Gorakhpur News: पांच तेंदुओं को ‘उम्रकैद’, प्रदेश के इस चिड़ियाघर में ताउम्र रहने की मिल गई सजा

Gorakhpur News: आदमखोर पांच तेंदुए शहीद अशफाक उल्ला खां प्राणि उद्यान (चिड़ियाघर) में रखे गए हैं। ये सभी अब ‘उम्रकैद’ काटेंगे।

Update: 2024-07-31 02:41 GMT

Five leopards life imprisonment (photo: social media )

Gorakhpur News: क्या तेंदुओं को भी आम अपराधियों की तरह उम्रकैद की सजा हो सकती है? यह सवाल हैरान कर रहा है न? लेकिन सच यह है कि उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में पांच आदमखोर तेंदुए उम्रकैद की सजा काट रहे हैं। ये कभी भी जंगल में नहीं छोड़े जाएंगे। इनकी पूरी जिंदगी गोरखपुर में ही चिड़ियाघर में कटेगी।

आदमखोर पांच तेंदुए शहीद अशफाक उल्ला खां प्राणि उद्यान (चिड़ियाघर) में रखे गए हैं। ये सभी अब ‘उम्रकैद’ काटेंगे। इन तेंदुओं की आक्रामकता को देख कर इन्हें जंगल में नहीं छोड़ने का निर्णय लिया गया है। बिजनौर और बलरामपुर से लाए गए ये तेंदुए मानव संघर्ष में कई जान ले चुके हैं। हालांकि चिड़ियाघर के डॉक्टरों ने इनके स्वभाव में परिवर्तन को लेकर कोशिशें की लेकिन अब तक इनके स्वभाव में कोई भी परिवर्तन नहीं हुआ है।

इन्हें चिड़ियाघर में अलग सेल में रखा गया

जिस तरह जेल में खूंखार कैदियों को तन्हाई में रखा जाता है। उसी तरह इन्हें भी अलग सेल में रखा गया है। असल में यह बाड़े के पास जाते ही ये जू-कीपरों पर भी आक्रामक हो जाते हैं। इन तेंदुओं में चार बिजनौर और एक बलरामपुर से लाया गया है। बिजनौर के चारों तेंदुओं का कई बार मानव संघर्ष हुआ है। इन चारों तेंदुओं ने कई की जान ली है। साथ ही कइयों को गंभीर रूप से घायल भी किया है। इसके अलावा बलरामपुर से लाए गए तेंदुए का भी जबरदस्त मानव संघर्ष हुआ है। पशु चिकित्सकों का कहना है कि ये पांचों तेंदुए पूरी तरह से जंगली थे और जंगल से निकालकर मानवों से सीधा संपर्क हो गया। ये शिकार के साथ अपने बचाव का पूरा तरीके जानते थे, जिसकी वजह से इनका मानवों से संघर्ष हुआ और इसमें सफल रहे हैं।

चालाक और शातिर होते हैं तेंदुए

चिड़ियाघर के मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डॉ. योगेश प्रताप सिंह ने बताया कि तेंदुए अन्य जानवरों की तुलना में बेहद चालाक और शातिर किस्म के होते हैं। एक बार जहां पर इन्हें शिकार मिल जाता है, वहां उन्हें जाने से कोई भी नहीं रोक सकता है। छिपकर वार करने में यह बाघ से भी माहिर होते हैं। यही कारण है कि इनकी आहट जंगल में जल्दी कोई जानवर नहीं समझ पाता है। इन्हें जंगल में छोड़ना खतरे से खाली नहीं है। जंगल से फिर मानव बस्ती में आ जाएंगे। इन्हें अब चिड़ियाघर में ही रखा जाएगा।

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