मास्क ना पहनने वालों पर प्रशासन सख्त, 1000 लोगों के काटे चालान

गाजियाबाद में पिछले 24 घंटे में 1000 से ज्यादा चालान मास्क नहीं पहनने पर किए गए हैं। ये आंकड़ा सिर्फ शहरी क्षेत्र का है।

Report :  Bobby Goswami
Published By :  Ashiki
Update:2021-04-12 19:15 IST

फोटो - सोशल मीडिया 

गाजियाबाद: गाजियाबाद में पिछले 24 घंटे में 1000 से ज्यादा चालान मास्क नहीं पहनने पर किए गए हैं। ये आंकड़ा सिर्फ शहरी क्षेत्र का है। इससे आप अंदाजा लगा सकते हैं, की संकट की इस घड़ी में भी लापरवाह लोगों की कमी नहीं है। हालांकि इस बीच जिले का व्यापार मंडल एकजुट होकर लोगों को समझा रहा है। पुलिस और प्रशासन ऐसे लोगों से परेशान है जो नियम नहीं मान रहे हैं। क्योंकि पिछले 24 घंटे में गाजियाबाद में कोरोना के करीब 155 नए मामले भी सामने आए हैं जो चिंता और चुनौती बढ़ा रहे हैं।

लापरवाह लोगों को व्यापार मंडल द्वारा समझाने की कोशिश

व्यापारी गली मोहल्लों में जनजागृति अभियान चला रहे हैं। एक तरफ सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों के विषय में लोगों को जागरूक किया जा रहा है, तो वहीं नाइट कर्फ्यू का पालन करने के लिए भी लोगों को समझाया जा रहा है। जिले के डीएम खुद मानते हैं कि अभी कुछ कमियां बची हुई है, जिसके लिए व्यापार मंडल और अन्य संस्थाओं के साथ बैठक करके कमियां दूर की जा रही है।जाहिर है प्रशासन और पुलिस की पुरजोर कोशिश है, लेकिन लापरवाह लोगों की वजह से स्थिति संभालना आसान नहीं हो रहा है।



3 दिन में तीन हजार से ज्यादा चालान

गाजियाबाद जिले में एवरेज चालान की संख्या रोजाना एक हजार के करीब पहुंच रही है। करीब 1000 लोग रोड पर सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों को नहीं मान रहे हैं। यह वह आंकड़े हैं जो चालान के रूप में सामने आ रहे हैं। रोड पर देखने पर पता चलता है कि 10 में से 3 लोग मास्क नहीं लगाते हुए दिखाई देते हैं। मतलब साफ है लोगों को समझना चाहिए कि अगर वह नियमों का पालन नहीं कर रहे हैं, तो खुद के साथ-साथ देश का भी नुकसान कर रहे हैं। प्रशासन की पुरजोर कोशिशों को ऐसे ही लोग बट्टा लगा रहे हैं। यह भी समझ नहीं आता कि इन लोगों को चालान का भी डर नहीं है। कई ऐसे लोग हमें रोड पर मिलते हैं, जिनसे से पूछने पर पता चलता है कि वह या तो मास्क घर भूल कर आ गए हैं, या फिर जेब में रखा हुआ था।देखना यह होगा कि एक बार फिर से प्रशासन के साथ मिलकर हो रही व्यापार मंडल की कोशिशों का ऐसे लोगों पर क्या फर्क पड़ता है।

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