विश्व बाघ दिवस: चार किलोमीटर दूर तक सुनाई देती है बाघ अमर की दहाड़, सफेद बाघिन को बाथ टब में नहाना पसंद

Gorakhpur News: चिड़ियाघर में सबसे अधिक दर्शक गीता और अमर को देखने आते हैं। बाघ अमर को प्राइड ऑफ जू (चिड़ियाघर का गौरव) का खिताब मिला है।

Update:2024-07-29 07:59 IST

International Tiger Day   (photo: social media)

Gorakhpur News: उत्तर प्रदेश के गोरखपुर स्थित शहीद अशफाक उल्ला खां प्राणि उद्यान (चिड़ियाघर) में सभी बाघ की अपनी खूबियां हैं। यहां सफेद बाघिन गीता पूर्वांचल के लिए विशेष है। देशभर के केवल 12 चिड़ियाघरों में सफेद बाघ हैं, जिनमें गीता भी शामिल है। उसे ब्यूटी ऑफ जू (चिड़ियाघर की खूबसूरती) का खिताब दिया गया है। वहीं बाघ अमर की दहाड़ 4 किलोमीटर दूर तक सुनाई देती है।

सफेद बाघ गीता की दहाड़ और हाव-भाव देखकर हर दिन दर्शक इतराते हैं। इसके अलावा बंगाल टाइगर अमर, मैलानी और शक्ति की मौजूदगी भी रोमांचित करती है। चिड़ियाघर के चारों बाघों को गर्मी बिल्कुल पसंद नहीं है। बाड़े में एसी के साथ कूलर की व्यवस्था की गई है। चिड़ियाघर प्रशासन ने गीता के बाड़े में सीमेंटेड बाथिंग टब बनवा दिया है। गीता को जुलाई 2022 में लखनऊ चिड़ियाघर से लाया गया था। चिड़ियाघर में सबसे अधिक दर्शक गीता और अमर को देखने आते हैं। बाघ अमर को प्राइड ऑफ जू (चिड़ियाघर का गौरव) का खिताब मिला है। 200 किलो के आसपास वजन वाले अमर को पानी में खेलना बेहद पसंद है। एक बार में करीब 15 से 16 किलोग्राम मांस खाता है। इसका जन्म कानपुर चिड़ियाघर में हुआ था। इसे 2022 में गोरखपुर चिड़ियाघर लाया गया था।

मुख्यमंत्री योगी ने दिया बाघिन को शक्ति नाम

सीएम योगी ने दुधवा टाइगर रिजर्व मैलानी रेंज से लाई गई बाघिन की दहाड़ सुनकर उसका नाम शक्ति रखा है। करीब 11 माह की यह बाघिन बेहद चालाक है और पूरी तरह से जंगल की है। चिड़ियाघर के मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डॉ. योगेश प्रताप सिंह ने बताया कि जंगली बाघ दो साल तक अपनी मां से शिकार करना और खुद का बचाव करना सीखते हैं, लेकिन यह समय से पहले आ गई तो इसने अभी बचाव का तरीका नहीं सीखा है। अभी उसने केवल शिकार करना सीखा है।


पिकनिक स्पॉट बन रहा सोहगीबरवा

नेपाल व बिहार की सीमा से सटी सोहगीबरवा वाइल्ड लाइफ सेंक्चुरी वाल्मीकिनगर टाइगर रिजर्व के बाघों का पिकनिट स्पॉट बन कर उभर रही है। सेंक्चुरी क्षेत्र में दो बार बाघों की गणना हो चुकी है। दोनों की बाउंड्री सटी होने की वजह से अक्सर वीटीआर के टाइगर शिवपुर व निचलौल रेंज तक आते रहते हैं। शावकों के साथ उनकी मौजूदगी का प्रत्यक्ष प्रमाण मिल चुका है।



 


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