वन विभाग के कर्मियों को न्यूनतम वेतन का मामला: अपर मुख्य सचिव तलब

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने वन विभाग के दैनिक व अस्थायी कर्मचारियो को नियमित कर्मियों के न्यूनतम वेतन का भुगतान करने के आदेश की अवहेलना करने पर नाराजगी व्यक्त की है।

Update: 2019-10-26 14:06 GMT

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने वन विभाग के दैनिक व अस्थायी कर्मचारियो को नियमित कर्मियों के न्यूनतम वेतन का भुगतान करने के आदेश की अवहेलना करने पर नाराजगी व्यक्त की है।

कहा कि सरकार न तो कर्मियों को न्यूनतम वेतन दे रही है और न ही इस बारे में हलफनामे में कोई जानकारी ही दी है। कोर्ट ने 5 नवम्बर सुनवाई की तिथि तय करते हुए अपर मुख्य सचिव को कोर्ट में हाजिर होने का निर्देश दिया है।

कोर्ट ने 24 सितम्बर को राज्य सरकार को वन विभाग के अस्थायी कर्मियों को 1 दिसम्बर 18 से न्यूनतम वेतन देने का निर्देश दिया था।

और प्रमुख सचिव वन विभाग से 2 सप्ताह में व्यक्तिगत हलफनामा माँगा था। हलफनामा दाखिल किया किन्तु वेतन भुगतान आदेश के बारे में कोई जानकारी नही दी गयी।

यह आदेश न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्र ने शेख झील पक्षी विहार अलीगढ़ के दैनिक कर्मी इशाक मोहम्मद की याचिका पर दिया है।

याचिका पर अधिवक्ता का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट ने वन विभाग के सभी अस्थायी, दैनिक संविदा, कैजुअल,तदर्थ जैसे कर्मियों को न्यूनतम वेतन के बराबर वेतन देने का निर्देश दिया है।1 दिसम्बर 18 से मिलने वाले वेतन के लिए राज्य सरकार ने फंड ही नही दिया।

उल्टे सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के पालन में जारी आदेश को वापस ले लिया।13 अगस्त 19 के इस आदेश को भी याचिका में संशोधन अर्जी से चुनौती दी गयी।

कोर्ट ने कहा कि आदेश का पालन करने के बजाय कोर्ट में मामला विचाराधीन होने के बावजूद बिना कोर्ट की अनुमति के निर्देशों का पालन करने के आदेश को वापस ले लिया गया।

कोर्ट ने सरकार की इस कार्यवाही को प्रथम दृष्टया दुर्भावनापूर्ण करार दिया ।कोर्ट ने राज्य सरकार के 13 अगस्त 19 के आदेश पर रोक लगा रखी है और प्रमुख सचिव से व्यक्तिगत हलफनामा मांगा था। किन्तु मांगी गई जानकारी नही दी गई। जिसपर कोर्ट ने कड़ा रुख अपनाया है।

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