BYTES: मंजरी ने पिता की चिता को दी आग, कहा- पापा ने बेटे की तरह पाला

Update: 2016-02-29 14:21 GMT

कानपुर: 'मेरे पिता ने मुझे हमेशा एक बेटे की तरह पाला है। हमेशा आगे बढ़ाया। वो कहते थे तुम मेरी बेटी नहीं बेटा हो। इसलिए मैंने भी बेटी होते हुए बेटे का फर्ज निभाया है।' यह कहना है रोती हुई उस लड़की का जिसने अपने पिता को मुखाग्नि दी। मंजरी ने समाज की बेड़ियों को तोड़कर मिसाल कायम की है।

-कानपुर के कल्यानपुर में रामशंकर अपनी बेटी मंजरी और पत्नी के साथ रहते थे।

-19 साल की बेटी मंजरी बीए फाइनल के बाद बैंकिंग की तैयारी में जुटी है।

-पढ़ाई के साथ वह परिवार की पूरी मदद करती है।

-घर का कामकाज हो या फिर ट्यूशन पढ़ाकर आर्थिक हालत में सुधार की कोशिश।

-रामशंकर चाहते थे कि बेटी मंजरी ही उनकी चिता को अग्नि दे।

सुनिए मंजरी के मन की बात...

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सबका मुंह बंद

-एक फैक्ट्री में काम करने वाले रामशंकर कुछ दिनों से बीमार थे और सोमवार को उनकी मौत हो गई।

-समाज के लोग इस कानाफूसी में जुटे थे कि चिता को अग्नि कौन देगा? लेकिन मंजरी ने सबका मुंह बंद कर दिया।

-भैरवघाट में मंजरी ने पूरे रीति-रिवाज के साथ पिता का अंतिम संस्कार किया।

बढ़ गया बोझ

-पिता की मौत के बाद मंजरी की जिम्मेदारी और बढ़ गई है।

-पढ़ाई के साथ परिवार को चलाना है। लेकिन उसके के हौसले बुलंद है।

-वह तैयार है हर चुनौती का सामना करने के लिए, उसे साबित करना है बेटी तो बेटे से बढ़कर है।

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