Hardoi News: जेल में क़ैदी पढ़ रहें धार्मिक पुस्तकें, बदल रही जीवनशैली, जेल प्रशासन ने की ये माँग

Hardoi News: जेल अधीक्षक एसके त्रिपाठी ने बताया कि पुस्तकालय में रखी पुस्तकों को पढ़कर कैदी अपना ज्ञान बढ़ा रहे हैं। काफी संख्या में कैदी पुस्तकालय जाकर पुस्तक पढ़ते हैं, जबकि कुछ कैदियों को बैरक में ही पुस्तक उपलब्ध करा दी जाती हैं।

Report :  Pulkit Sharma
Update:2024-06-22 09:30 IST

जिला कारागार हरदोई (Pic: Newstrack)

Hardoi News: हरदोई जिला कारागार में बंद कैदियों की धार्मिक पुस्तकों में काफी रुचि देखने को मिल रही है। जेल में बंद कैदी जेल प्रशासन से गीता और रामचरित् मानस जैसी धार्मिक पुस्तकों की मांग कर रहे हैं। जेल प्रशासन भी कैदियों को गीता और रामचरित मानस के साथ अन्य धार्मिक पुस्तकों को उपलब्ध कराने के प्रयास में जुट गया है। जेल प्रशासन की ओर से लोगों से धार्मिक पुस्तकों को दान करने की अपील भी की गई है। जेल में खुले पुस्तकालय में कैदियों को धार्मिक पुस्तकों के साथ सामाजिक ज्ञान  और महापुरुषों की जीवनी पढ़ने को मिल रही है।

जेल प्रशासन की ओर से बताया गया कि क़ैदियों के जीवन पर धार्मिक पुस्तकों को पढ़ने के बाद इसका असर पड़ रहा है। जेल प्रशासन का कहना है कि यदि इससे कुछ बेहतर बदलाव आ सकता है तो यह काफी अच्छी कोशिश रहेगी। हरदोई जिला कारागार में पुस्तकालय की शुरुआत वर्ष 2020 में हुई थी तब से लेकर अब तक जेल में बंद कैदी लगातार धार्मिक साहित्यिक पुस्तक पढ़कर अपना ज्ञान बढ़ा रहे हैं, साथ ही अपने जीवन में भी पुस्तकों में लिखी बातों को अपनाकर आगे बढ़ रहे हैं।

ब्रिटिश काल की मिली थीं किताबें

हरदोई जिला कारागार में वर्ष 2020 के दौरान बैरक की साफ सफाई में एक पुरानी अलमारी निकली थी, इस अलमारी में काफी पुरानी पुस्तक रखी थी। इन पुस्तकों में ब्रिटिश काल के समय की पुस्तक भी थी जिसमें उसे समय के कानून को लेकर जानकारियां दी गई थी। बैरक में मिली अलमारी में चार वेदों के साथ अंग्रेजी में अनुवादित श्री राम चरित मानस, सरदार पटेल और महात्मा गांधी के जीवन शैली पर लिखी किताबें मिली थी। प्रशासन द्वारा अलमारी की साफ सफाई करने के बाद उन पुस्तकों को वापस अलमारी में रखकर, व अन्य कुछ पुस्तकों की व्यवस्था कर उसे जेल में पुस्तकालय के रूप में स्थापित कर दिया था। जेल प्रशासन की पहल का असर कैदियों के जीवन पर देखने को मिल रहा है। जेल में बंद कैदी जमकर पुस्तकों को पढ़ रहे थे और उनसे मिलने वाला ज्ञान अपने जीवन में उतार रहे हैं।

साफ-सफाई के दौरान जेल प्रशासन को अंग्रेजी में अनुवादित राम चरित मानस के साथ 1872 में प्रकाशित रिपोर्ट ऑफ स्टेशनरी कमीशन का बॉम्बे, 1902 में अंग्रेजी में प्रकाशित मैनेजमेंट एंड डिसिप्लिन का प्रिजनर्स, 1911 में ऑर्डर ऑफ से गवर्नमेंट यूनाइटेड फोरम, 1922 में कोलकाता विश्वविद्यालय से एफएस ग्रुप से द्वारा अंग्रेजी में अनुवादित रामचरित्र मानस, 1935 में इंडियन प्रेस से प्रकाशित रंजीत सीताराम पंडित द्वारा राजतंगड़ी का अंग्रेज़ी अनुवाद, 1958 में नवजीवन मुद्रालय अहमदाबाद से प्रकाशित सरदार पटेल की सीख में पटेल जी के 127 पत्र संजोये हैं। इसके अलावा 1970 को प्रकाशित श्री रामनाथ सुमन की पुस्तक उत्तर प्रदेश में गांधीजी जैसी पुस्तक भी शामिल थी।

जेल अधीक्षक एसके त्रिपाठी ने बताया कि पुस्तकालय में रखी पुस्तकों को पढ़कर कैदी अपना ज्ञान बढ़ा रहे हैं। काफी संख्या में कैदी पुस्तकालय जाकर पुस्तक पढ़ते हैं, जबकि कुछ कैदियों को बैरक में ही पुस्तक उपलब्ध करा दी जाती हैं। जेल अधीक्षक ने बताया कि सबसे ज्यादा ग्रंथ राम चरित मानस और गीता के साथ ही अन्य पुरानी और संस्कारी कहानियों की पुस्तकों की मांग है। कुछ पुस्तक ऐसी हैं जो कैदियों को जीवन जीने की राह सिखा रही हैं। जेल अधीक्षक ने कहा कि कुछ पुस्तकों की मांग है, ऐसे में आमजन से सहयोग की मांग की जाती है यदि उनके पास रामचरित मानस, गीता, सुंदरकांड या अन्य कोई सामाजिक पुस्तक हो तो उसको दान कर दें।

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