Gyanvapi Masjid Case : ज्ञानवापी मामले में अगली सुनवाई सोमवार को, मुस्लिम पक्ष ने शिवलिंग के अस्तित्व पर उठाए सवाल

Gyanvapi Masjid Hearing : ज्ञानवापी मस्जिद मामले में वाराणसी के सिविल कोर्ट (Varanasi Civil Court) में आज सुनवाई सुनवाई हो रही है, कोर्ट रूम में इस वक्त कुल 36 लोग मौजूद हैं।

Written By :  Bishwajeet Kumar
Newstrack :  aman
Update:2022-05-26 16:00 IST

Gyanvapi Masjid Case (Image Credit : Social Media)

Gyanvapi Masjid Case :वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद विवाद (Gyanvapi Masjid Controversy) मामले में गुरुवार को वाराणसी के सिविल कोर्ट (Varanasi Civil Court) में सुनवाई हुई। बता दें, कि बीते दिन मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) में सुनवाई के दौरान कोर्ट ने आदेश दिया कि इस मामले का निपटारा सिविल कोर्ट में ही किया जाए।

ज्ञानवापी मामले (Gyanvapi Masjid Case) पर वाराणसी जिला कोर्ट में आज, 26 मई को सुनवाई हुई। आज सुनवाई के दौरान मुस्लिम पक्ष ने पहले अपनी दलीलें रखीं। मुस्लिम पक्ष की ओर से वकील अभय यादव ने बहस की। इससे पहले हरिशंकर जैन सहित सभी पक्षों के वकील कोर्ट रूम में पहुंच गए थे। दोनों पक्षों के वकील जज के सामने अपना-अपना पक्ष रखा। जिला जज की अदालत में बहस शाम 4 बजे तक चली। मामले में 7 रूल 11 को लेकर बहस हुई। 

Gyanvapi Masjid Case Live Update

'शिवलिंग का अस्तित्व सिद्ध नहीं हुआ'

इस बीच मस्जिद समिति ने तर्क दिया कि ज्ञानवापी के अंदर शिवलिंग का अस्तित्व अभी तक सिद्ध नहीं हुआ है। मस्जिद समिति ने कहा, कि 'ज्ञानवापी में शिवलिंग के होने की अफवाह से जनता में खलबली मची हुई है। इसकी अनुमति तब तक नहीं दी जानी चाहिए, जब तक कि अस्तित्व सिद्ध न हो जाए।' 

अगली सुनवाई सोमवार को

इस मामले में वाराणसी कोर्ट में मुस्लिम पक्ष के वकील अभय यादव ने दलील दी कि, इस मामले में मेंटेनबिलिटी नहीं बनती। वहीं, मस्जिद कमेटी ने शिवलिंग होने के अस्तित्व पर ही सवाल खड़े किए। वाराणसी की जिला अदालत ने आज सभी पक्षों की दलील सुनी, जिसके बाद उन्होंने अगली सुनवाई सोमवार तक के लिए बढ़ा दी।  

Places of Worship Act 1991 पर सुनवाई जारी

ज्ञानवापी केस में आज वाराणसी के सिविल कोर्ट में सुनवाई जारी है जहां हिंदू पक्ष की ओर से श्रृंगार गौरी को लेकर याचिका दायर की गई है, वहीं मुस्लिम पक्ष की ओर से यह मांग की जा रही की इस केस से जुड़ी सभी याचिकाओं को रद्द किया जाए। क्योंकि यह 1991 पूजा स्थल कानून यानी Places of Worship Act 1991 का उल्लंघन करता है। आज सिविल कोर्ट इसी मामले को लेकर अपना फैसला सुना सकती है कि क्या इस केस पर Places of Worship Act लागू होगा या नहीं।

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