Hardoi News: गेहूं के सरकारी क्रय केंद्रों पर पसरा सन्नाटा, जानिए किसान क्यों मोड़ रहे मुंह

Hardoi News: अक्सर न्यूनतम समर्थन मूल्य और बाजार भाव में काफी अंतर देखने को मिलता है। किसान सरकारी केंद्रों पर गेहूं बेचना तो चाहता है परंतु न्यूनतम समर्थन मूल्य कम होने व भुगतान में देरी होने के चलते किसान अपना गेहूं बाजार में बेच देता है।

Update:2023-05-31 21:49 IST
(Pic: Newstrack)

Hardoi News: किसान लगातार सरकार द्वारा लाई गई एमएसपी यानी न्यूनतम समर्थन मूल्य का विरोध कर रहे थे। अक्सर न्यूनतम समर्थन मूल्य और बाजार भाव में काफी अंतर देखने को मिलता है। किसान सरकारी केंद्रों पर गेहूं बेचना तो चाहता है परंतु न्यूनतम समर्थन मूल्य कम होने व भुगतान में देरी होने के चलते किसान अपना गेहूं बाजार में बेच देता है। हरदोई में भी आज नवीन गल्ला मंडी में गेहूं का सरकारी न्यूनतम समर्थन मूल्य और बाजार भाव में 275 रुपए प्रति कुंटल का अंतर है। ऐसे में किसान सरकारी केंद्रों पर ना जाकर गल्ला मंडी के व्यापारियों के हाथ गेहूं की बिक्री कर रहा है।

बाजार में मिलता है सही दाम, तुरंत होता है पेमेंट

व्यापारियों के हाथों गेहूं बेचने करने से किसानों को भी काफी राहत है। किसानों का कहना है कि बाहर गेहूं बेचने से एक तो धनराशि भी ज्यादा मिलती है दूसरा नगद राशि मिल जाती है और घंटों इंतजार भी नहीं करना पड़ता है। जिला प्रशासन द्वारा जो केंद्र खोले गए हैं वहां 2125 रुपए प्रति कुंतल गेहूं की खरीद की जा रही है। ऐसे में किसानों को नुकसान है। इसलिए हम गल्ला मंडी में व्यापारियों को गेहूं बेच रहे हैं। यदि सरकार बाजार भाव के अनुसार प्रतिदिन समर्थन मूल्य निर्धारित करें तो किसानों को बड़ी राहत होगी।

कई क्रय केंद्रों नहीं मिला एक दाना भी गेहूं

गेहूं की खरीद का सीजन आते ही जिला प्रशासन व शासन दोनों ही इस ओर सक्रिय हो गए हैं। जिला प्रशासन द्वारा सात क्रय एजेंसियों के 135 क्रय केंद्र स्थापित किए गए। बाजार भाव से न्यूनतम समर्थन मूल्य कम होने के चलते हालात यह हैं कि कई सरकारी क्रय केंद्रों पर एक गेहूं के दाने की बिक्री नहीं हुई है। 50 दिनों में सरकारी क्रय केंद्रों पर एक प्रतिशत भी गेहूं की खरीद नहीं हो सकी है। शासन द्वारा हरदोई जिला प्रशासन को 1 लाख 81 हजार मैट्रिक टन गेहूं खरीदने का लक्ष्य दिया था। अगर अब तक की बात की जाए तो हरदोई में क्रय केंद्र संचालकों द्वारा एड़ी चोटी का जोर लगाने के बाद गांव-गांव जाकर किसानों से गेहूं बेचने की मांग के बाद 1560.70 मैट्रिक टन गेहूं की खरीद कर पाया है जोकि लक्ष्य से 0.86 फ़ीसदी ही है।

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