New Gorakhpur: लेखपाल और कानूनगो को मिली ट्रेनिंग, ‘नया गोरखपुर’ के लिए किसानों से कैसे लें जमीन

Gorakhpur News: गोरखपुर विकास प्राधिकरण में लेखपाल और कानूनगो को इस बात की ट्रेनिंग दी गई कि वे किसानों को कैसे समझाएं कि वे जमीन देने को राजी हो जाएं।

Update: 2023-12-28 16:45 GMT

Gorakhpur News (Pic:Newstrack)

Gorakhpur News: नया गोरखपुर के लिए जमीन लेने की कवायद किसानों के विरोध के बाद फेल होती दिखी तो अधिकारी दूसरे तौर-तरीके अपनाने लगे हैं। दो दिनों तक गोरखपुर विकास प्राधिकरण में लेखपाल और कानूनगो को इस बात की ट्रेनिंग दी गई कि वे किसानों को कैसे समझाएं कि वे जमीन देने को राजी हो जाएं। ये भी टिप्स दिये गए कि किसानों को ये समझा दें कि सरकार जमीन हर हाल में लेगी। किसान खुशी से नहीं जमीन रजिस्ट्री करेंगे तो प्रशासन जबरिया जमीन अधिग्रहण कर लेगा।

दो चक्र की वार्ता के बाद किसानों को मनाने में विफल रहा गोरखपुर विकास प्राधिकरण (जीडीए) अब लेखपालों के जरिए किसानों से बात करेगा। 27 व 28 दिसंबर को इन गांवों के कानूनगो व लेखपालों को बुलाकर जीडीए में बैठक की गई। लेखपाल किसानों को नया गोरखपुर की खूबियां बताएंगे और जमीन के मूल्य को लेकर उनसे बात करेंगे।

गुरुवार को बैठक में जीडीए उपाध्यक्ष आनन्द वर्द्धन, सचिव उदय प्रताप सिंह, ओएसडी शिवम सिंह, अधिशासी अभियंता नरेन्द्र कुमार, गोरखपुर-टिकरिया-महराजगंज रोड पर स्थित 12 गांव परमेश्वरपुर, विशुनपुर, देवीपुर, ठाकुरपुर नंबंर-1, ठाकुरपुर नंबर-2, महराजगंज, रामपुर गोपालपुर, बैजनाथपुर, बालापार, सोनबरसा, मानीराम, रहमतनगर के कानूनगो व लेखपाल शामिल रहे।

6000 एकड़ में विकसित होगा नया गोरखपुर

प्राधिकरण की ओर से 25 गांवों के छह हजार एकड़ में नया गोरखपुर विकसित करने की तैयारी है। इसमें गोरखपुर-बालापार, महराजगंज-टिकरिया मार्ग पर 12, जबकि कसया रोड पर 13 गांव हैं। पहले चरण में कसया रोड के तीन गांवों में जमीन लिए जाने को लेकर प्रक्रिया शुरू कर जी चुकी है। शासन की ओर से जमीन अधिग्रहण के लिए बजट की पहली किस्त भी भेज दी गई है।

प्राधिकरण की विभिन्न टीमें बनाकर गांवों में किसानों से बातचीत करने के लिए भेजा गया था, लेकिन किसानों की ओर से इनकार कर दिया गया था। अब लेखपालों को यह जिम्मेदारी दी गई है। 27 दिसंबर को चौरी चौरा तहसील के जबकि 28 को सदर तहसील के लेखपालों के साथ जीडीए के अधिकारियों ने बात की। गुरुवार को हुई वार्ता में जीडीए के उपाध्यक्ष भी शामिल रहे।

किसानों को ऐसे राजी करेंगे लेखपाल, ये हैं रणनीति

इस बार जब लेखपालों को जिम्मेदारी मिली है तो स्थितियां बदली हुई हैं। कसया रोड के माड़ापार, तकिया मेदिनीपुर एवं कोनी में 251 हेक्टेयर जमीन के लिए अर्जन की प्रक्रिया शुरू की जा चुकी है। यहां सामाजिक प्रभाव का अध्ययन करने के लिए एजेंसी चयनित करने को अधिसूचना प्रकाशित हो चुकी है। इस स्थिति में लेखपाल जब किसानों के बीच जाएंगे तो वे अर्जन के विकल्प के बारे में भी उन्हें बताएंगे। अर्जन में प्रक्रिया पूरी करने के बाद जमीन ली जा सकती है।

किसानों के साथ बातचीत में मुआवजे की दर को लेकर भी बात की जाएगी। वर्तमान दर पर किसान तैयार नहीं हैं तो मुआवजे की दर बढ़ाने को लेकर भी बात की जा सकती है। प्राधिकरण का प्रयास है कि सभी की सहमति से ही जमीन ली जाए। इसमें समय भी कम लगेगा। बातचीत के प्रगति की निगरानी जीडीए के ओएसडी शिवम सिंह करेंगे। लेखपालों के साथ जीडीए के तहसीलदार व लेखपाल भी रहेंगे। 

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