Hardoi: शतावर की खेती से किसान हो रहे मालामाल, सरकार देती है सब्सिडी, जानें इसके लाभ
Hardoi: जिले में किसान अब गन्ना, गेहूं ,चावल को छोड़ अन्य फसलों पर खास ध्यान दे रहे हैं। अन्य फसले किसानों को मालामाल कर रही हैं।;
Hardoi News: जिले में किसान अब गन्ना, गेहूं ,चावल को छोड़ अन्य फसलों पर खास ध्यान दे रहे हैं। अन्य फसले किसानों को मालामाल कर रही हैं। हरदोई के किसान लगातार खेती में नए प्रयोग भी कर रहे हैं इसी के साथ कृषि विभाग उद्यान विभाग की सहायता से खेती को और बेहतर बनाने को लेकर भी जानकारी प्राप्त कर रहे हैं। हरदोई में आम की खेती हो ड्रैगन फ्रूट हो पामारोजा हो या अन्य फूलों की खेती इन खेतीयों से लोग प्रतिवर्ष लाखों रुपए मुनाफा कमा रहे हैं। ऐसे ही हरदोई के किसान अब शतावर की खेती कर प्रतिवर्ष लाखों का मुनाफा कमा रहे हैं। शतावर शारीरिक बीमारियों के लिए भी काफी महत्वपूर्ण है। इसका कार्य आयुर्वेदिक दवाओं में लिया जाता है। देश के साथ-साथ विदेश में भी शतावर की मांग काफी है। ऐसे में किसान शतावर की खेती कर अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं।
कई बीमारियों में है फ़ायदेमंद
हरदोई में कई किसान शतावर की खेती कर रहे हैं। शतावर की खेती मानव शरीर में कई विकारों को जड़ से समाप्त करने के लिए मानी जाती हैं। जिस किसी के शरीर में मांसपेशियों के अलावा हड्डियों में दर्द की शिकायत हो वह इसका इस्तेमाल कर रोग से राहत पा सकता है। शतावर इंसानों के साथ पशुओं को भी स्वस्थ करने में किया जाता है। शतावर यौन शक्ति को बढ़ाने कमजोरी दूर करने के साथ-साथ महिलाओं के प्रजनन के लिए भी दिया जाता है।
जानकारों ने बताया कि शतावर की एक लता 30 से 35 फीट तक जाती है। ग्रीष्म ऋतु में वर्षा ऋतु आने तक इसकी शाखाएं बड़ी तेजी के साथ बढ़ती हैं और इसमें पुष्प कुछ आने लगते हैं। इसकी जड़ मूली के जैसी निकलती हैं। कहीं-कहीं पर इस सफेद मूसली भी कहा जाता है। शतावर का प्रयोग चर्म रोग शरीर दर्द में भी किया जाता है।शतावर की खेती कर रहे किसान पुष्पेंद्र कुमार ने बताया कि उन्हें प्रति हेक्टेयर 7 से 8 लख रुपए तक का मुनाफा हो रहा है।
किसान ने बताया कि शतावर की खेती पर सब्सिडी भी मिल रही है। इस पौधे को आवारा पशु नहीं खाते हैं। शतावर की खेती उत्तर प्रदेश के कन्नौज उन्नाव शाहजहांपुर हरदोई समेत बांग्लादेश नेपाल अफ्रीका ऑस्ट्रेलिया जैसे कई देशों में भी की जा रही है। शतावर हर तरह के मिट्टी में उपजाऊ पौधा है। शतावर की खेती एक बीघे में 40 कुंतल तक की जा सकती है।इस खेती की सबसे अच्छी बात की यह है कि इसके लिए ग्राहक ढूंढना नहीं पड़ता बल्कि स्वयं ग्राहक किसानों को ढूंढ कर इसकी खरीद करते हैं।