Hardoi News: इस जिले के ये चार स्थान जिनकी पुराणों में बड़ी मान्यता, जानिए क्यों आते हैं दूर-दूर से श्रद्धालु

Hardoi News: हरदोई के इतिहास और खासियत जानना है तो इन चार जगहों को जरूर जान लें।

Report :  Pulkit Sharma
Update: 2024-01-16 09:02 GMT

Hardoi Historical Places (Photo: Social Media)

Hardoi News: हरदोई जिसका पुराणों में नाम हरिद्रोही है। हरदोई में कई पौराणिक ऐतिहासिक स्थल भी हैं जहां प्रतिदिन हजारों की संख्या में श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं। हरदोई जनपद का इतिहास काफी पुराना है।पुराणों में बताया गया है कि हरदोई हिरणा कश्यप की नगरी थी यहीं पर भक्त प्रहलाद का जन्म हुआ था।हरदोई से ही होली की शुरुआत हुई थी ऐसा पुराणों में लिखा हुआ है। हरदोई में इसके साथ ही कई ऐसे मंदिर है जिनका बड़ा महत्व है। हरदोई में प्रहलाद कुंड, श्रवण देवी, हरदोई बाबा मंदिर, काली मंदिर काफी प्रसिद्ध है।यहां वर्ष में कई मेले भी लगते हैं। हरदोई जनपद के साथ दूर-दूर से लोग यहां दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं।

यहाँ से हुई थी होली की शुरुआत

प्रहलाद कुंड वह स्थान है जहां मानता है के यहां पर हरदोई के राजा हिरणा कश्यप ने अपने पुत्र प्रहलाद के भगवान विष्णु का नाम लेने से क्रोधित होकर अपनी बहन होलिका के साथ लकड़ियों के ढेर में बैठाकर आग लगा दी थी। भगवान विष्णु की कृपा से प्रहलाद सुरक्षित बच गया और होलिका इस आग में दहन हो गई। हरदोई में भगवान नरसिंह का भी अवतार बताया गया है। पुराणों में यह भी बताया गया है कि जब हिरणा कश्यप के पाप बढ़ गए थे तब भगवान नरसिंह ने हरदोई में अवतार लेकर हिरणा कश्यप का वध किया था।

Photo: Social  Media


इस स्थान के होने से नहीं होती फाँसी

हरदोई बाबा मंदिर को लेकर लोगों की बड़ी मान्यता है ऐसा कहा जाता है कि हरदोई बाबा मंदिर के होने से यहां पर किसी को भी फांसी की सजा नहीं दी जाती है। हरदोई के इतिहास में आज तक हरदोई में किसी को भी फांसी की सजा नहीं हुई है। हरदोई बाबा मंदिर में दूर-दूर से लोग अपने बच्चों का मुंडन संस्कार, अन्नप्राशन आदि अन्य कई कार्यक्रम यहां आयोजित कराने के लिए आते हैं। हरदोई बाबा मंदिर के दर्शन करने के लिए दूर-दूर से लोग यहां पहुंचते हैं। यहां पर साल में एक बार मेला भी लगता है जिसमें दूर-दूर से श्रद्धालु पहुंचते हैं।

यहां गिरा था माँ सती का कर्ण

हरदोई में श्रवण देवी का भी मंदिर है। यह मंदिर एक शक्तिपीठ के रूप में जाना जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस स्थान पर मां सती का कर्ण यानी कि कान का भाग गिरा था। इसलिए इस मंदिर का नाम श्रवण देवी रखा गया। यहां पर पीपल का प्राचीन पेड़ था जिसकी खो में श्रवण देवी की प्राचीन मूर्ति निकली थी। ऐसी मान्यता है कि उस पीपल के पेड़ में स्वयं से आकृति बना व बिगड़ा करती थी। इस स्थान पर प्रतिवर्ष चैत्र मास व क्वार तथा आषाढ़ मास की पूर्णिमा में मेला लगता है।

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भक्तों ने यहाँ चढ़ाई अपनी जीभ

हरदोई शहर के महोलिया शिवपार में मां काली का एक प्राचीन मंदिर है। यहां की भी बड़ी मान्यताएं हैं।यहां भक्तों की मुराद पूरी होने पर कई भक्तों ने अपनी जीभ काटकर मां के समक्ष रखी है। ऐसी मान्यता है यहां जो भी मन से सच्चे मन से अपनी मुराद मांगता है मां उसकी झोली जरूर भरती हैं। यहां नवरात्रों पर श्रद्धालुओं का हुजूम उमड़ता है।हरदोई जनपद के कोने कोने से श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं।

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