Hardoi: इस प्राचीन शिव मंदिर में बदलता है दिन में तीन बार रंग, दूर-दूर से पहुँचते है भक्त
Hardoi: जनपद के बेहटा गोकुल थाना क्षेत्र के अंतर्गत आने वाला प्राचीन शिव मंदिर सकाहा में स्थित है। ऐसी मान्यता है कि यहां शिवलिंग स्वयंभू प्रकट हुई थी। यह शिवलिंग दिन में तीन बार रंग बदलता है।
Hardoi News: भारत प्राचीन सभ्यताओं का देश कहा गया है यहां नदी को भी माता का दर्जा दिया गया है। देश के कोने-कोने में प्राचीन हिंदू देवी देवताओं के मंदिर है साथ ही कई स्थानों पर ऐसी मान्यता है कि यहां पर साक्षात भगवान विराजे थे। भारत में कई ऐसे पौराणिक और ऐतिहासिक मंदिर है जो अपनी मान्यताओं को लेकर जाने जाते हैं।हरदोई जनपद में भी ऐसा ही एक पौराणिक शिव मंदिर है जो अपनी मान्यताओं के लिए प्रसिद्ध है।
भगवान शिव को कहा जाता है कि यह बहुत भोले हैं और अपने भक्तों पर जल्द ही प्रसन्न हो जाते हैं। सावन मास में भक्त भगवान शिव पर गंगाजल अर्पण करने के लिए काफी किलोमीटर दूर तक पैदल गंगा जी से जल लेकर आते हैं और भगवान शिव को अर्पण करते हैं। भारत में भगवान शिव से जुड़े कई चमत्कार भी सभी ने देखे है। ऐसे ही एक चमत्कार हरदोई में भी है जहां ऐसी मान्यता है कि दिन में तीन बार शिवलिंग रंग बदलता है ऐसा कहा जाता है की शिवलिंग में स्वयं भगवान शिव विराजमान हैं। सावन में यहां पर मेला लगता है और भारी संख्या में श्रद्धालु सावन महीने में यहां पर पहुंचते हैं।
मंदिर में स्वयंभू है शिवलिंग, हर बाधा होती है दूर
हरदोई जनपद के बेहटा गोकुल थाना क्षेत्र के अंतर्गत आने वाला प्राचीन शिव मंदिर सकाहा में स्थित है। ऐसी मान्यता है कि यहां शिवलिंग स्वयंभू प्रकट हुई थी। यह शिवलिंग दिन में तीन बार रंग बदलता है। सुबह भूरा, दोपहर में कला और शाम को सुनहरा हो जाता है। क्षेत्र के लोगों की ऐसी मान्यता है कि इस शिवलिंग की गहराई का कोई अंत नहीं है इसलिए गांव के व जनपद के लोग इसे स्वयंभू शिवलिंग बताते हैं।
सकाहा मंदिर में स्वयंभू शिवलिंग के दर्शन के लिए हरदोई जनपद के प्रत्येक कस्बे गांव से तो लोग पहुंचते ही हैं आसपास के जनपदों से भी लोग दर्शन के लिए यहां पर आते हैं। सावन में भक्त कावड़ लेकर स्वयंभू शिवलिंग पर जल अर्पण करने के लिए भारी संख्या में पहुंचते हैं। सावन में यहां पर लगने वाले मेले में दूर-दूर से लोग आते हैं।श्रद्धालु कहते हैं कि भगवान भोलेनाथ से इस मंदिर में जो कुछ सच्चे मन से मांगो भगवान उसको पूरा जरूर करते हैं।
श्रद्धालु बताते हैं कि जब शिवलिंग का रंग भूरा दिखाई पड़ता है तो यह रंग भूत भभूति भोलेनाथ के भोलेपन का परिचायक है वही जब शिवलिंग का रंग काला प्रतीत होता है तो यह संघारक शिवलिंग की संज्ञा दी जाती है वहीं शाम को सूर्यास्त के समय यह शिवलिंग सुनहरे रंग में बदल जाता है यह भक्तों पर भगवान शिव की दया करने वाले ओघड़ दानी की कृपा का परिचायक है।श्रद्धालु कहते हैं कि इस मंदिर में रुद्राभिषेक करने व सावन के सोमवार में जल अर्पण करने के साथ दर्शन मात्र से सभी भक्तों की इच्छाएं पूर्ण होती ही हैं साथ भगवान शिव के भक्तों की सभी बधाये भगवान शिव हर देते हैं।