अब गुलाम नबी के हवाले UP कांग्रेस, मुस्लिम वोटों पर है PK की नजर

Update: 2016-06-12 11:56 GMT

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लखनऊ: आगामी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की चुनावी नैया पार करवाने का बीड़ा उठाने वाले पीके यानी प्रशांत किशोर का इफ़ेक्ट दिखने लगा है। कांग्रेस आलाकमान ने उत्तर प्रदेश कांग्रेस के प्रभारी मधुसूदन मिस्त्री को हटा दिया है। अब यह जिम्मेदारी गुलाम नबी आज़ाद को दी गयी है। पार्टी से जुड़े नेताओं की मानें तो यह शुरुआत भर है। इस महीने के अंत तक प्रदेश संगठन में बड़े फेरबदल देखने को मिल सकते हैं।

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चुनावी बदलाव

-इस बदलाव को विधानसभा चुनाव से पहले पार्टी की रणनीति के रूप में देखा जा रहा है।

-माना जा रहा है, कि यह महज शुरुआत है और इसके बाद पार्टी में बड़े फेरबदल हो सकते हैं।

-जानकारों का मानना है कि उत्तर प्रदेश कांग्रेस में बदलावों के पीछे चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर की सलाह पर काम शुरू हो गया है।

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पीके इफेक्ट

-यूपी विधानसभा चुनाव की जिम्मेदारी पीके को मिलने के बाद से ही कांग्रेस में मिस्त्री को लेकर विरोध मुखर होने लगा था।

-कानाफूसी तो यहां तक होने लगी थी कि पार्टी आलाकमान ने यूपी कांग्रेस को ठेके पर दे दिया है।

-गाहे ब गाहे यह आवाज 10 जनपथ तक पहुंचती रहती थी।

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-आलाकमान का यह कदम उन नेताओं के लिए एक संदेश है, जो पीके को पचाने के मूड में नहीं थे।

-राजनैतिक विश्लेषक इस कदम को पीके की रणनीति का पहला कदम मान रहे है, यानी आगे आगे देखिए होता है क्या!

अगले स्लाइड में जानिए, क्यों मिली गुलाम नबी आजाद को जिम्मेदारी

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मुसलमानों पर नजर

मुसलमानों पर नजर

-कुछ कांग्रेसी इस कदम को विधानसभा चुनाव के दौरान मुसलामानों को लामबंद करने की कोशिश मान रहे हैं।

-माना जा रहा है कि जब अन्य पार्टियां दलित वोटों पर फोकस कर रही हैं, तो प्रदेश के मुसलमान वोट उपेक्षित हो गए हैं।

-ऐसे में, पीके ने मुसलमानों की उपेक्षा को भुनाने के लिए पार्टी की जिम्मेदारी मुसलमान के हाथों में सौंपने की रणनीति बनाई।

-अब मुसलमानों को लुभावने नारों से आकर्षित करना पार्टी का अगला कदम हो सकता है।

-इससे मुसलमानों को अपने पक्ष में लामबंद करने में आसानी हो सकती है।

-बहरहाल, बदलाव को देखते हुए पार्टी में हलचल तेज हो गई है।

-गुलाम नबी को यूपी कांग्रेस का प्रभारी बनाए जाने का औपचारिक एलान पार्टी के मीडिया प्रभारी सत्यदेव त्रिपाठी ने दी ।

संगठन में माहिर

-गुलाम नबी आजाद को संगठन कार्य में माहिर माना जाता है।

-जम्मू-कश्मीर के डोडा के रहने वाले गुलाम नबी आजाद जमीन से जुड़े हुए नेता हैं।

-वह जहां भी काम करते हैं वहां के कार्यकर्ताओं से काफी नजदीकी रखते हैं।

-वह छोटे से छोटे कार्यकर्ताओं की सुनते हैं और किसी को नाराज नहीं करते।

10 जनपथ से नजदीकी

-गुलाम नबी आजाद सोनिया गांधी के भी काफी करीब माने जाते हैं।

-कांग्रेस अध्यक्ष उन पर काफी भरोसा जताती हैं।

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