कोरोना से लड़ाई में बढ़ी साइकिल की डिमांड, जानें इसके पीछे की बड़ी वजह

लोग रेसर और बैटरी वाली साइकिल पंसद कर रहे है। नतीजतन, न सिर्फ साइकिल की कीमतों में 15 से 20 फीसदी की बढ़ोत्तरी हुई है, बल्कि डिमांड भी बढ़ गई है।

Update: 2020-10-13 13:45 GMT
फिटनेस वाली साइकिल की डिमांड

गोरखपुर एलआईसी में एजेंट विनय राय और उनके यूनिर्विटी के दोस्त अरविंद कुमार इन दिनों नौकायन केन्द्र पर साइकिलिंग करते नजर आ जाते हैं। यूनिवर्सिटी की पुरानी बातों के बीच कब 15 किमी का सफर पूरा हो जाता है, पता ही नहीं चलता। इन दोस्तों सरीखे तमाम लोगों के लिए साइकिलिंग कोरोना से लड़ाई में ताकत देने का जरिया बनी हुई है। सेहत को लेकर बढ़े साइकिल के क्रेज ने पूरे इंडस्ट्री को वेंटीलेटर पर जाने से बचा लिया है।

कोरोना से लड़ाई के लिए इम्यूनिटी के साथ ही सेहतमंद होना भी जरूरी है। सेहत को लेकर सजग लोगों का साइकिल पर भरोसा बढ़ा है। साइकिल के बढ़े क्रेज का अंदाजा शहर के नौकायन केन्द्र, लोको फील्ड से लेकर कुस्म्ही रोड पर हो जाता है। जहां बड़ी संख्या में लोग फिटनेस के लिए साइकिल चलाते नजर आ जाते हैं। लोग रेसर और बैटरी वाली साइकिल पंसद कर रहे है। नतीजतन, न सिर्फ साइकिल की कीमतों में 15 से 20 फीसदी की बढ़ोत्तरी हुई है, बल्कि डिमांड भी बढ़ गई है।

 

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रेती रोड पर साइकिल के पुराने कारोबारी सौरभ सेट्ठी बताते हैं कि ‘साइकिल का कारोबार बच्चों और स्कूली छात्र-छात्राओं पर ही निर्भर था। कोरोना काल में 30 से 50 वर्ष के बीच के लोगों में फिटनेस वाली साइकिलों का क्रेज बढ़ा है। इसके पीछे जिम का बंद होना भी बड़ी वजह है।’ दवा कारोबारी दिलीप सिंह बताते हैं कि ‘10 वर्ष बाद दोबारा साइकिलिंग कर रहे हैं। सेहत के साथ ही पेट्रोल की भी बचत हो रही है।’

इंग्लैंड से आ रहीं साइकिलें, एडवांस के बाद भी डिलीवरी नहीं

साइकिल की डिमांड भले ही बढ़ गई हो लेकिन आपूर्ति घट गई है। चाइनीज समानों के बहिष्कार का असर कीमत के साथ आपूर्ति पर दिख रहा है। कारोबारी स्नेहांसु गुप्ता बताते हैं कि ‘इंग्लैंड से बड़ी मात्रा में साइकिलें आती हैं। एडवांस देकर 40 दिन से डिलीवरी का इंतजार कर रहे हैं। चाइनीज समानों के बहिष्कार के चलते एक साइकिल की कीमत में 1000 से 2500 रुपये की बढ़ोत्तरी हो गई है। बच्चों और स्कूली स्टूडेंट की साइकिलों की डिमांड भले घट गई हो लेकिन फिटनेस वाली साइकिलों की डिमांड डबल हो गई है।’ कारोबारी अमित कुमार बताते है कि फिटनेस वाली साइकिल पहले बमुश्किल 30 से 35 बिकती थी, अब एक दिन में 80 से 100 साइकिलें बिक जा रही हैं।

सोशल मीडिया से फोटो

थकने के बाद चालू हो जा रही बैटरी

ऐसे लोग जिन्हें भरोसा नहीं है कि वे साइकिल चला पाएंगे वे बैटरी वाली साइकिल खरीद रहे हैं। रेती रोड पर साइकिल कारोबारी स्नेहांसु गुप्ता का कहना है कि ‘बैटरी वाली साइकिलें 23 से 35 हजार रुपये के रेंज में उपलब्ध हैं। सरकारी कार्यालयों और निजी कंपनियों में काम करने वाले इसे पसंद कर रहे हैं। इसे बैटरी के साथ ही पैडल मार कर चलाया जा सकता है। थकने के बाद लोग बैटरी का प्रयोग कर रहे हैं। इसकी बैटरी दो साल चल जाती है।’

 

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फेफड़ों की मजबूती के लिए जरूरी है 30 मिनट की साइकिलिंग

चेस्ट रोग विशेषज्ञ डॉ.अजय कुमार श्रीवास्तव का कहना है कि किसी भी व्यायाम से फेफड़ों की सक्रियता बढ़ती है। तेजी से सांस लेने में फेफड़े मजबूत होते हैं। सामान्य व्यक्ति यदि 30 मिनट की साइकलिंग करता है तो यह फेफड़े की सेहत के लिए काफी अच्छा है। लेकिन कोरोना संक्रमित हो चुके लोगों को साइकिलिंग की सलाह नहीं दी जा सकती है। संक्रमण के साथ ही कई मरीजों को निमोनिया हो जाता है। ऐसे में फेफड़े कमजोर हो जाते हैं। साइकलिंग से ऑक्सीजन लेवल कम होने का खतरा बना रहता है।

 

रिपोर्टर पूर्णिमा श्रीवास्तव

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