Gorakhpur: फैक्टर आठ खत्म हुआ, हीमोफीलिया मरीजों का नहीं रुक रहा खून, मेडिकल कॉलेज कह रहा, लिख तो दिया पत्र
Gorakhpur News: मार्केट में यह 7000 से 8000 रुपये में मिल रहा है। सवाल करने पर बीआरडी मेडिकल कॉलेज में प्राचार्य का जवाब है कि फैक्टर के लिए पत्र तो लिख दिया गया है।
Gorakhpur News: स्वास्थ्य सेवाओं की हकीकत वहीं जानता है, जो इसे भोग रहा है। अब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के शहर में स्वास्थ्य सेवाओं का यह हाल है तो अन्य जिलों की स्थिति की कल्पना भर कर लीजिये। उत्तर प्रदेश के गारेखपुर में बाबा राघव दास मेडिकल कॉलेज में पिछले 20 दिनों से हीमोफीलिया मरीजों के लिए जरूरी फैक्टर आठ खत्म हो गया है। इस इंजेक्शन के नहीं लगने से कई मरीजों का खून रुक नहीं रहा है। मार्केट में यह 7000 से 8000 रुपये में मिल रहा है। सवाल करने पर बीआरडी मेडिकल कॉलेज में प्राचार्य का जवाब है कि फैक्टर के लिए पत्र तो लिख दिया गया है।
गोरखपुर-बस्ती मंडल के हीमोफीलिया के 385 चिन्हित मरीज हैं। इन्हें बीआरडी मेडिकल कालेज से इलाज नहीं मिल पा रहा है। मेडिकल कॉलेज में फैक्टर आठ के खत्म होने से इनकी दुश्वारियां बढ़ गई हैं। बीआरडी के बालरोग और मेडिसिन विभाग में पंजीकृत हीमोफीलिया के करीब 85 फीसदी मरीजों को सिर्फ फैक्टर आठ की दरकार होती है। यह फैक्टर बीते नौ जुलाई से मेडिकल कॉलेज में खत्म है। मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ.राम कुमार जायसवाल का कहना है कि पीजीआई से ही फैक्टर मिलता है। वहां पर डिमांड भेजी गई है। फैक्टर मिलते ही मरीजों को मुहैया कराया जाएगा।
पीजीआई लखनऊ से मिलता है फैक्टर आठ
मौसम में परिवर्तन की वजह से हीमोफीलिया मरीजों के शरीर में रक्तस्राव शुरू हो गया है। मरीजों को लेकर परिजन बीआरडी के चक्कर काट रहे हैं। फैक्टर ना होने से मरीज का इलाज नहीं हो पा रहा है। बीआरडी मेडिकल कॉलेज को फैक्टर लखनऊ स्थित पीजीआई से मिलता है। प्रदेश सरकार ने पीजीआई को इसका नोडल बनाया है। बताया जा रहा है कि मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने पीजीआई को डिमांड लेटर भेजा है। पीजीआई की तरफ से अभी कोई सकारात्मक जवाब नहीं मिला है।
हीमोफीलिया मरीजों में इस लिए जरूरी है फैक्टर आठ
अनुवांशिक बीमारी हीमोफीलिया के पीड़ित मरीजों में शरीर में खून को जमने के लिए आवश्यक प्रोटीन फैक्टर नहीं होता है। इससे शरीर में खून के जमने की प्रक्रिया प्रभावित होती है। चोटिल या दुर्घटना होने पर मरीजों में रक्तस्राव बंद नहीं होता। ऐसे में मरीजों की जान बचाने के लिए फैक्टर चढ़ाना पड़ता है। इस समय प्रदेश के ज्यादातर मेडिकल कालेजों में फैक्टर नहीं है। प्रदेश के दूसरे सोसायटी के सदस्य भी परेशान हैं। सभी व्हाट्सएप से आपस में संपर्क में हैं। पीजीआई की तरफ से बताया जा रहा है कि बजट की कुछ समस्या है। हीमोफीलिया वेलफेयर सोसायटी के अध्यक्ष शैलेष गुप्ता ने बताया कि लगभग 300 मरीजों की जान खतरे में है। कालेज में जीवनरक्षक फैक्टर खत्म हो गया है। 35 से अधिक मरीज इस समय रक्तस्राव से जूझ रहे हैं। उन्हें बेतहाशा दर्द हो रहा है। उनकी जान बचाने के लिए फैक्टर की दरकार है।