Hardoi News: कमीशन के खेल और पैथालॉजी की गलत रिपोर्ट ने जन्म से पहले ही छीन लिया मासूम का जान, जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था बदहाल

Hardoi News: प्रसव पीड़ा उठने पर महिला के पति ने उसको आशा बहू के सहयोग से स्थानीय सीएचसी में भर्ती कराया जहां से उसे दूसरी सीएचसी रेफर कर दिया गया लेकिन कमीशन के खेल में आशा बहू द्वारा गर्भवती महिला को एक निजी नर्सिंग होम में भर्ती कराया गया।

Report :  Pulkit Sharma
Update:2024-10-15 17:53 IST

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Hardoi News: जनपद में एक बार फिर कमीशन के खेल और निजी चिकित्सालय की लापरवाही से प्रसूता के पेट में पल रहे बच्चे की मौत हो गई। हालांकि यह कोई पहला या नया मामला नहीं था कि जब कमिश्न के खेल में या फिर कस्बों में संचालित हो रहे प्राइवेट नर्सिंग होम की लापरवाही से किसी नवजात की मौत हुई हो। हालांकि इस बार गर्भवती महिला के पेट में ही मासूम ने जिम्मेदारों की लापरवाही और संवेदनहीनता के चलते दम तोड़ दिया।

प्रसव पीड़ा उठने पर महिला के पति ने उसको आशा बहू के सहयोग से स्थानीय सीएचसी में भर्ती कराया जहां से उसे दूसरी सीएचसी रेफर कर दिया गया लेकिन कमीशन के खेल में आशा बहू द्वारा गर्भवती महिला को एक निजी नर्सिंग होम में भर्ती कराया गया।जहां डॉक्टरों ने ₹10000 जांच के नाम पर गर्भवती महिला के पति से ले लिया और खून की जांच में महिला को एचआईवी पॉजिटिव आने की बात कर ₹80000 की मांग की । गर्भवती महिला का पति रुपये की मांग पूरी नहीं कर पाया तो डॉक्टर ने ऑपरेशन करने से इनकार कर दिया जिसके बाद गर्भवती महिला को उसका पति कस्बे के अलग-अलग अस्पतालों में लेकर टहलता रहा लेकिन किसी ने भी महिला का उपचार नहीं किया जिसके बाद उसके पति ने दोबारा महिला कि एचआईवी जांच कराई तो वह नेगेटिव आई।इसके बाद अस्पताल में उसका ऑपरेशन हुआ लेकिन तब तक उसके गर्भ में पल रहे बच्चे ने संवेदनहीनता के चलते दम तोड़ दिया।

लोगो ने की सख्त कार्यवाही की मांग

हरदोई जनपद के बिलग्राम कोतवाली क्षेत्र के घसियाराम पुरवा कटरी परसोला की रहने वाली निशा राजपूत को प्रसव पीड़ा हुई। निशा को प्रसाद पीड़ा होने पर उसके पति दीपक द्वारा आशा बहू सीमा के साथ सीएचसी बिलग्राम लेकर पहुंचे जहां से उसे माधवगंज सीएचसी ले जाने को कहा गया लेकिन आशा बहू ने उसको माधवगंज सीएचसी के स्थान पर एक निजी चिकित्सालय में ले जाकर भर्ती कर दिया।निजी चिकित्सालय के डॉक्टर ने सारी मानवता की हदों को पार करते हुए ऑपरेशन से पूर्व ₹10000 जांच के नाम पर दीपक से ले लिए और जांच के लिए निशा का खून लेकर भेज दिया। जांच रिपोर्ट जब सामने आए तो उसने सबको चौंका दिया। जांच रिपोर्ट के अनुसार निशा एचआईवी पॉजिटिव थी जिसके बाद निजी अस्पताल के डॉक्टर ने दीपक से ₹80000 की मांग की।

दीपक मजदूरी करके अपने परिवार का पालन पोषण करता है तो उसके द्वारा ₹80000 देने में उसने असमर्थता जाहिर की जिसके बाद निजी अस्पताल ने निशा का इलाज करने से मना कर दिया। दीपक अपनी पत्नी निशा को लेकर अलग-अलग चिकित्सालय में गया लेकिन किसी ने भी निशा का इलाज नहीं किया जिसके बाद दीपक को संदेह हुआ तब दीपक ने दोबारा अपनी पत्नी निशा की एचआईवी जांच कराई तो वह एचआईवी जांच निगेटिव आई जिसके बाद अस्पताल में निशा का प्रसव कराया गया लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी।मासूम बच्चे ने गर्भ में दम तोड़ दिया था। एक बार फिर धरती के भगवान कहे जाने वाले डॉक्टरों की संवेदनहीनता और गिरती मानवता के चलते एक मासूम ने संसार में आने से पहले ही दम तोड़ दिया।

निजी पैथोलॉजी और डॉक्टरों की यह करतूत का कोई पहला मामला नहीं है पहले भी निजी पैथोलॉजी की गलत रिपोर्ट और डॉक्टरों की संवेदनहीनता के चलते जाने जा चुकी हैं लेकिन स्वास्थ्य विभाग इन सब के बाद भी आंख बंद किए बैठा हुआ है।जनपद में सबसे ज्यादा लोगों की सेहत के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है और यह खिलवाड़ स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की नाक के नीचे हो रहा है। मामला प्रकाश में आने के बाद लोगों ने कहा कि जब तक डॉक्टर और पैथोलॉजी पर सख्त कार्यवाही नहीं होती तब तक ऐसे ही लोगों की जान जाती रहेंगी।पीड़ित दीपक ने सीएमओ डॉक्टर रोहतास कुमार को पत्र लिखकर मामले की शिकायत की है और कार्यवाही की मांग की है।

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