Hapur News: जिले के हर वर्ग को साइबर ठग बना रहे अपना शिकार, दम तोड रहा है जागरूकता अभियान
Hapur News: ठगी का शिकार तलाशने के लिए सबसे बड़ा जरिया इंटरनेट मीडिया के विभिन्न मंच बन रहे हैं। यहां इनकी बड़ी टीम सक्रिय रहती है, जो प्रतिदिन लाखों प्रोफाइल का विश्लेषण करती है।
Hapur News: साइबर अपराध पिछले तीन-चार वर्षों में पुलिस के लिए अधिक सिर दर्द बन चुका है। भय, लालच व अज्ञानतावश बड़ी संख्या में लोग इसका शिकार हो रहे हैं। साइबर ठगी का शिकार लोगों की फेहरिस्त में डॉक्टर, उद्योगपति, नेता, सेवानिवृत्त सैन्य अधिकारी से लेकर सरकारी कर्मचारी,पुलिस महकमे के लोग और बैंक अधिकारी तक शामिल हैं, जो शिक्षित हैं और बड़ी जिम्मेदारियों का निर्वहन करते रहे हैं या कर रहे हैं। यानी साइबर ठग किसी को नहीं छोड़ रहे हैं, वे समाज के हर वर्ग को चंगुल में ले रहे हैं और उनकी गाढ़ी कमाई झटक रहे हैं।ठगी का शिकार तलाशने के लिए सबसे बड़ा जरिया इंटरनेट मीडिया के विभिन्न मंच बन रहे हैं। यहां इनकी बड़ी टीम सक्रिय रहती है, जो प्रतिदिन लाखों प्रोफाइल का विश्लेषण करती है। इसमें उपभोक्ता द्वारा डाले गए पोस्ट, फोटो, वीडियो से ये साइबर अपराधी व्यक्ति का बैकग्राउंड व उसकी वित्तीय स्थिति का अंदाजा लगाते हैं। इसमें सबसे अधिक मामले निवेश के नाम पर और डिजिटल अरेस्ट के जरिये ठगी के आ रहे हैं।
मैसेज खोलते ही खाते सें उड़े 1.25 लाख
थाना बाबूगढ में वार्ड सख्या दस के निवासी दीपक कुमार नें बताया कि पांच अक्टूबर को उसके वाट्सएप पर अज्ञात नंबर सें एक व्यक्ति नें मैसेज भेजा। जैसे ही पीड़ित नें मैसेज को खोला वैसे हीं उसके दो बैंक खाते सें 1.25 लाख रूपये काट लिए गए। आनन फानन में पीड़ित नें बैंक अधिकारीयों सें सपर्क कर खाता सीज कराया। जिसके बाद उसने थाने में तहरीर देकर कार्यवाही की मांग की है।
लिंग भेजकर दिव्यांग के खाते सें निकाले 1.65 लाख
थाना बाबूगढ क्षेत्र के गांव कनिया कल्याणपुर के राहुल कुमार नें बताया कि वह दिव्यांग है। दो सितंबर को उसके मोबाइल पर एक अज्ञात नंबर सें कॉल आया। कॉल उठाने पर आरोपी नें खुद को बैंक का अधिकारी बताकर उसे अपने झांसे में ले लिया। इसके बाद आरोपी नें उसे एक लिंक भेजा। लिंक खोलते हीं उसके क्रेडिट कार्ड सें चार बार 1.65 लाख रूपये काट लिए गए। इसके बाद पीड़ित नें आरोपी को किया लेकिन आरोपी नें फोन नंबर हीं बंद कर दिया।
36 घंटे तक पीड़ित को किया डिजिटल अरेस्ट
वही नगर कोतवाली क्षेत्र के मेरठ रोड पर स्थित गुरुनानक मार्केट निवासी संदीप सिंह अनेजा नें मुकदमा दर्ज कराया था।जिसमें बताया गया कि 21 जुलाई की सुबह को उसके फोन पर एक काॅल आई। जिसमें बताया गया कि वह फेडअक्स कोरियर से बोल रहा है। आरोपी ने बताया कि उसका एक पार्सल आया है,जिसेकस्टम वालो ने रोक दिया है । पार्सल के साथ उसका मोबाइल नंबर व आधार कार्ड लगा हुआ है। पीड़ित ने बताया कि उसने कोई पार्सल बुक नही किया है । इस पर आरोपी ने कहा कि यह जांच क्राइम ब्रांच करेगी और काॅल ट्रांसफर कर दी।आरोपियों ने क्राइम ब्रांच अफसर बनकर पूछताछ की तो पीड़ित ने बताया कि किसी ने उसके नाम पसे पार्सल बुक कराया है।
जिसमें 5 पासपोर्ट, 5 एटीएम कार्ड, 4 किलो कपड़े, एक लेपटाॅप और 200 ग्राम एमडीएमए मिला है। एमडीएमए सुनते ही उन्होंने कहा कि इसकी शिकायत उनकी मुंबई क्राइम ब्रांच में आकर दर्ज करानी होगी ।पीड़ित ने बताया कि उसके परिवार में शादी होने के कारण मुंबई नहीं आ सकता है। इस पर आरोपियों ने कहा कि उनकी टीम उसे घर से उठाने आऐ जाएगा। आरोपियों ने 36 घंटे तक पीड़ित को आनलाइन कैमरे के सामने बैठाए रखे और वाशरूम जाने के समय भी कैमरा वाशरुम के बाहर लगाये रखा । आरोपियों ने जांच के नाम पर उसके खाते से 4.54 लाख रुपये यह कहते हुए ट्रांसफर करा लिए और बताया कि जांच के बाद पैसे वापस कर दिए जाएंगे। इसकी जानकारी उसने अपने मित्र को दी तो उसे साइबर ठगी के पासे में जानकारी हो सकी। पीड़ित नें इस मामले मुकदमा दर्ज कराया है।
दम तोड रहा है जागरूकता अभियान
सरकार की मंसा के अनुसार साइबर ठगी को जिले में जागरूकता अभियान चलाया जाता है। मगर, यह अभियान सिर्फ फोटो, वीडियो बनानें व उन्हें सोशल मिडिया पर पोस्ट करने तक सिमटकर रह गया है। धरातल पर महिलाओ व बुजर्गो में साइबर ठगी को लेकर जागरूकता का आभाव है। उससे बचने का उन्हें कोई तरीका भी पता नहीं है।
क्या बोले एसपी हापुड़
एसपी कुंवर ज्ञानंजय सिंह का कहना है कि, साइबर ठगी का शिकार होने सें बचाने के लिए जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। लोगों को ठगी सें बचाव के तरीको को बताया जा रहा है। अपराध पर अंकुश लगाने का काम भी पुलिस कर रही है। लोगों को खुद भी इस सबंध में जागरूक होना पड़ेगा।
साइबर अपराधी सें बचने के उपाय
वेबसाइट का यूआरएल एचटीटीपीएस से शुरू हो रहा हो, इसमें 'एस' बताता है कि वेबसाइट सुरक्षित है।
प्राइमरी ई-मेल को इंटरनेट मीडिया साइट्स के लिए इस्तेमाल न करें, सेकंडरी ई-मेल बनाकर रखें।
इंटरनेट मीडिया मंचों पर अनजान लोगों की रिक्वेस्ट स्वीकार न करें। अपनी निजी जानकारी न दें।
पासवर्ड में अपर केस, लोअर केस, नंबर और स्पेशल कैरेक्टर को रखें, हर 45 दिन में इसे बदलते रहें।
हर ऑनलाइन अकाउंट के लिए अलग पासवर्ड रखें। किसी से पासवर्ड या ओटीपी साझा नहीं करें।
फ्री सॉफ्टवेयर डाउनलोड करने से पहले साफ्टवेयर और वेबसाइट होस्टिंग का पता लगा लें।
ऑनलाइन बैंकिंग का इस्तेमाल करते समय यूआरएल को मैनुअली टाइप करें।
अज्ञात ई-मेल में आए किसी अटैचमेन्ट या लिंक को क्लिक न करें।
आधिकारिक एप स्टोर से ही कोई एप डाउनलोड करें।
अनजान व्यक्ति के कहने पर रिमोट एक्सेस एप (टीम व्यूयर, एनी डेस्क, ऐमी एडविन इत्यादि) का प्रयोग न करें।
शॉपिंग और बैंकिंग के लिए फ्री या असुरक्षित वाईफाई का प्रयोग न करें।
अनजान नंबरों से प्राप्त वीडियो कॉल रिसीव न करें