Hapur News: चाइनीज माल पर भारी पड़ रही स्वदेशी हापुड़ की बेडशीट, देश-विदेश में बढ़ रहा कारोबार, जानिए क्या है खासियत
Hapur News: हैंडलूम नगरी पिलखुवा के हुनरमंदों ने बेडशीट कारोबार में चीन को मात देने की ठान रखी है। पानीपत के बाद यूपी में भी थ्रीडी चादर (3D bedsheet) तैयार करने का कारखाना लगा हुआ है।
Hapur News: प्रत्येक हिन्दुस्तानी के मन में चीन को सबक सिखाने की बात आती रहती है। भारत के जांबाज सैनिक बॉर्डर पर जवाब दे रहे हैं। चीन के सामानों की खरीदारी नहीं करने को लेकर भी जागरूकता फैलाई जाती है। इसी क्रम में हैंडलूम नगरी पिलखुवा के हुनरमंदों ने बेडशीट कारोबार में चीन को मात देने की ठान रखी है। पानीपत के बाद यूपी में भी थ्रीडी चादर (3D bedsheet) तैयार करने का कारखाना लगा हुआ है। पहले थ्रीडी चादर केवल चीन निर्मित हुआ करती थी। सस्ती होने के कारण ग्राहकों की पहली पसंद यह चादर बन गई थी। लेकिन, अब लोगों को स्वदेशी चादर ही चीन निर्मित चादर के दाम में मिल रही है।
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चीन की थ्रीडी चादर (3D bedsheet) को मात दे रही पिलखुवा की थ्रीडी चादर
किसी देश को सबक सिखाने के लिए जरूरी है कि उसकी अर्थव्यवस्था को कमजोर किया जाए। कभी थ्रीडी चादर निर्मित करने में चीन की बादशाहत थी। चीन को बैडशीट कारोबार में सबक सिखाने के लिए पिलखुवा हैंडलूम नगरी के उद्यमियों ने हुनरमंदों के जरिए प्लानिंग तैयार कर ली। देश-विदेश में प्रख्यात हापुड़ की हैंडलूम नगरी नाम रोशन कर रही है।
टेक्सटाइल सिटी में स्थापित है कारखाना
पिलखुवा हैंडलूम नगरी में थ्रीडी चादर करने का कारखाना टेक्सटाइल सिटी में स्थापित है। कारखाना स्वामी अशोक सिंघल ने बताया कि उत्तरप्रदेश में थ्रीडी चादर तैयार करने वाला यह पहला कारखाना है। यह कारखाना लगभग 2022 में स्थापित किया गया था, लेकिन लॉकडाउन के चलते उत्पादन शुरू नहीं हो सका था। अनलॉक होने के बाद उत्पादन शुरू हो गया है। पिलखुवा निर्मित थ्रीडी चादर देश-विदेश की मार्केट में धूम मचा रही है।
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कारखाना स्वामी का कहना है कि चीन निर्मित डबल बेड की चादर मार्केट में 125 से 200 रुपये की है। जबकि उससे बेहतर क्वालिटी और नए डिजाइन के साथ स्वदेशी थ्रीडी चादर 75 से 150 रुपये की हैं। इसका मुख्य कारण चीन की चादर चीन निर्मित होने के बाद देश मे कईं प्रकार के टैक्स देकर बाजार में आती है। जबकि स्वदेशी चादर पर केवल देश मे टैक्स देना पड़ता है। चादर निर्मित करने के सभी साधन देश के अलग-अलग राज्यों हरियाणा, राजस्थान व गुजरात से पूरा हो जाते हैं। जिससे चादर बनाने में कम खर्च आता है और लोगों को भी सस्ते दाम में चादर उपलब्ध हो रही है।