Gorakhpur News: पूर्व मंत्री हरिशंकर तिवारी की प्रतिमा को लेकर सियासत, 2027 के विस चुनाव से क्या है कनेक्शन?
Gorakhpur News: पंडित हरिशंकर तिवारी भारतीय राजनीतिक इतिहास में जेल से चुनाव जीतने वाले पहले गैंगस्टर थे। चिल्लूपार विधानसभा सीट से हरिशंकर तिवारी लगातार 22 सालों तक विधायक रहे हैं।
Gorakhpur News: माफिया से राजनीति के दखल की प्रयोगशाला कहा जाने वाला उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले का चिल्लूपार विधानसभा एक बार फिर चर्चा में है। चर्चा के केन्द्रबिंदु में एक बार फिर पूर्व मंत्री हरिशंकर तिवारी हैं। मामला पूर्व मंत्री हरिशंकर तिवारी की प्रतिमा स्थापना का है। उनके पैतृक गांव टांड़ा में समर्थक प्रतिमा लगाने चाहते थे। प्रशासन ने यह कहते हुए चबूतरे पर बुलडोजर चला दिया कि प्रतिमा स्थापना के पूर्व अनुमति नहीं ली गई थी। इस घटना से पूरे क्षेत्र में सियासी भूचाल ला दिया है। पूर्वं मंत्री के पुत्र और पूर्व विधायक विनय शंकर तिवारी और भाजपा विधायक राजेश तिवारी इस मामले में खुलकर आमने सामने आ गए हैं। दोनों में आरोप प्रत्यारोप के सियासी बाण चल रहे हैं। लेकिन चर्चा यह है कि पूरा मामला सियासी वर्चस्व का है। इसका सीधा कनेक्शन 2027 में होने वाले विधानसभा चुनाव से है।
पंडित हरिशंकर तिवारी भारतीय राजनीतिक इतिहास में जेल से चुनाव जीतने वाले पहले गैंगस्टर थे। चिल्लूपार विधानसभा सीट से हरिशंकर तिवारी लगातार 22 सालों तक विधायक रहे हैं। पहला चुनाव 1985 में निर्दलीय लड़ा और उसके बाद फिर अलग-अलग राजनीतिक दलों से टिकट मिली और चुनाव भी जीते। तीन बार कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़कर जीते। 2007 के चुनाव में बसपा ने राजेश त्रिपाठी को अपना प्रत्याशी बनाकर चुनाव मैदान में उतार दिया। जहां अजेय सफर को विराम लगा। 1998 में कल्याण सिंह द्वारा बसपा को तोड़कर बनाई सरकार में साइंस और टेक्नोलॉजी मंत्री रहे। साल 2000 में राम प्रकाश गुप्त की भाजपा सरकार में स्टाम्प रजिस्ट्रेशन मंत्री रहे। वह राजनाथ सिंह की भी सरकार में मंत्री रहे।
2027 में होने वाले विधानसभा चुनाव की है तैयारी
पंडित हरिशंकर तिवारी के बेटे एक बार फिर 2027 में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर तैयारी में जुट गए हैं। वह सपा के टिकट पर चुनाव लड़ेंगे। वहीं भाजपा के विधायक राजेश तिवारी तीसरी जीत को लेकर दावेदारी करेंगे इसे तय माना जा रहा है। ऐसे में पूर्व मंत्री की प्रतिमा के बहाने सपा और पूर्व विधायक का परिवार ब्राह्मणों में संदेश देना चाहता है।
बेटे और विधायक में आरोप-प्रत्यारोप
पंडित हरिशंकर तिवारी ने मौत से पहले ही राजनीतिक विरासत बेटे विनय शंकर तिवारी को सौंप दी थी। विनय बसपा के टिकट पर यहां जीतने में कामयाब भी हुए। लेकिन 2022 में हुए विधानसभा चुनाव में उन्हें भाजपा के टिकट पर लड़ रहे राजेश तिवारी ने एक बार फिर पटखनी दे दी। पूरे प्रकरण पर विनय शंकर का कहना है कि प्रतिमा स्थापना के लिए बने चबुतरे पर बुलडोजर चलाना राजनीतिक अराजकता की पराकाष्ठा है। सहयोगी और समर्थक धैर्य बनाए रखें। कानून व्यवस्था की परिधि और मर्यादा में रहकर इसका जवाब दिया जाएगा। समय आने पर इसका निर्णय चिल्लूपार की जनता के साथ ही देश और प्रदेश की जनता भी करेगी। वहीं चिल्लूपार से विधायक राजेश त्रिपाठी का कहना है कि यह मामला पूर्व विधायक के पट्टीदार और समर्थक के बीच का है। अपने राजनैतिक वजूद को खत्म होते देखकर पूर्व विधायक अपने पिता की प्रतिमा का सहारा लेकर इस प्रकरण को मुझसे और सरकार से जोड़कर ओछी राजनीति पर उतर आए हैं।
प्रशासन ने कहा, बिना अनुमति के बना था चबूतरा
पूर्व मंत्री स्व. हरिशंकर तिवारी की जयंती पर उनके पैतृक गांव टांड़ा में प्रतिमा स्थापित करने के लिए बन रहे चबूतरे को प्रशासन ने बुधवार को ध्वस्त करा दिया। ग्राम पंचायत की भूमि पर बिना अनुमति निर्माण की शिकायत पर प्रशासन की तरफ से यह कार्रवाई की गई। कार्रवाई को लेकर पुलिस-प्रशासन और ग्रामीणों के बीच कहासुनी भी हुई। टांड़ा गांव में ग्राम पंचायत निधि के जरिए नवीन परती की भूमि पर पूर्व मंत्री की प्रतिमा स्थापित करने का निर्णय प्रस्ताव पारित करके लिया गया। इसके लिए एक पत्रक भी एसडीएम गोला को सौंपा गया था, लेकिन तहसील प्रशासन की ओर से लिखित अनुमति नहीं मिली। अनुमति न मिलने के बाद भी ग्राम पंचायत की जमीन पर चबूतरा का निर्माण शुरू करा दिया गया।
5 अगस्त को स्थापित होनी थी प्रतिमा
पूर्व मंत्री की जयंती पर 5 अगस्त को प्रतिमा स्थापना की तैयारी थी। इस मामले में बीते 21 जुलाई को गांव के ही डॉ. राजा वशिष्ठ त्रिपाठी ने एसडीएम गोला को एक पत्र देकर सार्वजनिक भूमि पर प्रतिमा लगाने पर आपत्ति जताते हुए कार्रवाई की मांग की। उन्होंने पत्र की कापी मुख्य सचिव, कमिश्नर और डीएम, एसएसपी, सीओ गोला के साथ प्रभारी निरीक्षक बड़हलगंज को भी भेजी। ग्राम प्रधान दयाशंकर तिवारी का कहना है कि ग्राम पंचायत ने नवीन परती भूमि पर सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित कर प्रतिमा लगाने का निर्णय लिया था। गांव के लोगों की ओर से एसडीएम को पत्र भी दिया गया था। एसडीएम ने मौखिक अनुमति प्रदान कर दी थी। इसलिए निर्माण कार्य कराया जा रहा था। एसडीएम गोला राजू कुमार का कहना है कि शासनादेश में स्पष्ट निर्देश है कि ग्राम पंचायत की भूमि में कोई मूर्ति स्थापित करने के लिए अनुमति ली जानी चाहिए। लेकिन इस संबंध में कोई अनुमति नहीं दी गई थी। इसकी शिकायत प्राप्त हुई थी। जब जांच कराई तो मामला सही पाया गया। इसके बाद कार्रवाई की गई।