लखनऊ : हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने गृह विभाग को स्पेशल टाइगर प्रोटेक्शन फोर्स के गठन के लिए छह सप्ताह में 112 पुलिसकर्मियों को वन विभाग भेजने के आदेश दिए हैं। इसके साथ ही कोर्ट ने इटावा लॉयन सफारी व दुधवा टाइगर रिजर्व के निदेशकों के खिलाफ गलत साक्ष्य देने के आरोप पर दोनों से जवाब मांगा है।
जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस डीएस त्रिपाठी की बेंच ने यह आदेश सतीश कुमार मिश्रा की ओर से दाखिल जनहित याचिका पर पारित किया। कोर्ट के पूर्व के आदेश के अनुपालन में प्रमुख सचिव, वन की ओर से हलफनामा देते हुए कहा गया कि फोर्स के गठन के लिए 112 पुलिसकर्मियों की मांग गृह विभाग से की गई है।
वहीं प्रमुख सचिव, गृह की ओर से दाखिल जवाबी हलफनामे में कहा गया कि वन विभाग का अनुरोध स्वीकार कर लिया गया है और तीन माह में पुलिसकर्मियों की सूची फाइनल कर ली जाएगी। इस पर कोर्ट ने कहा कि तीन माह का समय लंबा है, छह माह में पुलिसकर्मियों को ऑन डेप्युटेशन वन विभाग भेजा जाए।
वहीं याची ने एक प्रार्थना पत्र देते हुए इटावा लॉयन सफारी के निदेशक पिनाकी प्रसाद सिंह व दुधवा टाइगर रिजर्व के निदेशक सुनील चैधरी पर मामले में गलत साक्ष्य देने का आरोप लगाते हुए उनके खिलाफ आपराधिक कार्यवाही शुरू किए जाने की मांग की।
इस पर कोर्ट ने दोनों निदेशकों को अपना-अपना जवाब देने का आदेश दिया। रेलवे की ओर से भी मामले में जवाबी हलफनामा दाखिल करने के लिए चार सप्ताह का समय दिए जाने की मांग की गई, जिसे कोर्ट ने स्वीकार कर लिया। पिछली सुनवाई के दौरान दुधवा नेशनल पार्क के बीचो-बीच से गुजरने वाली रेलवे लाइन को हटाकर बड़ी लाइन के निर्माण पर चिंता जाहिर की गई थी जिस पर कोर्ट ने रेलवे से जवाब मांगा था। मामले की अग्रिम सुनवाई 1 नवम्बर को होगी।