Hapur News: प्राकृतिक आपदाओं में मरने पर मुआवजा मिलने के नियमों में बदलाव, इन दस्तावेजों से मिलेगा पैसा
Hapur News: अधिकारियों के अनुसार पीड़ित परिवार कभी भी जरूरी डाक्यूमेंट पूरा करके लेखपाल-तहसीलदार के समक्ष आवेदन कर सकते हैं। जिसके बाद मुआवजा मिलने में आसानी होगाी।
Hapur News: आपदा प्रबंधन विभाग ने मुआवजे के नियमों में सुधार कर दिया है। इससे अब ज्यादातर पीड़ितों को मुआवजे की धनराशि मिल सकेगी। अभी तक आपदा में मौत-दिव्यांग हो जाने पर 24 घंटे के अंदर प्रशासन को सूचना देनी पड़ती थी। ज्यादातर मामलों में पीड़ित के परिजन 24 घंटे में सूचना नहीं दे पाते थे। डूबने पर शव नहीं मिलने के कारण पोस्टमार्टम संभव ही नहीं होता है। वहीं सर्पदंश के मामले में मृतकों के परिजन पोस्टमार्टम नहीं कराते हैं। लू से मौत होने के मामले में स्वास्थ्य विभाग की ओर से जानकारी ही एक-डेढ़ महीने बाद दी जाती हैं। ऐसे में मुआवजा प्राप्त करना मुश्किल हो जाता है। यही कारण है कि जिले में सर्पदंश से करीब 18 मौत हो चुकी है और मुआवजा केवल एक को ही मिला है। अब आपदा प्रबंधन विभाग ने मुआवजा राशि के लिए नियमों को आसान करने के साथ ही उनके प्रचार-प्रसार पर जोर दिया है। जिससे ज्यादातर मृतकों के परिजनों को मुआवजा राशि मिल सकेगी।
24 घंटे के अंदर तहसील प्रशासन को सूचित करना अनिवार्य
शासन की और से प्राकृतिक आपदाओं में मौत होने पर आश्रितों को मुआवजा प्रदान किया जाता है। इसके साथ ही दिव्यांग होने या फसल-मकान का नुकसान होने पर भी मुआवजा राशि प्रदान करने का प्रावधान है। स्थिति यह है कि ज्यादातर लोगों को आपदा के मामलों में मुआवजा मिलने की जानकारी ही नहीं है। वहीं आपदा के कारण मौत होने की स्थिति में लोग पोस्टमार्टम कराने को महत्व नहीं देते हैं। जिसके चलते वह मुआवजा पाने के पात्र नहीं होते हैं। वहीं अभी प्राकृतिक आपदा की स्थिति में 24 घंटे के अंदर तहसील प्रशासन को सूचित करना अनिवार्य होता था। आपदा में परिजन की मौत की स्थिति में ज्यादातर लोग अधिकारियों को सूचना नहीं दे पाते थे। जिसके कारण उनको मुआवजा नहीं मिल पाता है। ज्यादातर लोग यह भी नहीं जानते हैं कि किन मामलों को प्राकृतिक आपदा माना जाता है।
यह हैं प्रकृतिक आपदाएं
बाढ़, सूखा, अग्निकांड, ओलावृष्टि, भूकंप, सुनामी, बादल फटना, कोहरा, शीतलहर, चक्रवात, भू-स्खलन, कीट आक्रमण और हिम स्खलन।
प्रदेश सरकार द्वारा अधिसूचित बेमौसम भारी वर्षा, ओलावृष्टि, आकाशीय बिजली का गिरना, आंधी-तूफान, लू-प्रकोप, नाव दुर्घटना, सर्पदंश, सीवर सफाई-गैस रिसाव, बोरवेल में गिरना, जंगली जानवरों का हमला।
कुंआ, नदी, झील, पोखर, तालाब, नहर, नाला गड्ढ़ा, जलप्रपात में डूबकर मौत होना, सांड व नीलगाय के हमले में मौत या दिव्यांग होना।
लोगों को किया जाएगा जागरूक
अपर जिलाधिकारी संदीप कुमार ने कहा कि अधिकारियों के अनुसार प्राकृतिक आपदा के मामलों में ज्यादातर लोग मानकों का पालन नहीं कर पाते हैं। जिसके चलते वह शासन की आपदा मुआवजा राशि के पात्र बनने से वंचित रह जाते हैं। ऐसे में घटना के तत्काल बाद यानि 24 घंटे में सूचना देने का मकसद था कि अधिकारी उनसे कागजात उपलब्ध कराकर आवेदन कराने में सहयोग कर सकें। आपदा में मौत के बाद ज्यादातर परिवारों में कोहराम-बदहवासी की स्थिति रहती है। ऐसे में उनके लिए 24 घंटे में सूचना देना संभव नहीं होता है। भ्रम की स्थिति के चलते अब 24 घंटे में सूचना देने के संदेश पर काम करना बंद कर दिया है। अब लोगों को सीधे जागरूक किया जा रहा है।
कभी भी कर सकते हैं मानक पूरे
अधिकारियों के अनुसार पीड़ित परिवार कभी भी जरूरी डाक्यूमेंट पूरा करके लेखपाल-तहसीलदार के समक्ष आवेदन कर सकते हैं। वहां से आवेदन की पत्रावली जांच के उपरांत जिला मुख्यालय पर प्राप्त हो जाएगी। जिसकी जांच के बाद 24 घंटे में ही आपदा मुआवजा की धनराशि की भुगतान कर दिया जाएगा। इन मामलों में चार लाख रुपये का मुआवजा प्रदान किया जाता है। सबसे जरूरी बात यह है कि मृतक की पोस्टमार्टम रिपोर्ट प्रस्तुत की जाए। जबकि प्राकृतिक आपदा के ज्यादातर मामलों में लोग पोस्टमार्टम नहीं कराते हैं। वहीं सर्पदंश के मामलों में लोग पोस्टमार्टम नहीं कराते हैं। जिसके चलते मुआवजा राशि नहीं मिल पाती है।
प्राकृतिक आपदा में मौत के बाद पोस्टमार्टम है जरूरी
जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी गजेंद्र सिंह नें बताया कि पीड़ित परिवार को जागरूक करें और पोस्टमार्टम कराने के लिए प्रेरित करें। अकेले पंचनामा रिपोर्ट पर मुआवजा राशि प्रदान करना संभव नहीं है। यही कारण है कि सर्पदंश के 18 मामले होने के बावजूद केवल एक में ही मुआवजा राशि दी जा सकी है। डूब जाने पर शव नहीं मिलने की स्थिति में मृतक के आश्रित को लिखकर देना होता है कि यदि कभी गायब व्यक्ति वापस लौट आता है तो मुआवजा राशि वापस करनी पड़ेगी।