Kalyan Singh: जब सीएम की कुर्सी पर रात 10 बजे कब्जा हो गया

Kalyan Singh: कल्याण सिंह उत्तर प्रदेश के 16वें मुख्यजमंत्री और प्रदेश में भाजपा सरकार के पहले मुख्यममंत्री थे।

Written By :  Neel Mani Lal
Published By :  Shweta
Update: 2021-08-21 18:51 GMT

कल्याण सिंहः फोटो- न्यूजट्रैक

Kalyan Singh: कल्याण सिंह उत्तर प्रदेश के 16वें मुख्यजमंत्री और प्रदेश में भाजपा सरकार के पहले मुख्यममंत्री थे। एक समय में उनको भावी प्रधानमंत्री भी माना जाता था लेकिन किस्मत ने उन्हें कहीं और पहुंचा दिया। कल्याण सिंह राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ के जुझारू कार्यकर्ता थे। वे अपना पहला विधानसभा चुनाव अतरौली से जीतकर 1967 में उत्तर प्रदेश विधानसभा पहुंचे। 1967 से 1980 तक वह उत्तर प्रदेश विधानसभा के सदस्य रहे। इस बीच देश में आपातकाल लगा और कल्याण सिंह 1975-76 में 21 महीने जेल में रहे। 1985 में कल्याण सिंह फिर से उत्तर प्रदेश विधानसभा पहुंचे और 2004 तक लगातार उत्तर प्रदेश विधानसभा सदस्य रहे।


90 के दशक में देश में राम मंदिर आंदोलन काफी तेजी से फैलता जा रहा था। इस आंदोलन के कर्ताधर्ताओं में कल्याण सिंह भी प्रमुख थे। इस आंदोलन की वजह से उत्तर प्रदेश सहित पूरे देश में भाजपा का उभार हुआ और जून 1991 में भाजपा ने उत्तर प्रदेश में पूर्ण बहुमत से सरकार बनायी। इस चुनाव में कल्याण सिंह की अहम भूमिका रही और उन्हीं को मुख्यमंत्री बनाया गया। कल्याण सिंह के कार्यकाल में अयोध्या में विवादित बाबरी मस्जिद विध्वंस हुआ जिसकी नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए कल्याण सिंह ने 6 दिसम्बर 1992 को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। हालांकि 1997 में कल्याण सिंह ने फिर वापसी की और 1999 तक दूसरी बार यूपी के मुख्यमंत्री रहे।


जगदंबिका पाल कल्याण सिंह की सरकार में ट्रांसपोर्ट मिनिस्टर थे लेकिन उन्होंने विपक्षियों के साथ साठ-गांठ कर मुख्यमंत्री पद कब्जा कर लिया। 21 फरवरी 1998 को तत्कालीन राज्यपाल रोमेश भंडारी ने कल्याण सिंह को बर्खास्त कर जगदंबिका पाल को रात में साढ़े दस बजे मुख्यमंत्री पद की शपथ दिला दी। भाजपा के बड़े नेता और कल्याण सिंह के समर्थक इसके खिलाफ रात को ही हाईकोर्ट पहुंच गए। कोर्ट ने अगले दिन राज्यपाल के आदेश पर रोक लगा दी और कल्याण सिंह सरकार को बहाल कर दिया। उस दिन राज्य सचिवालय में अजीब नज़ारा देखने को मिला। वहां दो-दो मुख्यमंत्री बैठे हुए थे। जगदंबिका पाल पहले से ही मुख्यमंत्री की कुर्सी पर काबिज हो गए लेकिन जब उन्हें हाईकोर्ट का आदेश लिखित में मिला तब वे कुर्सी छोड़कर चले गए। बाद में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर 26 फरवरी को एक बार फिर शक्ति प्रदर्शन हुआ। इसमें कल्याण सिंह की जीत हुई।

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