कहानी फिल्मी है मेरे दोस्त! यूपी में जनता ने 'टेढ़ी नदी' पर बना दिया सीधा पुल
राजधानी लखनऊ से करीब 117 किमी दूर और सीएम योगी आदित्यनाथ के गृहनगर गोरखपुर से 175 किमी की दूरी पर बसा है गोंडा जिला। राज्य के पिछड़े जिलों में इसका शुमार आज भी होता है। सरकारी योजना यहां आते-आते दम तोड़ने लगती हैं।
गोंडा : राजधानी लखनऊ से करीब 117 किमी दूर और सीएम योगी आदित्यनाथ के गृहनगर गोरखपुर से 175 किमी की दूरी पर बसा है गोंडा जिला। राज्य के पिछड़े जिलों में इसका शुमार आज भी होता है। सरकारी योजना यहां आते-आते दम तोड़ने लगती हैं। यहां की जनता अपने को अछूत मानने लगी और जब पानी इनके सिर के ऊपर से बहने लग तो स्वयं ही अपना भला करने की ठान ली। फिर क्या था अपनी सफलता की कहानी लिख डाली.. माहौल तो बना दिया हमने अब आते हैं मुद्दे पर कि आखिर किया क्या है गोंडा वालों ने!
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जब आप लखनऊ से चल कर गोंडा पहुंचते हैं तो सबसे पहले आपकी मुलाकात होती है कर्नलगंज यानी करनैल गंज से। इसी तहसील में आता है सरैया चौबे गांव। गांव टेढ़ी नदी के किनारे बसा है। बरसों से इस नदी पर पुल की मांग यहां के निवासी करते रहे हैं। सरकारें बदली जनप्रतिनिधी बदले लेकिन पुल नहीं मिला। अच्छे दिनों वाली सरकार भी चला-चली की बेला में आ गई। लेकिन पुल नहीं बना। इसी गांव में नदी किनारे बनी कुटीया में संत रामदास भी रहते हैं। ज्ञानीजन हैं रामदास। काफी समय से देख रहे थे ग्रामीणों को कि नेताओं और अफसरों की चिरौरी-मनुहार करते हैं। लेकिन, बदले में मिलता था बड़ा सा लालीपॉप। इसके बाद रामदास ने उन्हें समझाया कि मितरों समस्या हमारी है, निदान भी हमें ही करना होगा। लोगों को बात तो समझ में आई। लेकिन करना क्या है ये नहीं समझ सके।
फिर पहुंच गए रामदास के पास। तब उन्होंने बताया कि नदी पर खुद पुल बनाओ। गांव वाले टेंशन में आ गए कि ये कैसे होगा। रामदास ने उन्हें भरोसा दिलाया कि आप सब कुछ कर सकते हैं सिर्फ करने का मन हो। इसके बाद ग्रामीणों ने चंदा जोड़ना शुरू किया।
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चंदा जुड़ना शुरू हुआ तो आसपास के गांवों में भी इसकी बात फैली। वो भी इस नेक काम में शामिल हो गए। दो साल में लगभग 23 लाख रुपए इकट्ठा हो गए। इसके बाद.....अब इसके बाद क्या, पुल बनना शुरू हो गया। दो महीने में 86 फीट लंबा और 7 फीट चौड़ा पुल बन कर तैयार हो गया।
पुल बनकर जब तैयार हुआ तो बेहद खास था उसपर उकेरे वानर सेना के चित्र से। नाम रखा गया है- हनुमत सेतु क्यों...वो इसलिए क्योंकि रामदास हनुमान मंदिर के पुजारी भी हैं और उनकी प्रेरणा से ये पुल बना।
आज पुल को बने एक महीना हो चुका है। लेकिन, गांव के किसी भी शख्स के सामने इस पुल की बात छेड़ दीजिए, उसके लहजे में रामदास के लिए आदर और अफसरों के लिए नेताओं के लिए सिर्फ हिकारत ही नजर आती है।