आनन्द बाबू गौतम की टीम बाढ़ पीड़ित क्षेत्रों में पहुंची, जहां बाढ़ पीड़ितों को ड्राई फ़ूड बांटे और अंधेरे घर में उजाला करने के लिये मोमबत्ती दिए। 

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