Gorakhpur: चर्चा में नदी किनारे फेंका गया कूड़ा, NGT ने दे दिया बड़ा निर्णय

Gorakhpur: एनजीटी ने गोरखपुर के एक व्यक्ति के मामले में सुनवाई करते हुए बड़ा निर्णय दिया है। अब गोरखपुर समेत पूरे यूपी में सड़क पर कूड़ा फेंकना प्रतिबंधित हो गया है।

Update: 2024-08-01 12:10 GMT

चर्चा में नदी किनारे फेंका गया कूड़ा (न्यूजट्रैक)

Gorakhpur News: उत्तर प्रदेश का गोरखपुर एक बार फिर चर्चा में है। चर्चा में है गोरखपुर का कूड़ा। यह कूड़ा नदियों को प्रदूषित कर रहा है। एनजीटी ने गोरखपुर के एक व्यक्ति के मामले में सुनवाई करते हुए बड़ा निर्णय दिया है। अब गोरखपुर समेत पूरे यूपी में सड़क पर कूड़ा फेंकना प्रतिबंधित हो गया है। कूड़ा फेंकने पर 50 हजार रुपये तक का जुर्माना लग सकता है। इसके साथ ही कूड़ा जलाने पर भी प्रतिबंध है।

एनजीटी ने गोरखपुर के राम मिलान साहनी की ओर से 2022 में भेजे गए पत्र पर संज्ञान लेते हुए यह आदेश दिया है। साहनी ने एनजीटी को भेजे पर पत्र में शिकायत की थी कि नौसढ़ स्थित एकला बंधा और कलानी तटबंध के पास राप्ती नदी में करीब प्रतिदिन 500 टन कूड़ा गिराया गया है। पत्र में कहा था कि इसकी वजह से नदी का पानी दूषित हो रहा है जो पर्यावरण के लिए नुकसानदायक है। एनजीटी के न्यायिक सदस्य जस्टिस अरुण कुमार त्यागी और विशेषज्ञ सदस्य डॉ. अफरोज अहमद की पीठ इस संदर्भ में बड़ा फैसला दिया दिया है।

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने पूरे प्रदेश में सड़क किनारे, नदी-नाले, खादर झीलों, के साथ-साथ सरकारी भूमि पर कूड़ा कचरा फेंकने या जलाने पर प्रतिबंध लगा दिया है। चिह्नित जगहों को छोड़कर कहीं भी कूड़ा कचरा फेंकने या जलाने पर भारी जुर्माना देना पड़ेगा। पीठ ने कहा कि आदेश का उल्लंघन होने पर पांच हजार से लेकर 25 हजार तक जुर्माना देना होगा। आदेश का दोबारा उल्लंघन करने पर जुर्माने की रकम दोगुनी यानी 50 हजार तक हो जाएगी। पीठ ने कहा कि वसूल किए जाने वाले पर्यावरणीय हर्जाना संबंधित नगर निगम/नगर पालिका परिषद/नगर पंचायत/यूपीपीसीबी के पास जमा किया जाएगा। भुगतान न किए जाने की स्थिति में सक्षम प्राधिकारी द्वारा भू-राजस्व के बकाए के रूप में वसूल की जाएगी।

डोर-टू-डोर कूड़ा कलेक्शन है नहीं, कहां फेंके कूड़ा

कूड़ा निस्तारण गोरखपुर की बड़ी समस्या है। नगर निगम के 80 वार्डों में से आधे में भी डोर-टू-डोर कूड़ा कलेक्शन नहीं हो रहा है। जहां हो भी रहा है वहां गाड़ियों की पहुंच सभी घरों तक नहीं है। सहजनवां के सुथनी में बन रहा सालिड वेस्ट मैनेजमेंट का प्लांट भी अभी चालू नहीं हो सका है। ऐसे में सवाल उठता है कि एनजीटी के आदेश का अनुपाल कैसे होगा?

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