Kanpur Dehat: बिन फेरे, बिना मंडप और अधूरे रीति रिवाज से हुई शादियां, सामूहिक विवाह योजना की उड़ाई गई धज्जियां
Kanpur Dehat News: शादी के मंडप में बैठे हुए जोड़ों का न तो जयमाल कराया गया और न ही जोड़ों को बंधन सूत्र कंगन बांधे गए, सिर्फ अग्नि प्रज्वलित करने के लिए एक छोटा सा हवन कुंड रखा गया व उसके चारों तरफ चार जोड़ों को एक साथ बैठाकर विवाह कार्यक्रम आधे अधूरे हिंदू रीति रिवाज से कराया गया ।;
Kanpur Dehat News: उत्तर प्रदेश के कानपुर देहात के सिकंदरा में मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना के नियमों की जमकर धज्जियां उड़ाई गईं। इस विवाह योजना में हिंदू रीति रिवाज के विपरीत विवाह संपन्न कराया गया। समारोह में बिन फेरे, बिना मंडप के अधूरे रीति रिवाज से शादी कराई गई। शादी समारोह कार्यक्रम में वर वधु को मिलने वाली सामग्री में भी बड़ा घोटाला सामने आया है। वहीं पूरा कार्यक्रम तहसील स्तर के प्रशासनिक अधिकारी और सिकंदरा विधानसभा के क्षेत्रीय विधायक उत्तर प्रदेश सरकार के राज्य मंत्री के बिना संपन्न कराया गया।
बता दें कि मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना आज सिकंदरा तहसील क्षेत्र के आरती गिलोरी गार्डन में गरीब लड़कियों के लिए चलाई जा रही महत्वाकांक्षी योजना में संदलपुर विकासखंड से 66 जोड़े, राजपुर विकासखंड से 54, सिकंदरा नगर पंचायत से चार जोडे, वहीं राजपुर नगर पंचायत से 3 जोड़े, दो मुस्लिम जोड़े व एक तलाकशुदा जोड़े का विवाह संपन्न कराया गया।
वहीं पूरे विवाह कार्यक्रम में हिंदू रीति रिवाज की जमकर धज्जियां उड़ाई गई। बिना मंडप के शादी कार्यक्रम संपन्न कराया गया और साथ ही 125 हिंदू जोड़ों के विवाह कार्यक्रम को सात पुरोहित के द्वारा संपन्न कराया गया।
अधूरे हिंदू रीति रिवाज से शुरू की गई शादियां
शादी के मंडप में बैठे हुए जोड़ों का न तो जयमाल कराया गया और न ही जोड़ों को बंधन सूत्र कंगन बांधे गए, सिर्फ अग्नि प्रज्वलित करने के लिए एक छोटा सा हवन कुंड रखा गया व उसके चारों तरफ चार जोड़ों को एक साथ बैठाकर विवाह कार्यक्रम आधे अधूरे हिंदू रीति रिवाज से कराया गया । वहीं जब नंबर सात फेरों का आया तो महज 125 जोड़ों में एक प्रतिशत ही जोड़ों के द्वारा शादी के सात फेरे लिए गए। वहीं पूरे कार्यक्रम को संपन्न कर रहे नगर पंचायत के अधिकारी कर्मचारी विकासखंड के खंड विकास अधिकारी कर्मचारी तमासबीन बनकर तमाशा देखते रहे।
जोड़ों को मिलने वाली प्रशासनिक सामग्री में एक ट्रॉली बैग में दो साड़ियां दो ब्लाउज दो पेटिकोट दूल्हे के लिए पैंट शर्ट का कपड़ा और एक सेहरा रखकर उपहार स्वरूप दिया गया। वहीं जो चांदी की तोड़िया और बिछिया दिए गए तो लोगों ने बताया कि यह प्योर चांदी नहीं है जो बाजार में मिलती है। एक कुकर और बर्तन का सेट दिया गया।
वहीं खान-पान की व्यवस्था भी जोड़ों के लिए अलग थी और प्रशासनिक अधिकारियों के लिए अलग थी। जोड़ों को मिलने वाली मिठाई में भी घोटाला किया गया था। बता दें कि मिठाई के डिब्बों में बाजार से सस्ते दाम पर मिलने वाली सोनपापड़ी मिठाई के तौर पर दी गई। वहीं कुछ जोड़ों को तो समान ही नहीं मिला।
51 हजार का अनुदान मिलता है
इस मामले में राजपुर विकासखंड के समाज कल्याण अधिकारी आलोक कुमार चौबे एडीओ समाज कल्याण के द्वारा बताया गया कि मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना में सरकार द्वारा 51 हजार का अनुदान होता है जिसमें 35000 रुपए वधू के खाते में जाते हैं। व ₹6000 में वर-वधु को मिलने वाला खाना और टेंट व्यवस्था सब सम्मिलित होती है। लगभग ₹10000 की उपहार सामग्री होती है, जिसमें ट्रॉली बैग, चांदी के आभूषण, किचन का सामान बर्तन और कुकर सम्मिलित होता है।
वहीं जब इस मामले में अधिशासी अधिकारी नगर पंचायत सिकंदरा आशीष कुमार से बात की गई तो उनके द्वारा बताया गया कि "कुछ जोड़े तो मात्र लाभ पाने के लिए शादी करने आते हैं। जबकि हमने तो प्रत्येक जोड़े का हर एक रीति रिवाज के साथ विवाह कार्यक्रम संपन्न कराया है।" जबकि कार्यक्रम प्रक्रिया के समय आशीष कुमार के सामने ही बिन फेरे, बिना सिंदूरदान, बिना मंडप के विवाह कार्यक्रम संपन्न हो रहा था तो आशीष कुमार आंख बंद करें तमाशा देख रहे थे।
मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना कार्यक्रम के फेल होने का जिम्मेदार कौन?
कहीं ना कहीं ब्लॉक और नगर पंचायत के अधिकारी और कर्मचारी महेश इस कार्यक्रम की फॉर्मेलिटी पूरी करने के लिए सामने थे। वहीं राजपुर विकासखंड से कार्यक्रम की जिम्मेदारी खंड विकास अधिकारी हरि गोविंद गुप्ता संदलपुर विकासखंड से कार्यक्रम की जिम्मेदारी धन प्राप्ति यादव खंड विकास अधिकारी संदलपुर और राजपुर नगर पंचायत से अधिशासी अधिकारी नीति त्रिपाठी कार्यक्रम की जिम्मेदारी संभाल रहे थे। इतने जिम्मेदार अधिकारी होने के बावजूद भी मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना की व्यवस्थाएं देख रहे थे और फिर भी हिंदू रीति रिवाज की धज्जियां उड़ाई गई। तो आखिरकार इस कार्यक्रम के फेल होने का जिम्मेदार कौन है?