खाकी को सारे गुनाह माफ़, जरा देखें थानाध्यक्ष का विदाई समारोह
24 घंटे की समय सीमा बीत जाने के बाद पुलिस अधीक्षक आलोक प्रियदर्शी द्वारा पूरे मामले से अनजान बनने का बयान दिए जाने के कारण प्रकरण एक बार फिर गरमा गया था।
अम्बेडकर नगर: बसखारी के जिस थानाध्यक्ष पर कार्यकर्ताओं का उत्पीड़न करने व अवैध वसूली की शिकायतों को लेकर सत्ता पक्ष की टाण्डा से विधायक संजू देवी ने मोर्चा खोल रखा था। उसके विरुद्ध कार्यवाई की मांग को लेकर उन्होंने बसखारी थाना परिसर में तीन घण्टे तक कथित रूप से धरना दिया था। दो क्षेत्राधिकारियो द्वारा 24 घण्टे में कार्यवाई का आश्वासन दिए जाने के बाद विधायक वापस हुई थी।
थानाध्यक्ष के विदाई समारोह में उड़ीं सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां
24 घंटे की समय सीमा बीत जाने के बाद पुलिस अधीक्षक आलोक प्रियदर्शी द्वारा पूरे मामले से अनजान बनने का बयान दिए जाने के कारण प्रकरण एक बार फिर गरमा गया था। उसी दिन देर रात तक विधायक संजू देवी की मौजूदगी में पुलिस अधीक्षक के आवास पर बैठकों का दौर चला था जिसमें विधायक से पुलिस अधीक्षक ने संबंधित थानाध्यक्ष के विरुद्ध कार्यवाही को लेकर 72 घंटे का समय मांगा था। लेकिन इस समय सीमा के बीत जाने के बाद भी थानाध्यक्ष मनोज कुमार सिंह पर कोई कार्यवाही नहीं हुई। 5 दिन बाद उन्हें जैतपुर का थाना अध्यक्ष बनाकर हटा दिया गया। स्थानांतरण के बाद बुधवार को बसखारी थाने में जिस प्रकार का आलम देखा गया उससे कानून व्यवस्था व सरकारी निर्देशों की धज्जियां उड़ गई।
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निवर्तमान थानाध्यक्ष की विदाई के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग का दिशानिर्देश धराशाई हो गया। साथ ही मास्क लगाने का आदेश भी छलावा साबित हुआ। ऐसे में सवाल यह उठता है कि मास्क लगाने व सोशल डिस्टेंसिंग का पालन न करने पर आम जनता पर कार्यवाही करने वाली पुलिस के विरुद्ध पुलिस अधीक्षक महोदय किस धारा के तहत मुकदमा दर्ज करवाएंगे। थाना परिसर में कार्यक्रम आयोजित किए जाने के बाद निवर्तमान थानाध्यक्ष का जो काफिला निकला उसमें थाना क्षेत्र के सभी 112 डायल पुलिस के वाहन व गरुड़ वाहन में शामिल होने वाली सभी मोटरसाइकिल तथा गाड़ियों का एक लंबा रेला शामिल रहा। इस काफिले में हंटर जीप, फूलों से सजी जीप व हूटर बजाती गड़ियां शामिल थीं।
पुलिस प्रशासन पर उठ रहे सवाल
प्रश्न यह है कि जब जिले में धारा 144 लगी है तो साहब को यह सब करने की इजाजत किसने दी थी। सब शाादी समारोह व अन्य कार्यक्रमों का आयोजन बिना अनुमति के नहीं किया जा सकता तो फिर थाने में यह सब किसकी अनुमति से किया गया। इस प्रकार का स्वागत कराये जाने के पीछे उनका क्या उद्देश्य था। कानून व्यवस्था बनाये रखने के लिए क्षेत्र में रहने वाली 112 डायल की गाड़ियों को एक साथ बुलाने की अनुमति किससे ली गयी थी। जाहिर है यह सब करने के पीछे का सीधा उद्देश्य सत्ता पक्ष अर्थात विधायक को चिढ़ाना था।
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माना तो यह जा रहा है कि साहब का स्थानांतरण विधायक के दबाव में दण्ड स्वरूप किया गया है। लेकिन उनके जलवे को देख तो ऐसा कुछ भी नही प्रतीत होता। अब देखना यह है कि सोशल डिस्टेंसिंग व मास्क लगाने के निर्देश का मजाक उड़ाने वाले इस साहब के विरुद्ध हाकिम किस धारा का प्रयोग करते हैं। इस सम्बन्ध में अपर पुलिस अधीक्षक अवनीश कुमार मिश्र का कहना है कि इस सम्बन्ध में सीओ से रिपोर्ट मांगी गयी है।
रिपोर्ट- मनीष मिश्रा