Gyanvapi Case: ज्ञानवापी मस्जिद सर्वे के लिए ASI लेगी IIT कानपुर की मदद, GPR टेक्नोलॉजी ऐसे खोलेगा राज

Gyanvapi Survey: वाराणसी स्थित ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के ASI सर्वे पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 3 अगस्त तक रोक लगा दी है। इस मामले में दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है।

Update: 2023-07-28 13:10 GMT
Gyanvapi Survey (Social Media)

Gyanvapi Survey: वाराणसी स्थित ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के ASI सर्वे पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 3 अगस्त तक रोक लगा दी है। इस मामले में दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। अदालत 3 अगस्त को निर्णय देगा। इस बीच, ज्ञानवापी परिसर में सर्वे के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने आईआईटी कानपुर (IIT Kanpur) से मदद मांगी है।

जानकारी के अनुसार, GPR टेक्नोलॉजी के जरिए बिना जमीन खोदे वस्तुओं की पहचान हो जाएगी। दरअसल, ज्ञानवापी परिसर (Gyanvapi Campus) में बगैर कोई छेड़छाड़ किए पुरातात्विक महत्व की जांच-पड़ताल करने के लिए ASI ने रडार और जीपीआर तकनीक की मदद लेने का फैसला किया है।

क्यों चाहिए IIT की मदद?

पुरातत्व खोज अभियानों में शामिल रह चुके आईआईटी के प्रोफेसर जावेद मलिक (IIT Professor Javed Malik) ने बताया कि, 'ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार (GPR) ऐसी तकनीक है, जिससे किसी भी वस्तु या ढांचे से बगैर छेड़छाड़ किए हुए उसके नीचे कंक्रीट धातु, पाइप, केबल सहित अन्य वस्तुओं की पहचान संभव है। इस तकनीक में इलेक्ट्रोमैग्नेटिक रेडिएशन (Electromagnetic Radiation) की मदद से ऐसे सिग्नल मिलते हैं, जो ये बताने में कारगर साबित होते हैं कि जमीन के नीचे किस प्रकार और आकार की वस्तु या ढांचा है।'

जमीन के नीचे की वस्तुओं का ऐसे पता लगाएगा

आईआईटी प्रोफेसर जावेद ने बताया कि, 'टीम ज्ञानवापी परिसर जाएगी। उनके पास जो उपकरण मौजूद हैं उससे आसानी से 8 से 10 मीटर जमीन के नीचे तक वस्तु का पता लगाया जा सकता है। उन्होंने बताया, 2D और 3D प्रोफाइल्स की जाएंगी। आईआईटी प्रोफ़ेसर ने बताया कि, ये टेक्नोलॉजी हमें अंदर मौजूद वस्तु के आकार का पता लगाने में भी मदद करेगी। फिर उसके आधार पर विश्लेषण किया जाएगा। सर्वे के लिए 8 दिन का समय लगेगा।'

'उपकरणों के फोटोग्राफ संलग्न किए'

ज्ञानवापी मस्जिद सर्वे की सुनवाई इलाहाबाद हाईकोर्ट में हुई। सुनवाई के दौरान मुस्लिम पक्ष के वकील ने कहा कि, 'हमने खुदाई के विभिन्न उपकरणों के फोटोग्राफ संलग्न किए हैं। उन्हें ASI की टीम मस्जिद परिसर लेकर पहुंची थी।' वहीं इस पर एएसआई के अपर निदेशक आलोक त्रिपाठी (Alok Tripathi) ने कहा कि, 'टीम पहली बार मस्जिद वाले स्थान पर गई थी। इसलिए वे अपने साथ कुछ उपकरण लेकर गए। मगर, खुदाई के लिए नहीं, बल्कि परिसर से मलबा हटाने के लिए'।

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