Gorakhpur News: नजूल भूमि पर बने होटल, स्कूल से लेकर मैरिज हाल पर संकट!

Gorakhpur News: राज्यपाल के आदेश के बाद नजूल भूमि के संबंध में नया अध्यादेश लागू हो गया है। इस अध्यादेश में स्पष्ट आदेश दिए गए हैं कि नजूल की जमीनों पर जो भी मुकदमे चल रहे हैं या लंबित हैं वह समाप्त हो जाएंगे।

Update: 2024-03-16 02:43 GMT

रेलवे स्टेशन के पास कई होटल नजूल की जमीन पर बने हैं (Newstrack)

Gorakhpur News: उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में रसूखदारों ने नजूल की जमीनों पर कब्जा कर रखा है। किसी के पास पट्टा तो है लेकिन तमाम ऐसे हैं, जिनके पास कोई कागज ही नहीं है। मामला कोर्ट में लंबित है और जिम्मेदार नजूल की जमीनों पर होटल, स्कूल से लेकर मैरिज हाल संचालित कर करोड़ों की कमाई कर रहे हैं। अब जिला प्रशासन गोरखपुर में नजूल जमीन को लेकर चल रहे 85 केस को खारिज कराने की कवायद शुरू कर दी है। ऐसे में रसूखदारों की नींद उड़ गई है। वहीं स्कूलों में दाखिला लेने वाले बच्चों की अभिभावक भी परेशान हो गए हैं।

राज्यपाल के आदेश के बाद नजूल भूमि के संबंध में नया अध्यादेश लागू हो गया है। इस अध्यादेश में स्पष्ट आदेश दिए गए हैं कि नजूल की जमीनों पर जो भी मुकदमे चल रहे हैं या लंबित हैं वह समाप्त हो जाएंगे। नजूल की करीब 30 एकड़ बेशकीमती जमीनें कई सालों से फंसी पड़ी हैं। मुकदमें वाली जमीनों में स्कूल, क्लब, मैरेज हाल से लेकर निजी कार्यालय संचालित हो रहे हैं। सिविल लाइन, यूनिवर्सिटी चौराहा, सिटी मॉल, हरिओम नगर और पुराने आरटीओ रोड की जमीनें शामिल है। इसी रोड पर एक संस्था के नाम से एक एकड़ 87 डिसमिल जमीन नजूल की है। संस्था का लीज भी समाप्त हो चुका है। इसी तरह सिविल लाइंस में कई शैक्षणिक संस्थान, एक बड़े निजी संस्था का कार्यालय भी नजूल की जमीन पर हैं, जिसका पटेट्दार करीब 50 सालों से लापता है।

नजूल की जमीन पर चल रहे 36 बड़े होटल

नजूल की जमीनों पर शहर के 36 बड़े होटलों की इमारतें खड़ी हो गई हैं। नजूल की ये जमीनें रेलवे स्टेशन रोड पर है। इसके अलावा शीतला माता वाली गली में करीब 40 से 50 मकान भी नजूल की जमीनों पर बन गए हैं। इनमें कोई मकान 400 से लेकर 600 वर्ग फीट में है। एडीएम फाइनेंस और प्रभार नजूल जमीन विनीत सिंह का कहना है कि नजूल की बेशकीमती जमीनों की सूची प्रशासन ने तैयार करनी शुरू कर दी है। पहले चरण में प्रशासन ने नजूल की जमीनों पर कब्जेदारी को लेकर किए गए मुकदमें की लिस्ट बनाई है। इनमें हाईकोर्ट में 35 और सिविल कोर्ट में 50 से अधिक मुकदमे चल रहे हैं। प्रशासन ने नए अध्यादेश का हवाला देकर इन मुकदमों को खारिज कराने की कवायद शुरू की है। 

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